Tiranga Fahrane Ka Niyam: तिरंगा फहराने से पहले पढ़ ले ये नियम, वरना देशभक्ति में भी हो सकती है जेल

Independence Day Flag Hoisting Rules: राष्ट्रीय ध्वज केवल एक कपड़े का टुकड़ा नहीं बल्कि हमारे देश की आन बान और शान के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक भी है।

Jyotsna Singh
Published on: 12 Aug 2025 4:44 PM IST
Independence Day
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Independence Day (Image Credit-Social Media)

Flag Hosting Rules: 15 अगस्त की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है बाजारों से लेकर सरकारी भवनों की साज सज्जा की तैयारियों में भी तेजी आती जा रही है। ये वो दिन है जब एक ओर आजादी के उत्साह में पूरा देश उत्साहित नजर आता है । वहीं तिरंगे रंगों में रची-बसी साज सजावट के साथ असंख्य सितारों सी नजर आती टिमटिमाती रौशनी हजारों क्रांतिकारियों की स्वराज की प्रसन्नता को रौशन करती हुई जान पड़ती है। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस पर हर कोई अपने घर ऑफिस या छत पर या फिर अपने वाहनों पर तिरंगा फहराने की चाहत रखता है। घर-घर तिरंगा अभियान के तहत अब यह चलन और भी ज्यादा जोर पकड़ चुका है। लेकिन अक्सर यह भी देखा गया है कि राष्ट्र ध्वज के प्रतीक चिन्ह के तौर पर स्टिकर्स पोस्टर्स और ऐसी कई सजावटी वस्तुओं को इस खास दिन के बाद लोग कहीं भी फेंक देते हैं। इसका गलत तरीके से या लापरवाही से किया गया इस्तेमाल कानूनी अपराध के अंतर्गत आता है। राष्ट्र ध्वज के सम्मान को लेकर कई लोग अनजाने में ऐसे कदम उठा देते हैं जो कानून के खिलाफ होते हैं।

राष्ट्रीय ध्वज केवल एक कपड़े का टुकड़ा नहीं बल्कि हमारे देश की आन बान और शान के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक भी है। जिसके सम्मान के लिए खास नियम बनाए गए हैं। इन नियमों का उल्लंघन करने पर जेल और जुर्माना दोनों तरीके के दंड भुगतने पड़ सकते हैं। कहीं आप भी इस तरीके की भूल अनजाने में ना कर बैठे। इसलिए लिए आइए जानते हैं भारतीय ध्वज से जुड़े सही नियम, इसके इतिहास, कानूनी पहलू और इससे जुड़ी अहम घटनाओं के बारे विस्तार से -

राष्ट्रध्वज का इतिहास और उसके तीन रंगों का महत्व


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। जिसे तमिलनाडु के पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। ध्वज पर मौजूद तीन रंगों के महत्व की बात करें तो इसमें ऊपर मौजूद केसरिया रंग, साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। जबकि बीच में स्थित सफेद रंग शांति और सत्य का संदेश देता है। सबसे नीचे तीसरे नंबर पर हरा रंग समृद्धि और भूमि से जुड़े हमारे जीवन का प्रतीक है। राष्ट्रध्वज के बीच में सफेद पट्टी के केंद्र में नीले रंग का अशोक चक्र मौजूद होता है। जिसमें 24 तीलियां हैं। जो देश की निरंतर प्रगति और न्याय का प्रतीक हैं।

राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम और कानून

भारत के राष्ट्रध्वज के उपयोग, इसके प्रदर्शन और फहराने से जुड़े नियमों की बात करें तो यह दो मुख्य कानूनी धाराओं में दर्ज हैं। जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम 1971 और भारतीय ध्वज संहिता 2002 धाराएं लागू होती हैं।

इन नियमों के तहत कोई भी नागरिक संस्था या शैक्षिक संगठन किसी भी गर्व के मौके पर खुश-खुशी राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। साथ ही इससे जुड़े नियमों के अंतर्गत इसे बेहद सम्मानजनक तरीके से ही फहराना जरूरी है।

राष्ट्रध्वज फहराने के समय किन बातों का रखें खास ध्यान


जब भी आप हमारे देश का गौरव तिरंगा फहराएं तो यह सुनिश्चित कर लें कि ध्वज की केसरिया पट्टी हमेशा सबसे ऊपर होनी चाहिए। साथ ही ध्वज स्वच्छ जगह पर फहराया जाना चाहिए। ध्वज झुका हुआ, जमीन या पानी को नहीं छूना चाहिए। इसे उतारने के बाद किसी स्वच्छ जगह करीने से संभाल कर रखा जाना चाहिए। न कि कही किसी गंदी जगह पर लापरवाही से छोड़ देना चाहिए। फटा गंदा या बदरंग हो चुका पुराना ध्वज कभी ना फहराएं। इसे एक बिल्कुल सीधे डंडे या पाइप के सहारे स्थापित करें। राष्ट्रध्वज को किसी अन्य दूसरे ध्वज के साथ बिल्कुल नहीं लगाना चाहिए। ये तिरंगे का अपमान होता है। इसको फहराने और उतारने के समय सभी को खड़े होकर उसे सम्मान देना जरूरी होता है।

