TRENDING TAGS :
'विक्ट्री डे परेड' में दिखी चीन धौंस, जिनपिंग ने ट्रंप को दी चेतवानी, कहा- "दादागिरी नहीं चलेगी"
चीन की विक्ट्री डे परेड में शी जिनपिंग ने अमेरिका को चेतावनी दी और अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया।
China Victory Day Parade: दूसरे विश्वयुद्ध में जापान पर चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर बीजिंग में एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन हुआ। तियानमेन चौक पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस विशाल शक्ति प्रदर्शन की सलामी ली। लेकिन यह सिर्फ एक सैन्य परेड नहीं थी, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक सीधा और कड़ा कूटनीतिक संदेश भी था। जिनपिंग ने बिना अमेरिका का नाम लिए ही यह साफ कर दिया कि चीन किसी की धमकियों से डरने वाला नहीं है और दुनिया को दादागिरी से नहीं चलाया जा सकता।
जिनपिंग का शांति मंत्र: 'मिलजुलकर काम करो'
अपने संबोधन में शी जिनपिंग ने पूरी दुनिया को शांति और सहयोग का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि "इंसान एक ही प्लैनेट पर रहते हैं इसलिए हमें मिलकर काम करना चाहिए और मिलजुलकर शांति से रहना चाहिए।" यह बयान ट्रंप की उस नीति के ठीक उलट है, जिसमें 'अमेरिका फर्स्ट' का नारा दिया जाता है और टैरिफ जैसे कदमों से व्यापार युद्ध छेड़ा जाता है। जिनपिंग ने आगे कहा, "यह दुनिया वापस जंगल राज में नहीं लौटनी चाहिए, जहां छोटे और कमजोर देशों को बड़े देश धमकाते रहे और दादागिरी करते रहे।" यह साफ तौर पर ट्रंप की व्यापारिक नीतियों और वैश्विक दादागिरी पर एक अप्रत्यक्ष हमला था।जिनपिंग ने मानवता को शांति या युद्ध, बातचीत या टकराव और सबके लिए लाभ या नुकसान के बीच रास्ता चुनने की सलाह दी। यह बयान न केवल अमेरिकी टैरिफ नीतियों पर एक टिप्पणी थी, बल्कि यह चीन के नेतृत्व में एक नई वैश्विक व्यवस्था की वकालत भी थी, जो पश्चिमी देशों के वर्चस्व से परे हो।
कूटनीतिक संदेश: ताकतवर दोस्तों का जमावड़ा
इस परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन जैसे कई वैश्विक नेताओं की मौजूदगी ने इस आयोजन को एक कूटनीतिक शक्ति प्रदर्शन बना दिया। इन नेताओं की उपस्थिति को अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ एकजुटता के प्रतीक के रूप में देखा गया। चीन ने इस मंच का उपयोग अपनी बढ़ती सैन्य और वैश्विक ताकत को दिखाने के लिए किया, और यह संदेश दिया कि उसके पास ऐसे सहयोगी हैं जो अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए तैयार हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग हलाइंग और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको जैसे नेता भी इस परेड में मौजूद थे, जो चीन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं। यूरोप से भी स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री और सर्बिया के राष्ट्रपति जैसे नेताओं की मौजूदगी यह दिखाती है कि चीन पश्चिमी देशों में भी अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है।
चीन का 'शांतिपूर्ण विकास': एक नया नारा
शी जिनपिंग ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि चीन शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर कायम रहेगा। उन्होंने सभी देशों से एक-दूसरे का ध्यान रखने और मदद करने की अपील की ताकि युद्ध जैसी त्रासदियों से बचा जा सके। यह संदेश चीन की उस छवि को मजबूत करने की कोशिश है, जिसमें उसे एक जिम्मेदार और शांतिपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जाता है। हालांकि, दक्षिण चीन सागर और ताइवान जैसे मुद्दों पर चीन का रुख अक्सर आक्रामक रहा है, लेकिन इस परेड में दिया गया शांति का संदेश एक विरोधाभास पैदा करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन अपने शब्दों को अपने कार्यों में कैसे बदलता है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!