Henrik Dam Biography: विटामिन K की खोज करने वाले डेनिश वैज्ञानिक की जीवन कहानी

Henrik Dam Biography: हेनरिक डैम वह डेनिश वैज्ञानिक थे जिन्होंने विटामिन K की खोज कर...

Shivani Jawanjal
Published on: 29 Aug 2025 12:21 PM IST
Henrik Dam Biography
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Henrik Dam Biography

Henrik Dam Biography: मानव सभ्यता का विकास केवल तकनीक और आविष्कारों पर नहीं, बल्कि उन वैज्ञानिक खोजों पर भी आधारित है जिन्होंने मानव जीवन को अधिक स्वस्थ और दीर्घायु बनाया। 20वीं शताब्दी में पोषण विज्ञान (Nutrition Science) में अनेक महत्वपूर्ण खोजें हुईं जिनमें से एक क्रांतिकारी खोज थी विटामिन K का पता लगाना। इस खोज का श्रेय डेनमार्क के महान वैज्ञानिक हेनरिक डैम (Henrik Dam) को जाता है। हेनरिक डैम का नाम भले ही आम लोगों के बीच उतना प्रसिद्ध न हो, लेकिन विज्ञान और चिकित्सा की दुनिया में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने प्रयोगों के माध्यम से यह साबित किया कि रक्त का थक्का जमाने (Blood Clotting) के लिए एक विशेष विटामिन की आवश्यकता होती है, जिसे बाद में विटामिन K नाम दिया गया। इसी कार्य के लिए उन्हें 1943 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Physiology or Medicine) प्रदान किया गया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

हेनरिक डैम का जन्म 21 फरवरी 1895 को डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में हुआ था। उनके पिता एमिल डैम पेशे से औषध विक्रेता थे। डैम ने अपनी शिक्षा कोपेनहेगन पॉलिटेक्निक संस्थान (आज का डेनमार्क का तकनीकी विश्वविद्यालय) से पूरी की और 1920 में रसायन विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने रसायन विज्ञान और जैव-रसायन विज्ञान (बायोकैमिस्ट्री) के क्षेत्र में अध्यापन कार्य भी किया। अपने शोध कार्यों में उन्होंने वसा और स्टेरॉल्स (Sterols) पर विशेष ध्यान केंद्रित किया और यह समझने का प्रयास किया कि शरीर में वसा और कोलेस्ट्रॉल का महत्व केवल ऊर्जा का स्रोत भर नहीं है, बल्कि वे अनेक अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

वैज्ञानिक करियर की शुरुआत

1920 और 1930 के दशक में हेनरिक डैम ने चूजों पर विशेष प्रयोग किए, जिनमें उन्हें कोलेस्ट्रॉल-रहित आहार दिया गया। इन प्रयोगों के दौरान उन्होंने देखा कि ऐसे चूजों में असामान्य रूप से रक्तस्राव होने लगता है। शुरुआत में उन्होंने सोचा कि यह समस्या कोलेस्ट्रॉल की कमी के कारण है, लेकिन आगे के अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि इसका कारण कोई और अज्ञात तत्व है। यही अज्ञात तत्व आगे चलकर विटामिन K के रूप में पहचाना गया। इस खोज ने न केवल चिकित्सा विज्ञान में नई दिशा दी, बल्कि डैम को भी अमर बना दिया।

विटामिन K की खोज

हेनरिक डैम ने अपने अनुसंधान के दौरान यह पाया कि चूजों में होने वाला असामान्य रक्तस्राव वास्तव में एक नए पोषक तत्व की कमी के कारण होता है। उन्होंने इस तत्व को 'कोएगुलेशन विटामिन' (Koagulations Vitamin) नाम दिया। चूँकि डेनिश भाषा में 'Koagulation' शब्द की शुरुआत 'K' से होती है, इसलिए इसे विटामिन K कहा गया। यह विटामिन रक्त के थक्के जमाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डैम की इस खोज ने न केवल पोषण विज्ञान में एक नया अध्याय जोड़ा, बल्कि चिकित्सा शास्त्र को भी नई दिशा दी।

