Human Body Organs: क्या इन अंगों के बिना भी इंसान रह सकता है जिंदा?

Can Humans Survive Without Organs: वे कौन से 10 अंग हैं जिनके बिना भी इंसान जिंदा रह सकता है...

Shivani Jawanjal
Published on: 4 Sept 2025 1:20 PM IST
Can Humans Survive Without Organs
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Can Humans Survive Without Organs (Photo - Social Media)

Can Humans Survive Without Organs: हमारा शरीर एक कमाल की मशीन है जिसमें कई अंग और हिस्से मिलकर काम करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम अपने कुछ अंगों के बिना भी बिल्कुल ठीक रह सकते हैं? यह सुनने में हैरानी होती है, लेकिन यह सच है। आज के समय में मेडिकल साइंस ने यह साबित कर दिया है कि कुछ खास अंगों के बिना भी इंसान सामान्य जीवन जी सकता है।

इस लेख में हम आसान भाषा में समझेंगे कि वे कौन से 10 अंग हैं जिनके बिना भी इंसान जिंदा रह सकता है और शरीर उनके बिना कैसे काम करता है।

अपेंडिक्स (Appendix)

अपेंडिक्स हमारे शरीर की बड़ी आंत के पास एक छोटी सी थैली जैसा हिस्सा होता है। इसमें ऐसे ऊतक होते हैं जो हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। यह हमारे पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को सुरक्षित रखता है, जिससे आंत का संतुलन ठीक रहता है। लेकिन अगर इसमें सूजन हो जाए जिसे अपेंडिसाइटिस कहते हैं, तो डॉक्टर इसे सर्जरी से निकाल देते हैं। अच्छी बात यह है कि अपेंडिक्स निकल जाने के बाद भी हमारे पाचन पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और हम बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकते हैं। यही वजह है कि इसका न होना हमारे जीवन के लिए खतरा नहीं है।

पित्ताशय (Gallbladder)

पित्ताशय हमारे लिवर के नीचे स्थित एक छोटा सा अंग होता है जो लिवर द्वारा बनाई गई पित्त (बाइल) को जमा करके रखता है। यह पित्त खाने में मौजूद वसा को पचाने में मदद करता है। जब हम वसा वाला खाना खाते हैं, तो पित्ताशय सिकुड़कर पित्त को छोटी आंत में छोड़ देता है, जिससे वसा आसानी से पच जाती है। लेकिन अगर पित्ताशय में पथरी बन जाए तो दर्द और तकलीफ होने लगती है, ऐसे में डॉक्टर इसे ऑपरेशन से निकाल देते हैं। पित्ताशय हटने के बाद भी लिवर पित्त बनाता रहता है जो सीधे आंत में जाकर वसा पचाने में मदद करता है। शुरू में हल्की पाचन समस्या हो सकती है लेकिन धीरे-धीरे शरीर इसकी आदत डाल लेता है और व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।

तिल्ली (Spleen)

तिल्ली हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो रक्त को साफ रखने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करती है। यह पुरानी और क्षतिग्रस्त लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करती है तथा नई कोशिकाओं के निर्माण में सहायता करती है। हालांकि यदि चोट या किसी बीमारी जैसे स्प्लेनोमेगाली, के कारण तिल्ली को हटाना पड़े तो भी इंसान जीवित रह सकता है। लेकिन तिल्ली के बिना शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति को संक्रमण से बचाव के लिए अतिरिक्त सावधानियाँ बरतनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह अनुसार जरूरी टीकाकरण कराना चाहिए। ताकि गंभीर बीमारियों का खतरा कम किया जा सके।

गुर्दा (Kidney)

मनुष्य के शरीर में दो गुर्दे होते हैं जो रक्त को शुद्ध कर विषैले तत्वों को बाहर निकालने के साथ-साथ द्रव संतुलन, इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण और रक्तचाप को नियमित रखने जैसे अहम कार्य करते हैं। यदि किसी कारणवश एक गुर्दा खराब हो जाए या किसी जरूरतमंद को दान कर दिया जाए, तब भी व्यक्ति सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकता है। ऐसे में शेष गुर्दा शरीर की पूरी शोधन प्रक्रिया संभाल लेता है लेकिन उसकी सेहत का विशेष ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। पर्याप्त पानी पीना, संतुलित आहार लेना और समय-समय पर चिकित्सीय जांच कराना गुर्दे को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पेट (Stomach)