निजी वाहनों पर तिरंगा लगने के क्या होते हैं विशेष नियम

देश के आम नागरिक को 15 अगस्त या किसी भी और दिन अपने निजी वाहन पर तिरंगा लगाने की अनुमति नहीं है। यह अधिकार केवल

प्रशासनिक विशेष पदों पर बैठे लोगों को ही है। जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट के कुछ न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य राज्यों के विधानसभाओं और परिषदों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष अपने वाहनों पर सम्मान के साथ ध्वज को लगा सकते हैं।

कैसे होता है राष्ट्रध्वज का अपमान और क्या होती है उसकी सजा


हमारे देश के सम्मान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज को जलाता है या इसे फाड़ता है। या फिर गंदा करता है। जमीन पर गिराता है। ध्वज के कपड़े को सजावट, विज्ञापन आदि उपयोग के रूप में इस्तेमाल करता है तो इसे 3 साल की कैद और जुर्माना दोनों की सजा मिल सकती है।

राष्ट्रध्वज को फहराने और उतारने का समय और तरीका

राष्ट्र ध्वज के अन्य नियमों के साथ ही इसके फहराने और उतारने के समय को लेकर भी नियम लागू हैं। ध्वज को हमेशा सूर्योदय से पहले फहराना और सूर्यास्त के बाद उतारना इसके नियमों में शामिल है। विशेष अवसर पर रात में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था के साथ फहराया जा सकता है। फहराने के समय ध्वज को तेजी से ऊपर उठाना चाहिए। जबकि इसे उतारते समय धीरे-धीरे नीचे लाना चाहिए। ध्वज को उतारने के बाद इसे अच्छी तरह से पैक कर किसी सुरक्षित और साफ स्थान पर रखना जरूरी होता है।

ध्वज संहिता में हुए हाल में बदलाव क्या हैं

वर्ष 2002 में हर घर तिरंगा अभियान के बाद ध्वज संहिता में कई बदलाव किए गए हैं। पहले केवल चरखे से निर्मित खादी, ऊन, कपास और रेशम के कपड़े के ध्वज ही फहराए जा सकते थे। लेकिन अब पॉलिएस्टर और मशीन से बने ध्वज भी उपयोग में लाए जा सकते हैं। इसके अलावा अब राष्ट्रीय ध्वज को 24 घंटे फहराने की अनुमति है। बशर्ते की रात में उचित रोशनी हो। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए कहा था कि, तिरंगा फहराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। जो संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (a)यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है। यह मामला उद्योगपति नवीन जिंदल से भी जुड़ा था। जिन्होंने अपने फैक्ट्री परिसर में तिरंगा फहराया लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे नियमों का उल्लंघन बताते हुए रोक दिया था। जिंदल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फैसला उनके पक्ष में आया। इसी के बाद आम नागरिकों को भी तिरंगा फहराने का अधिकार हासिल हुआ। बशर्ते ध्वज संहिता के नियमों के पालन को भी उतना ही जरूरी माना।

ध्वज संहिता के उल्लंघन के कुछ चर्चित उदाहरण


ध्वज संहिता के उल्लंघन के कुछ चर्चित उदाहरण में अब तक कई मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें सबसे ज्यादा जो चर्चा में रहे उनमें 2016 में बॉलीवुड इवेंट के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल मंच सजावट के हिस्से के रूप में किया गया था। जिसे सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। आखिरकारकार आयोजकों को माफी मांगनी पड़ी थी। इसी तरह 2018 में एक राजनीतिक रैली में तिरंगे को उल्टा लगाने की घटना भी काफी चर्चा में आई थी। लोगों के कड़े विरोध के बाद जिस पर स्थानीय प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए केस दर्ज किया। ऐसे ही कुछ मामलों में लोगों ने तिरंगे के कपड़े को विज्ञापन बैनर के रूप में इस्तेमाल किया। जो सीधे तौर पर ध्वज संहिता का उल्लंघन है। तिरंगा देश की एक एकता विविधता और गौरव का प्रतीक है। जिसे फहराना गर्व की बात है लेकिन इसके साथ कानून और सम्मान का पालन करना भी उतना ही जरूरी है। स्वतंत्रता दिवस पर या ऐसे किसी भी अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय इससे जुड़े नियमों का पालन कर न हम सिर्फ अपने देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्ज करते हैं बल्कि सच्चे देशभक्त होने का भी हक अदा करते हैं।

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