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CyberPeace Index: यूजर्स की सुरक्षा और विश्वास को केंद्र में रखकर तैयार एक वैश्विक शांति सूचकांक, घोषणा यूएन इंटरनेट गवर्नेंस फोरम 2025 के दौरान नॉर्वे में हुई
CyberPeace Index: यह सूचकांक देशों द्वारा अपने नागरिकों की ऑनलाइन सुरक्षा के तरीकों पर केंद्रित है, जबकि मौजूदा सूचकांक आमतौर पर साइबर क्षमताओं, तकनीकी बुनियादी ढांचे और भू-राजनीतिक प्रभाव पर ध्यान देते हैं
CyberPeace Index (photo; social media )
CyberPeace Index: जब रैनसमवेयर और डेटा की चोरी से लेकर गलत सूचना के तेजी से फैलने और डीपफेक जैसी नई चुनौतियों तक, साइबर खतरे हर दिन अधिक व्यापक और जटिल होते जा रहे हैं, ऐसे समय में दुनिया भर में यह जरूरत महसूस की जा रही है कि देशों की डिजिटल तैयारी का मूल्यांकन किया जाए । लेकिन अब तक प्रचलित वैश्विक सूचकांक अधिकतर देशों की साइबर क्षमता, तैयारियों के आकलन और आतंकवाद जैसे पहलुओं पर ही केंद्रित रहे हैं ।
इसी खामी को दूर करने के लिए साइबरपीस फाउंडेशन ने साइबरपीस इंडेक्स की घोषणा की है । यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (आईजीएफ) 2025 के दौरान नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में की गई । यह नया ग्लोबल फ्रेमवर्क साइबर इकोसिस्टम के मूल्यांकन की दिशा को पूरी तरह से बदल देगा । अब फोकस ताकत और तैयारी पर नहीं, बल्कि डिजिटल विश्वास, सुरक्षा और नागरिकों की भलाई पर होगा ।
इस इंडेक्स के मूल में एक 10-स्तंभों वाला ढांचा है, जो किसी भी देश को व्यापक और संतुलित नजरिए से आंकता है। ये स्तंभ हैं साइबर सुरक्षा की तैयारी, साइबर अपराध से निपटने की क्षमता, डिजिटल कूटनीति में शांति का दृष्टिकोण, साइबर साक्षरता व समावेशन, सार्वजनिक-निजी सहभागिता, उत्तरदायी कृत्रिम मेधा (एआई) संचालन, मानसिक-सामाजिक दृढ़ता और सबसे महत्वपूर्ण यूजर का विश्वास और डिजिटल सुरक्षा । इस संरचना का उद्देश्य यह देखना है कि एक देश अपने नागरिकों के लिए कितना सुरक्षित, समावेशी और विश्वसनीय डिजिटल वातावरण तैयार कर पा रहा है ।
साइबरपीस फाउंडेशन के संस्थापक एवं वैश्विक अध्यक्ष विनीत कुमार ने कहा, ‘‘यह इंडेक्स एक व्यापक और विविध हितधारकों के दृष्टिकोण से विकसित किया जा रहा है । हमने दुनियाभर के चर्चित सूचकांकों से प्रेरणा ली है, लेकिन उन पहलुओं को जोड़ा है, जिन्हें अब तक अनदेखा किया गया । जैसे नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा, भरोसे का माहौल और तकनीकी नैतिकता का पालन । जब साइबर खतरे इतने पेचीदा हो गए हैं, तो अब जरूरत है शांति को मापने की, न कि सिर्फ ताकत को. यह इंडेक्स नागरिकों को विमर्श के केंद्र में वापस लाता है।’’
यह इंडेक्स एक बहु-आयामी और नैतिकता-आधारित मॉडल के रूप में तैयार हो रहा है, जो यह जांच करेगा कि कोई देश साइबर अपराध को रोकने, गलत सूचनाओं को नियंत्रित करने और यूजर्स को धोखाधड़ी व डीपफेक जैसे नए खतरों से सुरक्षित रखने में कितना सक्षम है । यह सरकारों, कंपनियों और नागरिक संगठनों के लिए एक उपयोगी टूल बनेगा, जिससे वे अपनी नीतियों की जांच कर उन्हें बेहतर बना सकें ।
