GST Reforms india 2025: क्या है GST 2.0! डिटेल में जाने सस्ते और महंगे की जानकारी

GST Reforms india 2025: जीएसटी की नई दरें ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं पर 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी

Shivani Jawanjal
Published on: 4 Sept 2025 2:42 PM IST
GST Reforms india 2025
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GST Reforms india 2025

GST Reforms india 2025: भारत में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को सबसे बड़ा कर सुधार माना गया है जो 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। जिसमे देश के सभी अप्रत्यक्ष करों को एक यूनिफाइड सिस्टम में समाहित किया गया। लेकिन हाल ही में सरकार द्वारा इसमें अहम बदलाव किए गए हैं और जिसके अंतर्गत अब जीएसटी सिर्फ दो मुख्य स्लैब 5% एवं 18% लागू होंगे। ऐसे में आम जनता के लिए यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है की आखिर GST है क्या? और इसमें हुए बदलावों का किसपर क्या असर होगा? इस लेख में हम GST से जुडी हर एक जानकारी सरल भाषा में जानेंगे ।

हाल में हुए बदलाव


सरकार ने आम जनता को प्री-दिवाली तोहफा देते हुए बड़ी राहत दी है। नई दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जिनमें टैक्स स्लैब कम करने का निर्णय सबसे बड़ा रहा। इसके बाद अब कई सामानों पर लगने वाला टैक्स घट जाएगा और कीमतें कम होंगी। ये नए जीएसटी रेट 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे। इस सुधार के तहत 100 से ज्यादा चीजों के दाम घटेंगे, खासकर जरूरी वस्तुओं, रोजमर्रा के सामान, कृषि उत्पादों और हेल्थ प्रोडक्ट्स पर टैक्स दर में कमी की गई है। इससे आम लोगों को रोजमर्रा की जरूरतें सस्ती मिलेंगी।

आखिर GST क्या है?

GST एक आधुनिक अप्रत्यक्ष कर है जो हर तरह की वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। पहले हर राज्य में अलग-अलग टैक्स जैसे वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स देना पड़ता था, जिससे व्यापार करना मुश्किल हो जाता था। GST आने के बाद ये सारे टैक्स एक साथ जुड़ गए और पूरे देश में एक जैसा टैक्स लगने लगा। इससे राज्यों के बीच माल और सेवाओं का लेन-देन आसान हो गया। उदाहरण के लिए अगर महाराष्ट्र से दिल्ली कोई सामान भेजना हो तो पहले दोनों राज्यों का टैक्स देना पड़ता था। लेकिन जीएसटी लागू करने के बाद, एक ही टैक्स देना होता है जिससे व्यापारियों और ग्राहकों दोनों को सुविधा मिलती है।

GST स्लैब में नए बदलाव और नई संरचना

शुरुआत में GST के पाँच अलग-अलग स्लैब 0%, 5%, 12%, 18% और 28% थे । इसमें जहाँ अनाज और दूध जैसी बुनियादी चीज़ें 0% पर थीं वहीं महंगी और लग्जरी वस्तुएँ 28% पर टैक्स की जाती थीं। लेकिन सितंबर 2025 में भारत सरकार ने बड़ा बदलाव किया जिसके तहत 12% व 28% स्लैब को खत्म कर दिया। अब केवल दो मुख्य स्लैब रह गए हैं - 5% और 18%। जिसमें तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट जैसी हानिकारक वस्तुओं पर 40% की विशेष दर लागू होगी। तथा रोजमर्रा के और आवश्यक सामान जैसे कपड़े, साबुन, जूते, टीवी, मोबाइल, कुछ दवाइयाँ और हेल्थ-लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स घटा दिया गया है। साथ ही ब्रेड, रोटी, पराठा और भारतीय बेकरी उत्पादों को पूरी तरह GST फ्री कर दिया गया है। जिससे आम जनता को राहत मिली है और जरूरी चीजें सस्ती हो गई हैं।

GST स्लैब तालिका

भारत में जीएसटी (GST) को अलग-अलग स्लैब में बांटा गया है ताकि अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर सही टैक्स लगाया जा सके। आइये इसे समझते है


0% - दूध, अनाज, ब्रेड, कैंसर की दवाएं

5% - दवाइयां, रोजमर्रा की चीजें, चश्मे और गॉगल्स

18% - इलेक्ट्रॉनिक्स, होटल सेवाएँ, एअर कंडीशनर और डिशवॉशर, टीवी और मॉनिटर,

40% - (विशेष) तंबाकू, पान मसाला, सिगरेट, कैसीनो, जुआ, घुड़दौड़, लॉटरी और ऑनलाइन मनी गेमिंग