नोबेल पुरस्कार और मान्यता

सन् 1943 में हेनरिक डैम को शरीर क्रिया विज्ञान या चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्होंने अमेरिकी वैज्ञानिक एडवर्ड डॉइस के साथ साझा किया, जिन्होंने विटामिन K की रासायनिक संरचना को स्पष्ट किया और इसे कृत्रिम रूप से तैयार करने में सफलता प्राप्त की। नोबेल समिति ने इस खोज को ऐतिहासिक करार दिया क्योंकि इसके माध्यम से मानवता को रक्तस्राव जैसी गंभीर और जानलेवा समस्या से बचाने का प्रभावी उपाय मिला।

विटामिन K का महत्व

हेनरिक डैम की खोज ने चिकित्सा और पोषण विज्ञान को नई दिशा दी। आज विटामिन K को निम्नलिखित कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है:

रक्त का थक्का जमाना- विटामिन K रक्त का थक्का जमाने में आवश्यक होता है जिससे चोट लगने पर खून बहने से बचा जा सकता है।

हड्डियों का स्वास्थ्य - यह हड्डियों में कैल्शियम जमा करके उन्हें मजबूत बनाने में मदद करता है।

हृदय संबंधी लाभ - विटामिन K धमनियों में कैल्शियम के जमाव को रोकता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।

नवजात शिशुओं के लिए आवश्यक - नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद विटामिन K का इंजेक्शन दिया जाता है ताकि रक्तस्राव जैसी खतरनाक समस्याओं से बचाया जा सके।

आगे का जीवन और योगदान

हेनरिक डैम ने नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद भी अपना शोध कार्य जारी रखा। 1946 में डेनमार्क लौटने के बाद वे विटामिन K, विटामिन E, वसा, कोलेस्ट्रॉल और पित्त पथरी निर्माण से जुड़े पोषण संबंधी अध्ययन करते रहे। वे कई विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से जुड़े थे और छात्रों को पोषण विज्ञान और बायोकैमिस्ट्री के क्षेत्र में प्रेरित करते थे। डैम का मानना था कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य मानव जीवन को बेहतर बनाना होना चाहिए।

व्यक्तिगत जीवन

हेनरिक डैम का जीवन बेहद सरल और अनुशासित था। वे अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित रहते थे और कभी भी व्यक्तिगत प्रसिद्धि या प्रचार-प्रसार की ओर आकर्षित नहीं हुए। उन्हें पुस्तकों का अध्ययन करना और प्रकृति के बीच समय बिताना विशेष रूप से प्रिय था। डैम का मानना था कि विज्ञान का वास्तविक महत्व तभी है जब उसका उपयोग मानवता की भलाई के लिए किया जाए और इसी सोच ने उन्हें जीवनभर प्रेरित किया।

निधन

17 अप्रैल 1976 को हेनरिक डैम का निधन कोपेनहेगन डेनमार्क में हुआ। उस समय उनकी आयु 81 वर्ष थी। यद्यपि वे अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी खोज विटामिन K आज भी मानवता के लिए अनमोल योगदान बनी हुई है। रक्तस्राव की समस्या से बचाव और उपचार में इस खोज की अहमियत सदैव बनी रहेगी। जो डैम को विज्ञान के इतिहास में अमर बनाती है।

विरासत

हेनरिक डैम का नाम इतिहास में हमेशा जीवित रहेगा। उनकी खोज ने न केवल चिकित्सा विज्ञान में क्रांति लाई, बल्कि लाखों-करोड़ों लोगों का जीवन भी बचाया।

आज हर मेडिकल कॉलेज में विटामिन K की खोज का उल्लेख किया जाता है।

आधुनिक चिकित्सा में यह विटामिन एक जीवन रक्षक तत्व के रूप में प्रयोग होता है।

उनकी खोज के बिना आज सर्जरी, नवजात शिशु चिकित्सा और कई गंभीर बीमारियों का इलाज अधूरा होता।

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