साइबरपीस फाउंडेशन आगामी महीनों में वैश्विक विशेषज्ञों और संबंधित हितधारकों से संवाद जारी रखेगा, ताकि इंडेक्स को और अधिक सटीक व प्रासंगिक बनाया जा सके. इसका प्रायोगिक संस्करण इसी साल जारी होने की उम्मीद है । इसका दीर्घकालीन लक्ष्य इसे दुनिया के लिए एक सालाना मानदंड के रूप में स्थापित करना है, जो नीति-निर्धारण में सहायक हो और दुनिया भर के डिजिटल नागरिकों को सशक्त बनाए ।
साइबरपीस इंडेक्स की भारत के लिए प्रासंगिकता
1. भारत को साइबरपीस इंडेक्स की ज़रूरत क्यों है?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और 85 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूज़र्स के साथ सबसे ज्यादा कनेक्टेड देशों में से एक है। लेकिन यह डिजिटल विकास अपने साथ कई बड़ी चुनौतियाँ भी लाता है — जैसे बढ़ते साइबर अटैक, गलत जानकारी, डीपफेक और ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर ख़तरे, खासकर महिलाओं, बच्चों और वंचित समुदायों के लिए।
आज के इंडेक्स साइबर ताकत और बुनियादी ढांचे पर केंद्रित हैं, लेकिन आम भारतीय नागरिकों — जैसे महिलाएं, बच्चे, ग्रामीण उपयोगकर्ता या उपेक्षित समूह — के अनुभवों को नहीं दर्शाते। साइबरपीस इंडेक्स भारत को एक ऐसा नागरिक-केंद्रित, भरोसे पर आधारित मानक देता है जिससे हम अपने साइबर स्वास्थ्य को समग्र रूप से सुधार सकते हैं — न केवल तकनीकी दृष्टि से, बल्कि यह कितना सुरक्षित, नैतिक, समावेशी और शांतिपूर्ण है, इसे भी माप सकते हैं।
2. वैश्विक इंडेक्स ताकत को क्यों प्राथमिकता देते हैं, और यह भारत के लिए समस्या क्यों है?
अधिकतर ग्लोबल इंडेक्स (जैसे नेशन साइबर पावर इंडेक्स) निम्नलिखित को प्राथमिकता देते हैं:
• आक्रामक साइबर क्षमताएं
• सैन्य स्तर की तैयारी
• भूराजनीतिक प्रभाव
यह सोच भारत जैसे देशों की सच्चाई को नज़रअंदाज़ करती है, जहां डिजिटल भागीदारी का स्केल बहुत बड़ा है।
भारत की डिजिटल रणनीति डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI), डेटा फॉर डेवलपमेंट और समावेशी पहुंच पर आधारित है। हमें ऐसा इंडेक्स चाहिए जो सिर्फ साइबर ताकत ही नहीं, बल्कि नैतिक नेतृत्व, सहयोग और शांति निर्माण जैसे मूल्यों को भी महत्व दे — जो भारत हमेशा वैश्विक मंचों पर लाता रहा है।
3. वर्तमान इंडेक्स नागरिकों के भरोसे और सुरक्षा को नहीं मापते। साइबरपीस इंडेक्स भारत में इसे कैसे सुधार सकता है?
यह इंडेक्स डिजिटल नागरिकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। भारत के संदर्भ में इसका मतलब है:
• यह मापेगा कि लोग ऑनलाइन कितना सुरक्षित महसूस करते हैं
• साइबर अपराध, धोखाधड़ी, बच्चों के शोषण और ऑनलाइन उत्पीड़न के लिए शिकायत निवारण प्रणाली कैसी है
• क्षेत्रीय भाषाओं में डिजिटल शिकायत समाधान तक पहुंच कैसी है
• सरकार और प्लेटफॉर्म्स के ट्रस्ट और सेफ्टी प्रोटोकॉल कैसे काम कर रहे हैं
यह रियल-टाइम डेटा, नागरिक सर्वेक्षण और प्लेटफॉर्म डिस्क्लोज़र्स के ज़रिए आकलन करेगा कि भारत कहां खड़ा है और किस क्षेत्र में तुरंत सुधार की ज़रूरत है।
4. नागरिक-केंद्रित, नैतिकता-आधारित और शांति-केंद्रित मॉडल भारत के लिए क्या मायने रखता है?
