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ट्रंप ने NASA को भी नहीं छोड़ा, एक ही झटके में 2,000 से ज़्यादा वैज्ञानिकों पर गिरी गाज, मचा हड़कंप

Trump NASA Layoff 2025: ट्रंप का चौंकाने वाला कदम: नासा के 2,000 से ज़्यादा वैज्ञानिकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया, बड़े मिशन ख़तरे में, और एलन मस्क को किनारे कर दिया गया। क्या अमेरिका अंतरिक्ष में अपनी पकड़ खो रहा है?

Harsh Srivastava
Published on: 11 July 2025 3:55 PM IST
ट्रंप ने NASA को भी नहीं छोड़ा, एक ही झटके में 2,000 से ज़्यादा वैज्ञानिकों पर गिरी गाज, मचा हड़कंप
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Trump NASA Layoff 2025: जब पूरी दुनिया यह सोच रही थी कि डोनाल्ड ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते ही व्यापार, विदेश नीति और आप्रवासन जैसे मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाएंगे, तब किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि वे सीधा निशाना नासा जैसी प्रतिष्ठित अंतरिक्ष संस्था पर साध देंगे। और अब जो हो रहा है, वो महज एक प्रशासनिक बदलाव नहीं,यह अमेरिका की स्पेस सुपरपावर छवि पर सीधा प्रहार है। एक के बाद एक विस्फोटक रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं और उनमें सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि 2,000 से ज़्यादा वरिष्ठ वैज्ञानिक और इंजीनियरों को नासा से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। इनमें से अधिकांश ऐसे लोग हैं जिन्होंने दशकों से अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम की रीढ़ बनाए रखी है,अब उन्हें चुपचाप Early Retirement या Buyout का ऑफर दिया जा रहा है।

नासा में छंटनी सुनामी,हर केंद्र हिला, हर मिशन डगमगाया

Politico की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नासा के हर बड़े केंद्र पर सीधा असर पड़ रहा है। Maryland के Goddard Space Flight Center से लेकर Texas के Johnson Center तक, Florida का Kennedy Space Center हो या वॉशिंगटन का मुख्यालय,कहीं 300 तो कहीं 600 से ज़्यादा अनुभवी वैज्ञानिकों को टारगेट किया गया है। ये वही संस्थान हैं जहां से इंसानी स्पेसफ्लाइट, रोबोटिक मिशन और AI-संचालित रिसर्च जैसे प्रोजेक्ट्स को संचालित किया जाता है। अब एक झटके में वह पूरी संरचना डांवाडोल हो गई है। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को बजट संतुलन और सरकारी फालतू खर्चों की कटौती के नाम पर जायज़ ठहराया जा रहा है, लेकिन अंदरखाने से जो आवाजें निकल रही हैं, वो बताती हैं कि ये फैसला अंतरिक्ष विज्ञान को घुटनों पर लाने वाला है।

मंगल और चांद मिशनों पर काली छाया

अमेरिका के आगामी स्पेस मिशन, विशेष रूप से आर्टेमिस प्रोग्राम (चांद पर इंसानी मिशन) और मार्स सैंपल रिटर्न मिशन (मंगल से सैंपल लाना) पहले से ही टेक्निकल और फंडिंग चुनौतियों से जूझ रहे हैं। अब जब अनुभवी टीम को ही हटाया जा रहा है, तो ये मिशन समय पर पूरे होंगे या नहीं,इस पर गहरे संदेह खड़े हो गए हैं। NASA से जुड़े एक सीनियर इंजीनियर ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा "ये सिर्फ छंटनी नहीं है, ये अमेरिका के स्पेस भविष्य को काटने की सर्जरी है। हम अपने ही हाथ से अपने सपनों की बुनियाद खोद रहे हैं।"

NASA प्रमुख की कुर्सी भी खाली, मस्क को मिला पॉलिटिकल झटका

मानो इतना काफी नहीं था, ट्रंप प्रशासन ने NASA के नए प्रमुख की नियुक्ति भी अचानक रोक दी है। अरबपति स्पेस टूरिस्ट जारेड आइजैकमैन, जिन्हें एलन मस्क की सिफारिश पर चुना गया था, उनका नाम भी अचानक लिस्ट से हटा लिया गया। राजनीतिक गलियारों में इसे एलन मस्क के खिलाफ ट्रंप की बदले की कार्रवाई माना जा रहा है। मस्क और ट्रंप के बीच हाल ही में कई मंचों पर तल्ख़ी देखी गई थी, और अब ये स्पेस वॉर के रूप में सामने आती दिख रही है।

अमेरिका की स्पेस साख अब खतरे में

दुनिया भर में अमेरिका की ताकत का सबसे बड़ा प्रतीक रहा है NASA,चांद की सतह पर पहला कदम रखने वाला देश, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की रीढ़, और मंगल तक पहुंचने वाला सबसे शक्तिशाली रिसर्च नेटवर्क। लेकिन अब ट्रंप की इस नई नीति ने अंतरिक्ष नेतृत्व की उस धार को कुंद कर दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह छंटनी योजना लागू हो जाती है, तो चीन, रूस और यहां तक कि भारत भी अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में अमेरिका को पीछे छोड़ सकते हैं।

यह महज़ एक फैसला नहीं, भविष्य की हत्या है

ट्रंप का नारा हमेशा रहा है,America First। लेकिन इस बार सवाल उठता है,क्या अमेरिका की पहली प्राथमिकता अब खुद का ही विनाश है? ट्रंप की ये नीति उनके कट्टर समर्थकों को जरूर लुभा सकती है जो सरकारी खर्चों में कटौती चाहते हैं, लेकिन जो अमेरिका को एक वैज्ञानिक राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं,उनके लिए यह फैसला एक गहरी निराशा है। NASA में दशकों से काम कर रहे एक वरिष्ठ वैज्ञानिक की भावुक टिप्पणी थी हमने चांद की धूल में अमेरिका का झंडा गाड़ा था, और अब ट्रंप उसी झंडे को नोचने की तैयारी में हैं। अब देखना है, क्या यह छंटनी वाकई लागू होगी, या अमेरिकी वैज्ञानिक समुदाय एकजुट होकर इस अंतरिक्ष कर्फ्यू के खिलाफ आवाज़ उठाएगा? क्योंकि अगर यह चुप्पी टूटी नहीं, तो अगली बार जब कोई चांद पर जाएगा,शायद वो अमेरिका का नागरिक नहीं होगा।

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Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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