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तुर्की-ईरान का 'इस्लामी तूफान' तैयार! इजराइल पर टूटेगा ऐसा कहर कि अमेरिका भी देखता रह जाएगा
Turkey-Iran alliance: तुर्की और ईरान ने इजराइल के खिलाफ मिलाया हाथ, गाजा-सिरिया में हमलों पर इस्लामी देशों की एकजुटता तेज़।
Turkey-Iran alliance: गाजा की गलियों में जब-जब एक मासूम की चीख गूंजी सीरिया की ज़मीन पर जब-जब इजराइली बमों ने माताओं की कोख उजाड़ी तब-तब मुस्लिम दुनिया का गुस्सा उबाल खाता रहा। लेकिन अब जो तस्वीर उभरकर सामने आ रही है वह इजराइल के लिए सिर्फ खतरे की घंटी नहीं बल्कि एक ऐसे भयानक तूफान की दस्तक है जो उसका नक्शा तक बदल सकता है। तुर्की और ईरानये दो नाम अब सिर्फ कूटनीतिक पार्टनर नहीं रहे। अब ये 'जिहादी एकजुटता' की कमान संभाल चुके हैं और यह एकजुटता गाजा सीरिया और लेबनान में इजराइली बर्बरता का जवाब है जो अब खून का हिसाब मांग रही है।
फोन पर बनी 'फतवे की रणनीति' जंग का नया एलान
सोमवार को एक टेलीफोन कॉल हुआ, तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची के बीच। ये सिर्फ औपचारिक बातचीत नहीं थी बल्कि इजराइल के खिलाफ इस्लामी युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार करने की साजिश थी। इस कॉल में केवल गाजा और सीरिया में इजराइल की दहशतगर्दी पर चर्चा नहीं हुई बल्कि एक रणनीति बनाई गईमुस्लिम दुनिया को एक मंच पर लाकर इजराइल को चारों तरफ से घेरने की। और इस बार OIC यानी इस्लामिक सहयोग संगठन भी इस खेल में कूद पड़ा है। तुर्की OIC का मौजूदा अध्यक्ष है और अब वह इस मंच का इस्तेमाल सीधे इजराइल को 'सबक सिखाने' के लिए करने जा रहा है।
गाजा का नरसंहार इजराइल का पतन
ईरानी विदेश मंत्री ने साफ कहागाजा में इजराइल ने न सिर्फ बम गिराए हैं बल्कि इंसानियत को रौंद डाला है। पानी खाना दवासब कुछ रोककर उसने फिलिस्तीनियों को ‘धीमी मौत’ दी है। यह युद्ध नहीं यह नरसंहार है। और अब इस नरसंहार को रोकने के लिए सिर्फ बयान नहीं एकजुट कार्रवाई चाहिए। ईरान ने मुस्लिम देशों से अपील की है कि OIC का आपातकालीन सम्मेलन बुलाया जाए और इजराइल के खिलाफ सख्त ठोस और सैन्य स्तर पर निर्णायक कदम उठाया जाए। यानी अब सिर्फ निंदा की भाषा नहीं अब मिसाइलों की भाषा बोलेगी।
तुर्की का तेवर: "अब बहुत हो गया।"
तुर्की के विदेश मंत्री ने भी वही गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि इजराइल गाजा में ही नहीं सीरिया में भी लगातार सैन्य हमले कर रहा है। और यह बर्दाश्त से बाहर है। उन्होंने OIC से अपील की है कि अब सभी मुस्लिम देश मिलकर एक साझा सैन्य और कूटनीतिक जवाब तैयार करें। तुर्की की यह प्रतिक्रिया इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह NATO का भी सदस्य है और अमेरिका से लंबे समय से नाराज चल रहा है। ऐसे में अगर तुर्की और ईरान मिलकर मोर्चा खोलते हैं तो यह इजराइल के लिए अकेले ईरान से भी ज्यादा विनाशकारी साबित हो सकता है।
क्या मुस्लिम देश मिलकर छेड़ेंगे ‘धार्मिक युद्ध’?
इस घटनाक्रम से सबसे डरावना सवाल यह उठता हैक्या यह आने वाले समय में एक धार्मिक युद्ध की शुरुआत है? अगर OIC के 57 सदस्य देश एकमत हो जाते हैं और इजराइल के खिलाफ निर्णायक मोर्चा खोलते हैं तो यह युद्ध सिर्फ हथियारों का नहीं होगा बल्कि ‘ईमान बनाम अस्तित्व’ का होगा। और इसमें सबसे बड़ी बातअब अमेरिका भी इस लड़ाई में पीछे हटता दिख रहा है। बाइडन सरकार पर पहले ही घरेलू दबाव है और अब यदि मुस्लिम देश एकजुट होते हैं तो अमेरिका के लिए भी इजराइल को खुला समर्थन देना मुश्किल हो जाएगा।
नया मिडिल ईस्ट नई आग और नया नक्शा?
गाजा लेबनान और सीरिया में इजराइल के हमले अब उसके खिलाफ एक वैश्विक जंग की भूमिका बन चुके हैं। तुर्की और ईरान का साथ आना OIC का सक्रिय होना और इस्लामी दुनिया का एक सुर में उठ खड़ा होना इस ओर इशारा कर रहा है कि अब मिडिल ईस्ट का नक्शा बदलने वाला है। अगर तुर्की ने अपनी फौज सीरिया या गाजा बॉर्डर पर तैनात की और ईरान ने अपने प्रॉक्सी ग्रुप्स जैसे हिज्बुल्ला को एक्टिव कर दियातो इजराइल एक नए युद्ध में घिर सकता है जहां उसके पास ना समय होगा ना रणनीति और शायद कोई सहयोगी भी नहीं।
अब सवाल एक हीक्या इजराइल बचेगा?
इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इजराइल अब अकेला पड़ता जा रहा है? क्या तुर्की-ईरान की जोड़ी वाकई उसपर शिकंजा कसने में कामयाब हो जाएगी? क्या OIC अब सिर्फ एक मंच नहीं एक मोर्चा बन चुका है? अगर इन सवालों का जवाब हां में हैतो आने वाले हफ्तों में मिडिल ईस्ट सिर्फ युद्ध का मैदान नहीं इतिहास का सबसे भयानक अध्याय बन सकता है।
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