नार्थ कोरिया का अमेरिका पर सबसे बड़ा हमला! ट्रंप का हाल हुआ बेहाल, अमेरिका की जड़ों तक पहुंचा किम जोंग

North Korea cyber attack on America: सोमवार को अमेरिकी न्याय विभाग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जो खुलासा किया, वह अमेरिका की साइबर सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ा झटका कहा जा रहा है।

Harsh Srivastava
Published on: 1 July 2025 7:25 PM IST
नार्थ कोरिया का अमेरिका पर सबसे बड़ा हमला! ट्रंप का हाल हुआ बेहाल, अमेरिका की जड़ों तक पहुंचा किम जोंग
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North Korea cyber attack on America: "जब व्हाइट हाउस मध्य-पूर्व में ईरान-इज़राइल की आग बुझाने में उलझा था, ठीक उसी वक्त उत्तर कोरिया वर्क फ्रॉम होम की आड़ में अमेरिका के घर में ही बारूद बिछा रहा था। लैपटॉप की स्क्रीन पर चल रही थी चुपचाप एक परमाणु युद्ध की तैयारी। और कोई नहीं जानता था, कि Zoom कॉल पर बैठा ‘जॉन स्मिथ’ दरअसल प्योंगयांग का साइलेंट सोल्जर है!" यह कोई जासूसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा किए गए ताजा खुलासे का एक भयावह सच है। जब सारी दुनिया इज़राइल और ईरान की जंग पर नजर गड़ाए बैठी थी, तभी उत्तर कोरिया ने अमेरिका के भीतर डिजिटल घुसपैठ कर दी। और ये घुसपैठ किसी मिसाइल या ड्रोन से नहीं, बल्कि फर्जी अमेरिकी नाम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लैपटॉप फार्म्स से की गई।

अमेरिका के भीतर किम जोंग की ‘साइबर आर्मी’!

सोमवार को अमेरिकी न्याय विभाग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जो खुलासा किया, वह अमेरिका की साइबर सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ा झटका कहा जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया के साइबर एजेंट्स ने अमेरिका की करीब 100 टॉप टेक कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम जॉब्स हासिल कर ली थीं। AI टूल्स का इस्तेमाल करके इंटरव्यू क्रैक किया गया। फेक आईडी, अमेरिकी एक्सेंट वाले बॉट्स और डिजिटल डॉक्युमेंट्स की मदद से खुद को अमेरिकी नागरिक साबित किया गया। इन जॉब्स के जरिए जो सैलरी मिली, वह सीधे उत्तर कोरिया के हथियार और मिसाइल प्रोग्राम में भेज दी गई। अमेरिका का पैसा, अमेरिका के ही खिलाफ इस्तेमाल हो रहा था।

कैलिफ़ोर्निया की डिफेंस कंपनी से लीक हुई फाइलें!

इस घुसपैठ का सबसे खतरनाक पहलू तब सामने आया जब पता चला कि इन जासूसों में से एक कैलिफोर्निया की एक डिफेंस टेक्नोलॉजी कंपनी में काम कर रहा था। वहां से जुड़े AI-आधारित प्रोजेक्ट्स, सिक्योरिटी अल्गोरिद्म और संवेदनशील डेटा विदेश भेजा गया। यानी यह न सिर्फ आर्थिक धोखा था, बल्कि अमेरिका की सैन्य सुरक्षा पर सीधा हमला था।

क्या होता है लैपटॉप फार्म?

FBI ने छापा मारकर 16 राज्यों में फैले 29 लैपटॉप फार्म्स का खुलासा किया। यहां से 200 से अधिक लैपटॉप, दर्जनों फर्जी बैंक अकाउंट्स और नकली वेबसाइट्स जब्त की गईं। इन लैपटॉप फार्म्स में एक ही जगह से सैकड़ों फर्जी कर्मचारी लॉग-इन करते थे, जिनकी पहचान नकली थी लेकिन काम असली कंपनियों के लिए हो रहा था। यह पूरा नेटवर्क एक डिजिटल राक्षस की तरह फैल रहा था, जिसकी जड़ें अमेरिका की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में घुस चुकी थीं।

अमेरिकी नागरिक भी थे साजिश में शामिल

इस खुलासे में सबसे चौंकाने वाला नाम है – झेनशिंग डैनी वांग। एक अमेरिकी नागरिक जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। वांग ने चीन और ताइवान के साथ मिलकर कई फर्जी कंपनियां और वेबसाइट्स खड़ी कीं, जिनके जरिए उत्तर कोरियाई एजेंटों को अमेरिकी वर्कर के तौर पर वैध दिखाया गया। इस पूरे जाल से अब तक 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 41 करोड़ रुपये की कमाई की जा चुकी थी – और यह पैसा सीधे प्योंगयांग की जंगी नीतियों में निवेश हो रहा था।

जब बिटकॉइन भी बन गया बम

जांच के दौरान पता चला कि चार उत्तर कोरियाई एजेंटों ने दो अमेरिकी कंपनियों से 9 लाख डॉलर की क्रिप्टो करेंसी भी चोरी की। इस वर्चुअल मनी को Tornado Cash जैसे क्रिप्टो मिक्सर टूल्स से लॉन्डर किया गया ताकि ट्रैक न किया जा सके। यानी डिजिटल करंसी के जरिये आतंक की नई अर्थव्यवस्था खड़ी की जा रही थी।

अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा

वर्क फ्रॉम होम का जो मॉडल कोविड के दौरान राहत बना था, अब अमेरिका के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का सबसे बड़ा सिरदर्द बन चुका है। उत्तर कोरिया ने साबित कर दिया कि बिना एक गोली चलाए, बिना बॉर्डर पार किए वह अमेरिका के भीतर अपनी जड़े जमा सकता है। अब सवाल यह है – क्या अमेरिका की टेक्नोलॉजी और सिक्योरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पैदा हुए इस ‘डिजिटल दुश्मन’ से लड़ पाएगी?

अमेरिका की बड़ी चुनौती: भीतर के दुश्मन

FBI और डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की जॉइंट रिपोर्ट कहती है कि “यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि एक पैटर्न है।” अमेरिका की कंपनियों, यूनिवर्सिटीज़ और डिफेंस सेक्टर्स में ऐसे साइलेंट ऑपरेटिव्स की मौजूदगी खतरे की घंटी है। वर्क फ्रॉम होम अब केवल सुविधा नहीं, एक हथियार बन चुका है – और इस बार इस हथियार का निशाना अमेरिका खुद है। क्या आप सोच सकते हैं – अगली बार जिस कॉल पर आपको हेल्पलाइन से कोई जवाब दे, या जो आपके डेटा का हैंडलर हो… वह कोई जॉन नहीं, बल्कि ‘जोंग’ हो? अमेरिका अब साइबर युद्ध के उस युग में दाखिल हो चुका है, जहां दुश्मन दीवारें नहीं फांदता… बल्कि Zoom लिंक से घुस आता है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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