कभी-कभी पेट में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए पूरे पेट को सर्जरी द्वारा निकालना पड़ता है जिसे गैस्ट्रेक्टोमी कहा जाता है। पेट हट जाने के बाद भोजन सीधे छोटी आंत से जुड़ जाता है, जिससे भोजन को संग्रहित करने और धीरे-धीरे पचाने की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। ऐसे मरीजों को दिन में कई बार छोटे-छोटे हिस्सों में भोजन करना जरूरी हो जाता है, ताकि शरीर पोषक तत्वों को सही तरीके से अवशोषित कर सके। शुरुआत में पाचन से जुड़ी कुछ समस्याएँ आ सकती हैं। लेकिन उचित आहार प्रबंधन और डॉक्टर की सलाह से जीवन को सामान्य रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है।

कोलन (Colon)

कोलन या बड़ी आंत का काम भोजन से पानी और नमक को अवशोषित करना और मल को संग्रहित कर बाहर निकालना होता है। लेकिन यदि कैंसर, गंभीर संक्रमण या अन्य कारणों से कोलन को सर्जरी द्वारा हटाना पड़े तो मल त्याग के लिए कोलोस्टोमी बैग का सहारा लिया जाता है। पेट की दीवार पर बनाए गए एक कृत्रिम छेद (स्टोमा) के माध्यम से यह बैग मल को इकट्ठा करता है और शरीर से बाहर निकालने का नया तरीका प्रदान करता है। शुरुआत में यह प्रक्रिया थोड़ी असुविधाजनक लग सकती है, लेकिन सही देखभाल, स्वच्छता और संतुलित जीवनशैली अपनाकर व्यक्ति सामान्य और स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है।

प्रजनन अंग (Reproductive Organs)

पुरुषों के वृषण और महिलाओं के अंडाशय प्रजनन क्षमता के लिए तो जरूरी हैं लेकिन जीवन के लिए अनिवार्य नहीं माने जाते। कैंसर, ट्यूमर या अन्य चिकित्सीय कारणों से इन्हें हटाना पड़ सकता है, जिससे संतान उत्पत्ति की क्षमता प्रभावित हो सकती है। फिर भी इनके बिना व्यक्ति की सामान्य शारीरिक क्रियाएँ जारी रहती हैं। हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने के लिए दवाइयाँ या हॉर्मोन थेरेपी दी जाती है, जिससे शरीर के अन्य महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित नहीं होते और व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।

थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid Gland)

थायरॉइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म यानी चयापचय को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कैंसर या हाइपरथायरॉइडिज्म जैसी बीमारियों में इसे सर्जरी द्वारा हटाना पड़ सकता है। थायरॉइड ग्रंथि के बिना भी व्यक्ति जीवित रह सकता है, लेकिन इसके लिए जीवन भर थायरॉइड हार्मोन की दवाइयाँ लेना जरूरी होता है, ताकि ऊर्जा उत्पादन, वृद्धि और तापमान नियंत्रण जैसी शारीरिक प्रक्रियाएँ सामान्य रूप से चलती रहें। नियमित दवा सेवन और चिकित्सक की निगरानी में व्यक्ति स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकता है।

मूत्राशय (Urinary Bladder)

मूत्राशय का मुख्य काम पेशाब को संग्रहित करना है लेकिन यदि ब्लैडर कैंसर जैसी गंभीर स्थिति में इसे सर्जरी द्वारा हटाना पड़े, तो डॉक्टर शरीर में नई थैली या कृत्रिम मार्ग बनाते हैं जिससे पेशाब बाहर निकल सके। यह स्थिति शुरू में जीवनशैली को थोड़ा कठिन बना सकती है लेकिन सही देखभाल और समय के साथ व्यक्ति इस बदलाव के साथ एडजस्ट कर लेता है। कई लोग मूत्राशय के बिना भी पूरी तरह सामान्य और सक्रिय जीवन जीते हैं और अपनी दिनचर्या को जारी रख पाते हैं।

एक फेफड़ा (One Lung)

मनुष्य के पास दो फेफड़े होते हैं लेकिन यदि किसी कारण से एक फेफड़े का बड़ा हिस्सा या पूरा फेफड़ा निकालना पड़ जाए, तब भी व्यक्ति जीवित रह सकता है। ऐसे में शेष फेफड़ा शरीर को आवश्यक ऑक्सीजन प्रदान करने का काम संभाल लेता है। हालांकि सांस लेने की क्षमता थोड़ी कम हो जाती है। इसलिए भारी व्यायाम, धूम्रपान और फेफड़ों पर दबाव डालने वाली गतिविधियों से बचना चाहिए। शुरुआत में सांस लेने में कुछ परेशानी हो सकती है, लेकिन समय के साथ शरीर इस बदलाव को स्वीकार कर लेता है और व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।

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