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उबलता नेपाल: कौन हैं विरोध प्रदर्शनों के आयोजक?
काठमांडू में 8 सितंबर को जो हुआ वो एक पूर्व नियोजित विरोध प्रदर्शन था और उसके प्रमुख आयोजकों में से एक था 'हामी नेपाल' नामक संगठन।
Nepal Student Protests 2024 (Image Credit-Social Media)
काठमांडू। राजशाही के खिलाफ हुए खूनी आंदोलन के बाद अब फिर नेपाल उबाल पर है। जिस व्यवस्था परिवर्तन के लिए लोगों ने संघर्ष किया वो अब फिर सड़कों पर हैं और इस बार मोर्चा संभाला है युवाओं और एनजीओ ने।
काठमांडू में 8 सितंबर को जो हुआ वो एक पूर्व नियोजित विरोध प्रदर्शन था और उसके प्रमुख आयोजकों में से एक था 'हामी नेपाल' नामक संगठन। इस एनजीओ ने विरोध प्रदर्शन के लिए छात्रों को संगठित करने के लिए सोशल मीडिया साइट्स इंस्टाग्राम और डिस्कॉर्ड का इस्तेमाल किया और "विरोध प्रदर्शन कैसे करें" पर वीडियो अपलोड किए, जिसमें कॉलेज बैग, किताबें लाने और स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर आने के निर्देश दिए गए थे।20 लोगों की मौत के बाद, आयोजकों ने घोषणा की कि: "कल से कोई भी छात्र कक्षाओं में नहीं आएगा। सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय अनिश्चित काल के लिए बंद रहेंगे। यह बंद तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार इन हत्याओं का स्पष्ट जवाब नहीं देती।"
'यूथ्स अगेंस्ट करप्शन'
सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने 'यूथ्स अगेंस्ट करप्शन' का बैनर लहराया, जिसे हामी नेपाल ने जारी किया था। बताया गया है कि 'हामी नेपाल' ने काठमांडू में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति अधिकारियों से ली हुई थी।
वैसे तो इन विरोध प्रदर्शनों को सरकार द्वारा 27 सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने के विरोध में बताया जा रहा है, लेकिन सोशल मीडिया ग्रुपों को देखने से पता चलता है कि यह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ था। सोशल मीडिया पर हुई घोषणाओं से यह भी पता चलता है कि आयोजकों को विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा की आशंका थी।
क्या है हामी नेपाल
'हामी नेपाल' 2015 में स्थापित एक एनजीओ है। इसके सदस्य अक्सर बाढ़ और भूकंप के बाद बचाव, भोजन वितरण जैसे राहत कार्य करते देखे जाते हैं। अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर इस एनजीओ ने बताया कि उसने नेपाल सेना के साथ भी मिल कर काम किया हुआ है।
यह एनजीओ कई सामाजिक मुद्दों को भी उठाता है। इस साल की शुरुआत में ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में एक नेपाली छात्रा की आत्महत्या के मामले में इसने काफी मुखरता दिखाई थी। सामाजिक कार्यों को छोड़ दें तो ये संगठन राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषयों पर कम ही बात करता था। जब इसके 36 वर्षीय संस्थापक सुदान गुरुंग ने 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शन की घोषणा की, तब तक इसने अपने इंस्टाग्राम पेज पर भ्रष्टाचार या असमानता के बारे में कुछ भी पोस्ट नहीं किया था।
27 अगस्त को, 'नेपो बेबीज़' के खिलाफ ऑनलाइन आक्रोश के समय, गुरुंग ने "अगर हम खुद को बदलेंगे, तो देश खुद बदलेगा" शीर्षक से एक पोस्ट प्रकाशित की। पोस्ट में लिखा था - "तो सवाल यह नहीं है कि "हमारे राजनेता कब बदलेंगे?", बल्कि सवाल यह है: "हम कब बदलेंगे?"
6 सितंबर से अब तक 'हामी नेपाल' ने विरोध प्रदर्शन के बारे में कुल चार पोस्ट किए हैं। इसने विरोध प्रदर्शनों का समन्वय करने के लिए इंस्टाग्राम और डिस्कॉर्ड पर 'यूथ्स अगेंस्ट करप्शन' नाम से और ग्रुप भी बनाए हैं।
अपनी वेबसाइट पर, 'हामी नेपाल' का कहना है कि उसे कोका-कोला, वाइबर, गोल्डस्टार और मलबरी होटल्स जैसे ब्रांडों से 20 करोड़ नेपाली रुपये की वित्तीय सहायता मिली है।
नेपाली मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, 'नेपो किड' और 'नेपो बेबीज़' कुछ दिन पहले टिकटॉक पर ट्रेंड कर रहे थे और रेडिट ग्रुप्स में भी इनकी खूब चर्चा हुई थी। #YouthAgainstCorruption, #NepoKid, #NepoBaby, #PoliticiansNepoBabyNepal, और #FutureOfNepal जैसे अन्य हैशटैग भी खूब चल रहे हैं।
इस बीच, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सेवा प्रदाता प्रोटॉन वीपीएन ने घोषणा की कि नेपाल में केवल तीन दिनों में साइन-अप में 6000 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
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