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रिक सांचेज़ ने खोली ट्रंप की नीतियों की पोल: अमेरिका का सुपरपावर दर्जा खत्म, चीन से बढ़ती चुनौती!
रिक सांचेज़ ने ट्रंप की विदेश नीतियों पर चिंता जताते हुए कहा कि अमेरिका अब दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश नहीं रहा। उन्होंने चीन, इजरायल और वैश्विक व्यापार में अस्थिरता की ओर इशारा किया।
अमेरिका के वरिष्ठ पत्रकार रिक सांचेज ने वैश्विक शक्ति संतुलन में हो रहे बदलावों पर अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति में उलझन और विरोधाभास के कारण अमेरिका अपनी रणनीतिक स्थिति खोता जा रहा है और अनजाने में विरोधी देशों के बीच गठजोड़ को मजबूती दे रहा है। शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के बाद अपनी राय रखते हुए सांचेज ने कहा कि अमेरिका की नीतियों में स्थिरता की कमी उसे अकेला कर रही है।
अस्थिर और उलझी हुई शैली
रिक सांचेज ने ट्रंप की संचार शैली पर भी टिप्पणी की। उनका कहना था, "वह कभी गर्मजोशी से बात करते हैं, तो कभी उदासीन रहते हैं। एक दिन वह किसी से प्यार जताते हैं, और अगले ही दिन नफरत। इन दिनों अमेरिका से जो संदेश जा रहे हैं, वह इतने उलझे हुए हैं कि दूसरे देशों के नेता यह तय नहीं कर पा रहे कि उन पर प्रतिक्रिया दें या उन्हें नजरअंदाज करें। अधिकांश लोग इन्हें नजरअंदाज करना पसंद कर रहे हैं।" सांचेज ने यह भी कहा कि यह अस्थिरता वैश्विक व्यापार के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
व्यापार के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन
रिक सांचेज़ ने कहा कि ट्रंप व्यापार के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "अगर आप एक असली व्यापारी हैं, तो आपको बाजार को कभी भी भ्रमित नहीं करना चाहिए। संदेश हमेशा स्पष्ट और एकसार होना चाहिए।" उनका मानना है कि यह उलझन अमेरिका के पारंपरिक साझेदारों को वैकल्पिक रास्तों की ओर धकेल रही है। सांचेज़ ने यह भी बताया कि कैसे चीन भारत को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। चीन भारत से कह रहा है, "हम आपके अच्छे दोस्त बनेंगे, आपके व्यापारिक साझेदार होंगे, आपके उत्पाद खरीदेंगे, और दुर्लभ खनिज भी साझा करेंगे। आइए, वह सब करें जो आप अमेरिका से चाहते थे, लेकिन अब जिस पर भरोसा नहीं कर सकते।
असमान व्यवहार पर सवाल
रिक सांचेज़ ने डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के विदेशी नेताओं से मिलने के बारे में असमान व्यवहार पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "डोनाल्ड ट्रंप के लिए पुतिन से मिलना ठीक है, बीजिंग से बात करना ठीक है, लेकिन जब मोदी इन नेताओं से मिलते हैं तो वह गलत हो जाता है। यह लगभग मज़ाक जैसा लगता है, है न? मैं कर सकता हूं, लेकिन तुम नहीं कर सकते।" सांचेज़ ने इस पर भी ध्यान दिलाया कि सांस्कृतिक बदलाव हो रहे हैं। उन्होंने रूस की एरोफ्लोट एयरलाइंस का उदाहरण देते हुए कहा, "पहले इस एयरलाइंस में अमेरिकी फिल्में दिखाई जाती थीं, अब वह नहीं दिखतीं। मेन्यू में भी कोई अमेरिकी चीज़ नहीं थी। रूसी दुकानों में भी अब अमेरिकी उत्पाद नज़र नहीं आते।" सांचेज़ ने यह भी कहा कि अमेरिका का सुपर पावर का दर्जा अब कमजोर हो चुका है।
रिक सांचेज़ ने कहा कि अब अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश नहीं रहा। उनका कहना था, "इजरायल अब सबसे शक्तिशाली देश है, और वह अमेरिका को नियंत्रित करता है। जब इजरायल कहता है 'भौंको', तो अमेरिका भौंकता है।" उन्होंने यह भी बताया कि वर्ल्ड ऑर्डर में अमेरिका की यह स्थिति अब ट्रंप के समर्थकों को भी परेशान कर रही है। जो लोग ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (MAGA) अभियान को समर्थन देते थे, वे अब उनके खिलाफ हो गए हैं। उनका कहना है, "आपने कहा था कि आप अमेरिका को प्राथमिकता देंगे, लेकिन अब आप इजरायल को प्राथमिकता दे रहे हैं।"
रिक सांचेज़ ने यह भी कहा कि ट्रंप की नीतियों ने अमेरिका को अकेला कर दिया है। उनका मानना था, "अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ जो रिश्ते अब चीन के साथ बन गए हैं, वे इतने मजबूत हो चुके हैं कि अब इनसे पीछे हटना मुश्किल है। ट्रंप की अस्थिर नीतियों ने अमेरिका को एक बहुध्रुवीय दुनिया में खुद को अलग-थलग कर दिया है।
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