अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ीं, ED ने ₹3,000 करोड़ लोन घोटाले मामले पर मारी रेड, 50 कंपनियों की जांच जारी

ED Raid in Loan Fraud: ED की छापेमारी, 50 कंपनियाँ और 25 व्यक्ति जांच के घेरे में, ₹3,000 करोड़ की गड़बड़ी का शक।

Sonal Girhepunje
Published on: 24 July 2025 12:06 PM IST (Updated on: 24 July 2025 12:49 PM IST)
ED Raid in Loan Fraud: Anil Ambani की 50 कंपनियों पर छापा
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ED Raid in Loan Fraud: Anil Ambani की 50 कंपनियों पर छापा (Photo - Social Media)

ED Raid in Loan Fraud: ED ने बुधवार को अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप (RAAGA कंपनियों) से जुड़ी लगभग 50 जगहों और 35 परिसरों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई ₹3,000 करोड़ के कथित Yes Bank लोन घोटाले की जांच के तहत की गई। यह मामला 2017 से 2019 के बीच दिए गए लोन को लेकर है, जहां आरोप है कि इन लोन को शेल कंपनियों और समूह की अन्य इकाइयों में डायवर्ट किया गया। जांच में सामने आया कि Yes Bank द्वारा कई कंपनियों को बिना उचित जांच के लोन दिया गया, जिनकी वित्तीय स्थिति बेहद कमजोर थी। कुछ मामलों में तो लोन स्वीकृति से पहले ही रकम जारी कर दी गई थी। एजेंसी को ऐसे सबूत भी मिले हैं जिनसे संकेत मिलता है कि बैंक के अधिकारियों को रिश्वत दी गई हो सकती है। लोन प्रोसेस में गंभीर खामियां जैसे बैकडेटेड दस्तावेज, लोन की शर्तों का उल्लंघन और खातों की ‘एवरग्रीनिंग’ जैसी रणनीति अपनाई गई थी। फिलहाल ED की नजर 50 से अधिक कंपनियों और 25 व्यक्तियों पर है। SEBI ने रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) की जांच में भी गंभीर गड़बड़ियाँ पाई हैं, जहां एक साल में कंपनी का कॉरपोरेट लोन बुक दोगुना हो गया था। ED अब जांच को आगे बढ़ा रही है।

लोन की राशि फर्जी कंपनियों तक पहुंचाई गई :

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि Yes Bank द्वारा स्वीकृत किए गए लगभग ₹3,000 करोड़ के लोन को फर्जी या शेल कंपनियों में ट्रांसफर किया गया। ये कंपनियाँ कथित रूप से रिलायंस ग्रुप (RAAGA कंपनियाँ) से जुड़ी थीं। ED को यह भी संकेत मिले हैं कि बैंक अधिकारियों, यहां तक कि प्रमोटर स्तर तक रिश्वत दी गई हो सकती है। जांच में यह बात भी उजागर हुई है कि बैंक ने लोन स्वीकृति की प्रक्रिया में भारी लापरवाही बरती। कई मामलों में लोन स्वीकृति के दस्तावेज पुराने दिनांक में तैयार किए गए थे। कुछ कंपनियों को बिना किसी उचित वित्तीय जांच के लोन दे दिए गए। कई कंपनियों में एक ही जैसे निदेशक पाए गए, जिससे यह संदेह और मजबूत हो गया कि ये संस्थाएं एक ही समूह के नियंत्रण में थीं।

Yes Bank की लोन प्रक्रिया में गंभीर खामियाँ :

प्रवर्तन निदेशालय ने Yes Bank की लोन मंजूरी प्रक्रिया में कई गड़बड़ियाँ उजागर की हैं। कुछ मामलों में देखा गया कि लोन की राशि उसी दिन या उससे पहले ही जारी कर दी गई जिस दिन लोन स्वीकृत किया गया। यह बैंकिंग नियमों का सीधा उल्लंघन है। इसके अलावा, जांच में ‘एवरग्रीनिंग ऑफ अकाउंट्स’ यानी पुराने लोन को नया लोन देकर चालू दिखाने की रणनीति का भी खुलासा हुआ है। इससे बैंक की बैलेंस शीट कृत्रिम रूप से मजबूत दिखाई गई। एजेंसी ने बताया कि इस तरह की गतिविधियाँ लोन बुक की वास्तविक स्थिति को छुपाने के लिए की जाती हैं।

RHFL पर भी शक की निगाह, 50 कंपनियाँ और 25 व्यक्ति जांच के दायरे में :

ED की जांच केवल Yes Bank और RAAGA कंपनियों तक सीमित नहीं है। सेबी ने भी रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से संबंधित कुछ अहम दस्तावेज जांच एजेंसी को सौंपे हैं। इसमें पाया गया कि एक ही साल में RHFL का कॉरपोरेट लोन पोर्टफोलियो दोगुना हो गया था, जो सामान्य बैंकिंग प्रक्रिया से मेल नहीं खाता। इस बढ़ोत्तरी के पीछे लोन प्रक्रिया में गंभीर उल्लंघनों और आंतरिक नियंत्रण की कमी की आशंका जताई जा रही है। ED के अनुसार, 50 से अधिक कंपनियाँ और 25 व्यक्ति फिलहाल इस मामले में जांच के दायरे में हैं। यह कार्रवाई दर्शाती है कि ₹3,000 करोड़ का यह मामला केवल वित्तीय अनियमितताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें संस्थागत स्तर पर मिलीभगत और सुनियोजित मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका भी शामिल है। जांच एजेंसी अब सभी संबंधित दस्तावेजों, ईमेल कम्युनिकेशन, बैंक ट्रांजैक्शनों और कॉरपोरेट रिकॉर्ड्स की गहराई से पड़ताल कर रही है।

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