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Mahabharata Stories: महाभारत की इन महिलाओं के बारे में बेहद कम की जाती है चर्चा
Mahabharata Women Stories: महाभारत ग्रंथ में दर्ज वो महिलाएं जिनका योगदान भले ही सूक्ष्म हो, लेकिन..
Mahabharata Women Stories (Photo - Social Media)
Women of Mahabharata: महाभारत ग्रंथ केवल युद्ध और राजनीति की कथा नहीं है, बल्कि यह उन हजारों स्त्रियों की भी गाथा है जिनकी इस पूरी घटना चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका रही है और जिनसे जुड़ी कहानियां इस महाकाव्य में कहीं न कहीं छिपी हुई हैं। जब भी हम महाभारत की स्त्रियों का जिक्र करते हैं, तो मुख्य रूप से द्रौपदी, कुंती, गांधारी या सत्यवती जैसे नाम सबसे पहले सामने आते हैं। लेकिन इसके पीछे उन महिलाओं की कहानियां दब जाती हैं जिन्होंने समान रूप से दुख सहा, कठिन परिस्थितियों में निर्णय लिए और आने वाली पीढ़ियों की दिशा तय की। इनकी कथा और व्यथा शायद ही कभी खुले तौर पर कही जाती है।
आइए जानते हैं महाभारत ग्रंथ में दर्ज उन महिलाओं के बारे में, जिनका योगदान महाभारत की कथा में भले ही सूक्ष्म रहा हो, लेकिन उनका महत्व अपार है।
दुर्योधन की बहन - जिसका नाम तक भुला दिया गया
हम सभी जानते हैं कि गंधारी ने सौ पुत्रों को जन्म दिया था, जिनमें दुर्योधन सबसे बड़ा था। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि गंधारी की एक पुत्री भी थी। जिसका नाम था दुशला। दुशला का विवाह सिंधु देश के राजा जयद्रथ से हुआ था। महाभारत युद्ध के दौरान जयद्रथ का वध अर्जुन ने किया। युद्ध समाप्ति के बाद दुशला का जीवन शोक और अकेलेपन से भर गया। हालांकि दुशला की कथा कहीं-कहीं पढ़ने को मिलती है। लेकिन उनकी व्यथा की चर्चा शायद ही कभी होती है। गंधारी की पुत्री होने के बावजूद वे महाभारत की कथा में हाशिये पर रहीं।
माद्री- पांडवों की दूसरी माता
कुंती और माद्री के पति का नाम पांडु था। कुंती की तो चर्चा परोक्ष रूप से होती है लेकिन माद्री की चर्चा बहुत ही कम देखी गई है। पांच पांडवों में से दो नकुल और सहदेव माद्री के ही पुत्र थे। श्राप ग्रस्त होने के बाद जब पांडवों के संतान नहीं हो रही थी तो कुंती ने देवताओं के आशीर्वाद से संतानों को जन्म दिया। कुंती ने यह रहस्य माद्री को भी बताया। माद्री ने भी अश्विनी कुमार से संतान के लिए प्रार्थना की। तब उन्हें नकुल और सहदेव दो पुत्र प्राप्त हुए।
माद्री का पूरा जीवन संघर्षों और दुखों से भरा रहा। पांडु की मृत्यु के पश्चात उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए और अपने पुत्रों को कुंती की देखभाल में सौंप दिया। इस प्रकार उनका नाम इतिहास में केवल एक परछाई बनकर रह गया, जबकि उनके त्याग और मातृत्व के बिना पांडवों की गाथा अधूरी है।
अम्बिका और अम्बालिका - मौन वेदना की प्रतीक
राज शांतनु और सत्यवती के दो संतानें थीं। चित्रांगद और विचित्रवीर्य। चित्रांगद बहुत ही कम उम्र में युद्ध में प्राण गवां बैठा तब विचित्रवीर्य को गद्दी पर बैठाया गया। विचित्रवीर्य की दो पत्नियां अम्बिका और अम्बालिका थीं। और निसंतान होने की पीड़ा सह रहीं थीं। तब रानी सत्यवती ने राज्य के उत्तराधिकारी की परंपरा का निर्वहन करने के लिए ऋषि पराशरमुनी के पुत्र वेदव्यास से आग्रह किया कि वे नियोग विधि से संतानोत्पत्ति में सहयोग करें। इस नियोग प्रक्रिया से ही अम्बिका को धृतराष्ट्र और अम्बालिका को पांडु नामक पुत्र प्राप्त हुए। धृतराष्ट्र और पांडु की माता की कथा और व्यथा की कम ही चर्चा होती है।
विदुर की माता- एक दासी की अनकही गाथा
नियोग विधि से संतान प्राप्ति के लिए अम्बिका और अम्बालिका के बाद अम्बालिका ने अपनी दासी को वेद व्यास के पास भेज दिया। उसी दासी से विदुर का जन्म हुआ। इस तरह धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर तीन संतानों ने अलग अलग माताओं से जन्म लिया। परंतु, अम्बिका और अम्बालिका के साथ ही विदुर की माता की भी चर्चा शायद ही कभी देखने और सुनने को मिलती हो। इसी तरह महात्मा विदुर की पत्नी पारसंवी का भी नाम गुमनाम है। पारसंवी भगवान् श्रीकृष्ण जी अनन्य भक्त थीं।
विदुर धर्म, नीति और न्याय के प्रतीक बने और आज भी उनके ‘विदुर नीति’ को जीवन के आदर्शों में गिना जाता है।
दुर्योधन की पत्नी और राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री भानुमति
आप पांडु पुत्रों की पत्नी के नाम से तो भली भांति अवगत होंगे लेकिन क्या आप दुर्योधन की पत्नी कौन थी जानते हैं। राजकुमारी भानुपति जो बेहद खूबसूरत, बुद्धिमान और युद्ध कला में प्रवीण थीं। उनकी सुंदरता के चर्चे दूर दूर तक थे। भानुमती काम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री थी। भानुमती के स्वयंवर में शिशुपाल, जरासंध, रुक्मी, वक्र, कर्ण आदि राजाओं के साथ दुर्योधन भी उपस्थित थे। कहते हैं कि भानुमति दुर्योधन से विवाह नहीं करना चाहती थी, लेकिन दुर्योधन ने बलपूर्वक उससे विवाह किया। महाभारत ग्रंथ की चर्चा में भानुमती का नाम बहुत कम ही शामिल किया जाता रहा है। जबकि वह एक महान योद्धा और अपने अनुपम सौंदर्य के विख्यात थीं। महाभारत के युद्ध के समय वे भीषण दुःख से गुजरे। जिसमें उनका पति, पुत्र लक्ष्मण कुमार और पूरा परिवार नष्ट हो गया।
लक्ष्मण को महाभारत युद्ध के तेरहवें दिन चक्रव्यूह की लड़ाई में अभिमन्यु ने मार डाला था।
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