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अब नहीं बचेगा कोई आतंकी! राजनाथ सिंह - अमेरिकी रक्षा मंत्री की फोन कॉल से कांप उठा पाकिस्तान
Rajnath Singh and US defence secretary call: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के बीच जो बातचीत हुई, वो सिर्फ एक डिप्लोमैटिक कॉल नहीं थी, बल्कि एक संभावित भूचाल की आहट थी!
Rajnath Singh and US defence secretary call: 1 जुलाई की दोपहर, जब देश GST की सालगिरह मना रहा था, उसी वक्त भारत के रक्षा गलियारों में एक शांत लेकिन तूफानी हलचल चल रही थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के बीच जो बातचीत हुई, वो सिर्फ एक डिप्लोमैटिक कॉल नहीं थी, बल्कि एक संभावित भूचाल की आहट थी! भारत-अमेरिका की गुप्त रक्षा रणनीतियों पर हो रही ये चर्चा अब एक नए मोर्चे की ओर इशारा कर रही है — पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ निर्णायक अमेरिकी समर्थन! इस बातचीत की आधिकारिक जानकारी भले ही सोशल मीडिया पर "कूटनीतिक विनम्रता" में लपेट कर दी गई हो, लेकिन इसके पीछे का संदेश साफ है – भारत अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक मोर्चे पर अमेरिका के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ गठबंधन या पाकिस्तान के लिए आखिरी चेतावनी?
राजनाथ सिंह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा — "भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने और क्षमता निर्माण में सहयोग को ताकतवर बनाने के लिए चल रही और नई पहलों की समीक्षा करने के लिए शानदार चर्चा हुई। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को दिए गए अमेरिकी समर्थन की मैं सराहना करता हूं। जल्द ही उनसे मिलने की उम्मीद है।" यह ट्वीट जितना सीधा दिखता है, इसके अंदर छिपे संकेत उतने ही चौंकाने वाले हैं। दरअसल, ये वही समय है जब पाकिस्तान की सीमा पार से हो रहे हमलों को लेकर भारत में भारी नाराजगी है। पहलगाम आतंकी हमला और उसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य कार्रवाई इस बात की मिसाल हैं कि भारत अब इंतजार नहीं करता — अब जवाब देता है।
डिफेंस डील या खुफिया जाल?
इस कॉल की खास बात यह थी कि यह सिर्फ औपचारिक नहीं थी। पिछले 10 वर्षों के लिए भारत-अमेरिका के बीच एक व्यापक रक्षा सहयोग फ्रेमवर्क पर चर्चा की गई, जिसमें निम्नलिखित संभावनाएं खुलती हैं:
संयुक्त खुफिया साझा प्रणाली जो आतंकी कैंपों को पहले से ट्रैक कर सके
डिफेंस इनोवेशन और टेक्नोलॉजी एक्सचेंज, ताकि भारत अपनी स्वदेशी तकनीक को अमेरिकी हथियारों की ताकत से मिला सके
लॉजिस्टिक्स सपोर्ट जो किसी भी समय सीमाओं पर अमेरिका से तत्काल मदद उपलब्ध करा सके
ऐसा माना जा रहा है कि इस बातचीत में अमेरिकी PREDATOR ड्रोन, लॉन्ग रेंज मिसाइल सिस्टम और साइबर वॉरफेयर सहयोग जैसे मुद्दों पर भी गहन चर्चा हुई है। इसका सीधा मतलब है — भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देगा, पहले से तैयार बैठा होगा!
पहलगाम हमला बना था टर्निंग पॉइंट!
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो आतंकवादी हमला हुआ, उसने भारत को फिर से एक क्रॉस-बॉर्डर मिशन के लिए मजबूर कर दिया था। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकी लॉन्च पैड्स पर जबरदस्त बमबारी की थी। ऐसे में भारत को अमेरिका का सार्वजनिक समर्थन न केवल राजनयिक बल्कि रणनीतिक मजबूती भी देता है। हेगसेथ और राजनाथ के बीच इससे पहले फरवरी में जो बातचीत हुई थी, वो एक बड़ी रणनीतिक योजना का नींव मानी जा रही थी। लेकिन अब जब आतंकी हमले फिर तेज़ हुए हैं, अमेरिका ने भी साफ कर दिया है — भारत अकेला नहीं है!
क्या अमेरिका भारत के लिए मैदान में उतरेगा?
भारत और अमेरिका के रक्षा रिश्तों में नया आयाम जुड़ा है। अब बात सिर्फ डिफेंस खरीद की नहीं, बल्कि सामरिक एकजुटता की हो रही है। चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से लड़ाई के लिए अमेरिका अब भारत को ‘रणनीतिक साझेदार’ मानता है। अमेरिका के इस बदलाव से चीन और पाकिस्तान दोनों की नींद उड़ चुकी है।
क्या आगे और भी कुछ बड़ा होने वाला है?
सूत्रों की मानें तो राजनाथ सिंह और हेगसेथ की अगली मुलाकात संभवतः अगले महीने अमेरिका या भारत में हो सकती है। यह बैठक सिर्फ दो नेताओं की मुलाकात नहीं होगी, बल्कि भारत और अमेरिका की संयुक्त रणनीतिक योजना का एलान हो सकता है। ऐसी चर्चाएं हैं कि इसमें हथियार निर्माण, टेक ट्रांसफर और संयुक्त मिलिट्री ऑपरेशन पर भी मुहर लग सकती है।
पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी?
भारत और अमेरिका के बीच इस बढ़ते सैन्य गठबंधन से सबसे ज्यादा घबराहट पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठनों में देखी जा रही है। पाकिस्तान भले ही दुनिया के सामने ‘शांति का दूत’ बनने का दिखावा करे, लेकिन अब उसके पाले हुए भेड़िए भारत और अमेरिका के रडार पर हैं। राजनाथ सिंह की इस चुपचाप बातचीत ने एक बात तो साफ कर दी है — अब सिर्फ कूटनीति नहीं, ज़रूरत पड़ी तो दुश्मन के घर में घुसकर जवाब मिलेगा! अगर आप चाहें तो इसी रिपोर्ट का 1000 शब्दों वाला विस्तार भी दिया जा सकता है, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम हमला और भारत-अमेरिका मिलिट्री डील्स के अंदर की कहानियां शामिल हों।
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