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"भारत पर टैरिफ की वजह से सुरक्षित है यूक्रेन", कोर्ट में 'ट्रंप' का बयान सुन घूम जाएगा दिमाग
ट्रंप प्रशासन का दावा- भारत पर टैरिफ ही यूक्रेन की सुरक्षा और अमेरिका की मजबूती की ढाल।
Trump in US Supreme Court: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों पर दुनिया भर में बहस चल रही है, और अब यह मामला सीधे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। ट्रंप प्रशासन ने अदालत में दाखिल दस्तावेजों में चौंकाने वाली चेतावनी दी है कि भारत सहित कई देशों पर लगाए गए इन टैरिफ को हटाने से अमेरिका को 'आर्थिक तबाही' का सामना करना पड़ेगा और विदेशों में शांति स्थापित करने के प्रयास भी कमजोर हो जाएंगे। यह बयान न केवल भारत-अमेरिका संबंधों में चल रहे तनाव को दिखाता है, बल्कि ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति की कूटनीतिक और आर्थिक जड़ों को भी उजागर करता है।
'टैरिफ ही यूक्रेन में शांति की ढाल'
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करते हुए न्यायाधीशों से इन शुल्कों को बरकरार रखने का आग्रह किया, जिन्हें निचली अदालत ने अवैध घोषित कर दिया था। अपील में कहा गया है कि, "इस मामले में दांव पर लगी चीजें बहुत बड़ी हैं।" दस्तावेज में टैरिफ को "यूक्रेन में शांति की कोशिशों का अहम हिस्सा" और "आर्थिक तबाही से बचाने वाली ढाल" बताया गया है। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि उन्होंने "हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर जारी राष्ट्रीय आपातकाल से निपटने के लिए भारत पर टैरिफ लगाए हैं, क्योंकि वह रूसी एनर्जी प्रोडक्ट खरीदता रहा है।" यह तर्क ट्रंप की नीतियों को सिर्फ व्यापार से जोड़कर नहीं, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति से जोड़कर देखता है।
निचली अदालत का फैसला: क्या ट्रंप ने सीमा पार की?
यह अपील ट्रंप के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अमेरिकी फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने 7-4 के फैसले में कहा था कि ट्रंप ने आपातकालीन आर्थिक शक्तियों का इस्तेमाल करके अपनी अधिकार-सीमा को पार कर लिया है। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इसके उलट तर्क दिया है। उन्होंने कहा है कि ये कदम "शांति और अभूतपूर्व आर्थिक समृद्धि" ला रहे हैं और दुनिया के देशों को वाशिंगटन के साथ नए व्यापार ढांचे में ला रहे हैं। दस्तावेज में साफ तौर पर कहा गया है, "टैरिफ के साथ अमेरिका एक अमीर देश है; बिना टैरिफ अमेरिका गरीब देश है।"
टैरिफ की कीमत: भारत पर 50% का बोझ
हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 25% का टैरिफ लगाया, यह कहते हुए कि दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा बढ़ रहा है। इसके अलावा, रूस से तेल खरीदना बंद न करने पर 25% का अतिरिक्त शुल्क भी जोड़ा गया। यानी, कुल मिलाकर भारत पर अब 50% का आयात शुल्क लागू है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इन शुल्कों के कारण "छह बड़े व्यापारिक साझेदार और 27 देशों वाला यूरोपीय संघ पहले ही फ्रेमवर्क समझौतों में शामिल हो चुके हैं।" यह एक तरह से अमेरिका की दबाव बनाने वाली रणनीति की सफलता को दिखाता है।
ट्रंप की अपील: 'अमेरिका को मजबूत बना रहा है'
ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से जल्दी फैसला लेने की अपील की है, ताकि यह साफ हो सके कि राष्ट्रपति के पास संघीय कानून के तहत व्यापक आयात कर लगाने का अधिकार है। उनकी अपील में कहा गया है, "एक साल पहले अमेरिका एक 'मरा हुआ देश' था, और अब... अमेरिका फिर से एक मजबूत, आर्थिक रूप से सक्षम और सम्मानित देश बन गया है।" यह बयान दिखाता है कि ट्रंप अपनी नीतियों को अमेरिका के आर्थिक और रणनीतिक पुनरुत्थान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
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