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भारत में हवाई हादसों में 14% की वृद्धि, 320 से अधिक मौतें : RTI से खुलासा
Air Accidents in India Increased: आकड़ों द्वारा भारत की विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठें हैं साथ ही ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी में जारी कर्मचारी संकट की भी पोल खोलते हैं।
Air Accidents in India Increased (Image Credit-Social Media)
नई दिल्ली। एक सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी में भारत में पिछले पांच वर्षों में हवाई हादसों में 14.29% की चिंताजनक वृद्धि का खुलासा हुआ है। इन हादसों में 320 से अधिक लोगों की मौत और लगभग 180 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। भास्कर इंग्लिश की रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़े न सिर्फ भारत की विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाते हैं, बल्कि ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) में जारी कर्मचारी संकट की भी पोल खोलते हैं।
2020 से 2025 तक 53 हवाई हादसे
RTI में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2020 से 2025 के बीच भारत में कुल 53 हवाई हादसे दर्ज किए गए, जिनमें से सबसे भयावह हादसा 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुआ एयर इंडिया की एक उड़ान का था। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान ने उड़ान भरते ही संतुलन खो दिया और एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर गिर पड़ा, जिससे यह भारत के हालिया इतिहास का सबसे घातक हवाई हादसा बन गया। इस दुर्घटना में 241 यात्री और क्रू मेंबर मारे गए, जबकि 29 लोग ज़मीन पर मारे गए। केवल एक व्यक्ति जीवित बचा।
हादसों के बार-बार होने वाले स्थान
RTI के आंकड़ों में कुछ बार-बार हादसों वाले स्थानों की भी पहचान की गई है। उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में पिछले पाँच वर्षों में तीन घातक हेलिकॉप्टर हादसे हुए हैं, जिनका कारण हिमालयी क्षेत्र की कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ और अनियमित मौसम बताया गया है। मुंबई, जो देश का प्रमुख विमानन केंद्र है, वहां भी कई हादसे दर्ज हुए, विशेष रूप से प्रशिक्षण उड़ानों और छोटे विमानों में।
4,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान
इन हवाई हादसों का आर्थिक नुकसान भी बहुत भारी है। कुल संपत्ति और विमानन क्षति 4,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। केवल अहमदाबाद हादसे में ही 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
BCAS में 38% स्टाफ की कमी
इन समस्याओं को और भी गंभीर बनाता है भारत की विमानन सुरक्षा एजेंसी BCAS में जारी कर्मचारी संकट। 30 जून 2025 तक, BCAS में 598 स्वीकृत पदों में से 227 पद खाली हैं, यानी 38% स्टाफ की कमी। यह स्थिति लगातार चार वर्षों से बनी हुई है, जिससे तेजी से बढ़ते भारतीय विमानन क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने की एजेंसी की क्षमता पर गंभीर संदेह पैदा हो गया है। RTI में यह भी खुलासा हुआ है कि पिछले छह महीनों में यह संकट और गहराया है, भले ही कुछ पदों की स्वीकृति बढ़ाई गई हो।
अहमदाबाद हादसे के बाद बढ़ी जांच
अहमदाबाद हादसे के बाद भारत की विमानन सुरक्षा प्रणाली पर गहन नजर डाली जा रही है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह संकेत मिला है कि क्रैश से ठीक पहले दोनों इंजनों को ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई थी, लेकिन यह तकनीकी खामी थी या मानवीय त्रुटि, यह जांच का विषय बना हुआ है। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की बरामदगी से इस दुर्घटना के कारणों पर महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है। इस जांच में भारत की एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो, अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और ब्रिटेन के विशेषज्ञ शामिल हैं।
प्रणालीगत समस्याएं और पायलट प्रशिक्षण की कमी
विमानन विशेषज्ञों ने इन हादसों के पीछे कई प्रणालीगत खामियों की ओर इशारा किया है, जैसे कि उच्च जोखिम वाले मार्गों के लिए पायलट प्रशिक्षण की कमी, और नियामक संस्थाओं व ऑपरेटरों के बीच विश्वास की कमी। पूर्व पायलट अमित सिंह ने कहा कि यह हादसा “अप्रत्याशित नहीं था”, क्योंकि छोटे हादसों की श्रृंखला पहले से ही बड़े हादसे की ओर इशारा कर रही थी। सरकार ने प्रतिक्रिया में एयर इंडिया के बोइंग 787 बेड़े की जांच के आदेश दिए हैं और एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो नई सुरक्षा नीतियों की सिफारिश करेगी।
यह रिपोर्ट न केवल भारत के विमानन क्षेत्र की तेज़ी से बढ़ती संरचना की पोल खोलती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि यदि समय रहते सुरक्षा, प्रशिक्षण और स्टाफिंग जैसे मुद्दों को नहीं सुलझाया गया, तो भारत को और अधिक हवाई त्रासदियों का सामना करना पड़ सकता है।
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