यह मॉडल भारत के संवैधानिक मूल्यों और डिजिटल इंडिया की सोच से मेल खाता है:
• नागरिक-केंद्रित: निगरानी या दमन के बजाय नागरिकों की पहुंच, सुरक्षा और सशक्तिकरण पर ज़ोर
• नैतिकता आधारित: तकनीक को अधिकारों, गरिमा और विविधता का सम्मान करना चाहिए
• शांति-केंद्रित: भारत साइबर विवादों का समाधान संवाद के ज़रिए चाहता है, ना कि डिजिटल संघर्ष के ज़रिए
उदाहरण के लिए, भारत में साइबर सुरक्षा की कई पहलें जमीनी स्तर की हैं — जो जागरूकता, सुरक्षा और नैतिक डिजिटल आचरण को बढ़ावा देती हैं। यह दिखाता है कि साइबर सुरक्षा सिर्फ फायरवॉल की बात नहीं है, बल्कि लोगों की भी है।
5. भारत सहित 5 देशों में पायलट लॉन्च में क्या होगा?
पायलट चरण में निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
• 5 अलग-अलग देशों में स्कोरिंग मॉडल की टेस्टिंग
• भारत में नीति निर्माताओं, साइबर सुरक्षा एजेंसियों, अकादमिक संस्थानों और नागरिक समाज की भागीदारी
• भारतीय डेटा और नीतियों के साथ एक ओपन डैशबोर्ड प्रोटोटाइप का लॉन्च
• देश की साइबर शांति प्रोफाइल को सत्यापित करने के लिए क्षेत्रीय कार्यशालाएं और सामुदायिक परामर्श
इससे यह सुनिश्चित होगा कि फाइनल इंडेक्स भारत की हकीकत को सही रूप से दर्शाए और ग्लोबल साउथ के अन्य देशों के लिए एक मॉडल बने।
6. IGF 2025 में साइबर सुरक्षा को लेकर भारत ने क्या खास बातें रखीं?
भारत ने ज़ोर दिया:
• सभी यूज़र्स के लिए सुरक्षित और समावेशी इंटरनेट के अधिकार पर
• AI गवर्नेंस, AI सुरक्षा, DPI और साइबर सुरक्षा स्किलिंग में नेतृत्व की भूमिका पर
• भारत के विभिन्न डिजिटल पहलों से मिले अनुभवों और सीख पर
• वैश्विक डिजिटल साउथ की आवाज़ को नीतियों में शामिल करने की ज़रूरत पर
7. क्या यह इंडेक्स भारत में साइबर खतरों को कम करने में मदद कर सकता है — नीति, चेतावनी या डिजिटल मजबूती के माध्यम से?
हाँ, साइबरपीस इंडेक्स भारत में साइबर खतरों को कम करने में मदद करेगा:
• रियल-टाइम साइबर खतरे की निगरानी और क्षेत्रीय ट्रेंड डैशबोर्ड से समय रहते चेतावनी
• नीति निर्माण में मार्गदर्शन देने के लिए मंत्रालयों और एजेंसियों के लिए बेंचमार्क टूल
• प्लेटफॉर्म अकाउंटबिलिटी स्कोरकार्ड जो सुरक्षा उपायों, शिकायत प्रणाली और दुरुपयोग रोकने को ट्रैक करेगा
• नागरिकों, पुलिस, शिक्षकों और समाज को साइबर मजबूती के लिए जोड़ना
यह इंडेक्स सिर्फ एक मापने का तरीका नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन सकता है — एक सुरक्षित, मजबूत और शांतिपूर्ण इंटरनेट की ओर।
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