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अमेरिका से फेंके जाएंगे विदेशी! ट्रंप प्रशासन की 'सुपर सर्जिकल स्ट्राइक' में ग्रीन कार्ड और वीजा पर गिरी गाज, भारतीयों में मचा हड़कंप
Trump new rules for immigrants: ट्रंप प्रशासन के तहत काम कर रही अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा सख्त संदेश पोस्ट किया, जिसने हर अप्रवासी की नींद उड़ा दी। उस पोस्ट में साफ लिखा है—"ग्रीन कार्ड और वीजा रद्द कर दिए जाएंगे, अगर कोई विदेशी कानून तोड़ता है।
Trump new rules for immigrants: कल्पना कीजिए कि आपने सालों की मेहनत के बाद अमेरिका में अपनी जिंदगी बसाई, नौकरी पाई, ग्रीन कार्ड या वीजा मिला और अब आप वहां एक स्थायी भविष्य की उम्मीद में हैं। लेकिन तभी अचानक एक ट्वीट आता है—अमेरिकी सरकार का आधिकारिक बयान—जिसमें साफ लिखा है: “अगर आपने हमारे कानून तोड़े, तो आपका ग्रीन कार्ड या वीजा तुरंत रद्द किया जा सकता है।” ये कोई फिल्मी स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि अमेरिका में रह रहे लाखों अप्रवासियों की सच्चाई बन चुकी है। और इसका सबसे सीधा असर पड़ रहा है भारत के उन हजारों नागरिकों पर जो अमेरिका की धरती पर अपने सपनों का घर बना रहे थे।
“वीजा कोई अधिकार नहीं... यह सिर्फ एक विशेषाधिकार है!”
ट्रंप प्रशासन के तहत काम कर रही अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा सख्त संदेश पोस्ट किया, जिसने हर अप्रवासी की नींद उड़ा दी। उस पोस्ट में साफ लिखा है—"ग्रीन कार्ड और वीजा रद्द कर दिए जाएंगे, अगर कोई विदेशी कानून तोड़ता है।" USCIS का कहना है कि अमेरिका में रहना कोई जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है। यह एक ‘विशेषाधिकार’ है, जिसे तभी तक बरकरार रखा जाएगा जब तक आप अमेरिका के कानूनों और मूल्यों का सम्मान करते हैं। इसमें आतंकवाद का समर्थन करना, हिंसा की वकालत करना या ऐसे विचार फैलाना भी शामिल है। इस पोस्ट ने उन लाखों भारतीयों को झकझोर दिया है जो अमेरिका में छात्र, कर्मचारी या स्थायी निवासी बनकर रह रहे हैं। यह चेतावनी सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट नहीं है—यह ट्रंप प्रशासन के उस रवैये का विस्तार है जो अप्रवासियों के लिए नियमों को लगातार सख्त करता जा रहा है।
'कैच एंड रिवोक' – अब सिर्फ गलती नहीं, सीधा निर्वासन!
USCIS की यह चेतावनी 'कैच एंड रिवोक' नामक नीति की पृष्ठभूमि में दी गई है, जिसे हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने लागू किया है। इसका मतलब साफ है—अगर किसी अप्रवासी पर कानून तोड़ने का आरोप भी लगता है, तो पहले पकड़ा जाएगा और फिर तुरंत उसका वीजा या ग्रीन कार्ड रद्द किया जा सकता है। यह कोई सामान्य चेतावनी नहीं है, बल्कि एक प्रकार की 'सुपर सर्जिकल स्ट्राइक' है उन सभी पर जो अमेरिका के नियमों को हल्के में लेते हैं। USCIS ने यह भी साफ किया है कि जिन लोगों पर ये कार्रवाई होगी, उन्हें अमेरिका से डिपोर्ट किया जाएगा और भविष्य में फिर से अमेरिका आने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी।
भारतीयों के लिए खतरे की घंटी!
भारत के लाखों नागरिक अमेरिका में H1-B वीजा, स्टूडेंट वीजा या ग्रीन कार्ड पर रह रहे हैं। बीते महीने, अमेरिकी दूतावास ने नई दिल्ली से एक और चेतावनी जारी की थी—"वीजा पर आने वाले लोग अपनी निर्धारित अवधि से ज्यादा न रुकें, नहीं तो पूरी जिंदगी के लिए बैन झेलना पड़ेगा।" यह संदेश भारत के लिए बेहद गंभीर है, क्योंकि भारत उन शीर्ष देशों में शामिल है जिनके नागरिक सबसे बड़ी संख्या में अमेरिका में अप्रवासी के रूप में रहते हैं। लाखों भारतीय छात्रों और IT पेशेवरों की अमेरिकी धरती पर मौजूदगी अब ट्रंप प्रशासन की नीतियों के बीच फंसी हुई है।
ट्रंप प्रशासन की ‘हिंदुस्तान पर टेढ़ी नज़र’?
हालांकि USCIS ने अपने पोस्ट में किसी देश विशेष का नाम नहीं लिया, लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में साफ कहा था—"वीजा कोई अधिकार नहीं है, यह एक विशेषाधिकार है जो सिर्फ उन्हीं को मिलेगा जो अमेरिका के कानूनों का सम्मान करेंगे।" रुबियो ने कहा कि ट्रंप प्रशासन अप्रवासियों के प्रति सख्त रहेगा और किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी। ऐसे में साफ है कि अमेरिका में भारतीयों को भी अब पहले से कहीं ज्यादा सतर्क और नियमों के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है।
क्या अब ‘अमेरिकन ड्रीम’ भी खतरे में है?
जिस अमेरिकन ड्रीम को लेकर भारतीय युवा दिन-रात मेहनत करते हैं, GRE, TOEFL, H1-B की तैयारी में सालों लगा देते हैं—अब वही सपना खतरे में है। एक गलती, एक बयान, एक शेयर किया गया पोस्ट या किसी विवादास्पद संगठन से जुड़ाव आपकी अमेरिका में ज़िंदगी को पलभर में तबाह कर सकता है। यह खबर सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि एक अलार्म है उन लाखों भारतीयों के लिए जो अमेरिका में रह रहे हैं या वहां जाने की योजना बना रहे हैं। क्योंकि अब अमेरिका की धरती पर हर कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा—कहीं अगला निशाना आप न बन जाएं। तो क्या अब अमेरिका में रहना सौभाग्य नहीं, एक अनिश्चित संघर्ष बन चुका है? क्या ट्रंप प्रशासन की यह नीति भारत-अमेरिका संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है? और सबसे बड़ा सवाल—क्या अब 'वीजा' सिर्फ एक कागज़ नहीं, बल्कि 'तलवार की धार' बन चुका है?
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