क्या है GST कटौती और इसकी लागू होने की प्रक्रिया

जब हम कोई वस्तु या सेवा खरीदते हैं तो उसके बिल में जीएसटी (GST) शामिल होता है। जीएसटी के तीन प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित है :

CGS - पहला है CGST (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर), जो एक ही राज्य में सामान या सेवा बिकने पर केंद्र सरकार को मिलता है।

SGST - दूसरा है SGST (राज्य वस्तु एवं सेवा कर), जो उसी राज्य में बिक्री होने पर राज्य सरकार को जाता है।

IGST - तीसरा है IGST (एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर), जो तब लगाया जाता है जब माल या सेवा एक राज्य से दूसरे राज्य या विदेश भेजी जाती है।

यह टैक्स केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है और बाद में संबंधित राज्यों को बांटा जाता है। इस तरह GST से टैक्स सिस्टम सरल और पारदर्शी बनता है।

GST में हुए बदलावों का क्या होगा असर?

अगर जीएसटी हटा दिया जाए तो देश फिर से पुराने राज्यों के अलग-अलग टैक्स सिस्टम में चला जाएगा। इससे टैक्स का ढांचा फिर जटिल हो जाएगा और व्यापार करना मुश्किल हो सकता है। महंगाई बढ़ने, टैक्स चोरी और भ्रम जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। हालांकि कुछ सामान सस्ता हो सकता है अगर राज्य अपने टैक्स कम रखें। लेकिन कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार को नुकसान होने की संभावना ज्यादा है।

2025 के बदलाव, क्या है फायदे और नुकसान

जीएसटी लागू होने से रोज़मर्रा के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयाँ, बीमा, कपड़े आदि जैसे 400 से ज्यादा चीजों पर टैक्स कम हो गया है, जिससे ये अब पहले से सस्ती हो गई हैं। बीमा सेवाओं पर जीएसटी शून्य होने से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस लेना भी किफायती हो गया है। कृषि, शिक्षा और हेल्थकेयर जैसे जरूरी क्षेत्रों को टैक्स में छूट देकर राहत दी गई है। व्यापार और उद्योगों के लिए टैक्स फाइल करना आसान बना दिया गया है। तथा टैक्स स्लैब कम कर दिए गए हैं और पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी हो गई है। पूरे देश में समान टैक्स दर होने से व्यापारिक माहौल बेहतर हुआ है, टैक्स चोरी कम हुई है और टैक्स संग्रह में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।

इसके अलावा इसके कई नुकसान भी है ।जीएसटी लागू होने से सरकार को हर साल लगभग ₹40,000 - 48,000 करोड़ तक राजस्व में कमी का अनुमान है, जिससे केंद्र और राज्यों के बीच तनाव भी बढ़ा है। कुछ उत्पादों जैसे तंबाकू, सिगरेट, ऑनलाइन गेमिंग और चुनिंदा वस्तुओं पर टैक्स 40% तक बढ़ा दिया गया है। छोटे व्यापारी और असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए नई टैक्स और आईटी प्रक्रिया अपनाना अभी भी मुश्किल हो रहा है। कई राज्यों ने अपने राजस्व घाटे की भरपाई के लिए केंद्र से मदद मांगी, लेकिन केंद्र ने पूरी तरह से सहमति नहीं दी, जिससे स्थिति और चुनौतीपूर्ण बन गई है।

GST के प्रमुख फायदे

पूरे भारत में एक समान टैक्स व्यवस्था होने से व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को सुविधा मिली है।

आधुनिक आईटी सिस्टम की वजह से टैक्स फाइलिंग अब तेज, आसान और पारदर्शी हो गई है।

इसके साथ ही टैक्स चोरी में कमी आई है और सरकार का राजस्व संग्रह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

GST से जुड़ी चुनौतियाँ

जीएसटी लागू होने के शुरुआती समय में कुछ वस्तुएं महंगी हो गईं, जिससे लोगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। छोटे कारोबारियों को नई तकनीकी प्रक्रिया समझने और अपनाने में मुश्किलें आईं। इन्वेंटरी और टैक्स प्रबंधन में भी तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा जिससे शुरुआत में व्यापारियों के लिए काम करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो गया।

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