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नवरात्रि के पंचम दिन करें माँ स्कंदमाता की पूजा - पाएं संतान सुख और समृद्धि का वरदान
Shardiya Navratri 2025 Special Story: आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि 2025 के पाँचवें दिन, माँ स्कंदमाता का महत्व, स्वरूप, पूजा, मंत्र, शुभ रंग और भोग का विशेष महत्व।
Shardiya Navratri 2025 Day 5:शारदीय नवरात्रि 2025 इस बार कुछ खास है क्योंकि सामान्य नौ दिनों के बजाय यह पर्व दस दिनों तक चलेगा। नवरात्रि के हर दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है और प्रत्येक स्वरूप का अपना खास आध्यात्मिक महत्व है। इस पर्व के पाँचवें दिन की आराधना माँ स्कंदमाता को समर्पित होती है। उन्हें भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में जाना जाता है और उनके अंक में भगवान स्कंद विराजमान होते हैं। माँ स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख, उत्तम स्वास्थ्य और पारिवारिक खुशहाली मिलती है। इन्हें मातृत्व, पालन-पोषण और वात्सल्य की देवी माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से उनके मंत्र का जाप करना, शुभ रंग पहनना और भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
नवरात्रि का पाँचवाँ दिन कब है?
नवरात्रि 2025 का पंचम दिन 27 सितंबर 2025, शनिवार को पड़ेगा। यह दिन माँ स्कंदमाता की भक्तिभाव से आराधना के लिए अत्यंत शुभ और कल्याणकारी रहेगा।
माँ स्कंदमाता का स्वरूप
माँ स्कंदमाता का स्वरूप बहुत ही सुंदर और शांत है। उनका शरीर दुधिया सफेद और तेजस्वी है जो शांति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। उनके चार हाथ हैं - दो हाथों में कमल के फूल हैं, तीसरे हाथ में वे अपने पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में धारण किए रहती हैं और चौथे हाथ से भक्तों को भयमुक्त होने का आशीर्वाद देती हैं। उनका वाहन सिंह है जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। वे कमल पर विराजमान रहती हैं। इसलिए उन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। माना जाता है कि श्रद्धा और भक्ति से उनकी पूजा करने पर वे अपने पुत्र सहित भक्तों को सुरक्षा और आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
माँ स्कंदमाता की कथा
कहा जाता है कि तारकासुर नामक राक्षस को ब्रह्मा जी से यह वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही हो सकती है। इस वरदान के कारण वह देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार करने लगा। देवताओं ने भगवान शिव और माता पार्वती से मदद की प्रार्थना की। माता पार्वती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शिव से विवाह किया। उनके पुत्र भगवान कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म हुआ। माँ स्कंदमाता ने अपने पुत्र को युद्ध के लिए तैयार किया और कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर देवताओं को भय और अत्याचार से मुक्ति दिलाई। माँ स्कंदमाता इसी कारण से पूजित होती हैं क्योंकि उन्होंने देवताओं को उनके संकट से उबारा था। वे मातृत्व की शक्ति और पुत्र की वीरता दोनों का संगम हैं।
पंचम दिन का महत्व
माँ स्कंदमाता की पूजा खासतौर पर बच्चों की सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए की जाती है। नवरात्रि के पाँचवें दिन उनकी आराधना करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है । खासकर उन दंपत्तियों के लिए यह दिन बहुत फलदायी माना जाता है जिन्हें संतान प्राप्त करने में कठिनाई होती है। उनकी पूजा से घर में रोग-शोक और झगड़े दूर होते हैं और परिवार में शांति और खुशहाली आती है। यह पूजा शारीरिक और मानसिक ऊर्जा बढ़ाती है और भक्त के अनाहत चक्र (हृदय चक्र) को जागृत करने में सहायक मानी जाती है। इस दिन पीले या सफेद कपड़े पहनना, कमल का फूल और केले का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है।
माँ स्कंदमाता की पूजाविधि
नवरात्रि के पंचम दिन भक्तों को माँ स्कंदमाता की पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धाभाव से करनी चाहिए।
प्रातः काल स्नान करके पीले अथवा सफेद वस्त्र धारण करें।
माँ स्कंदमाता की प्रतिमा अथवा चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
पूजा स्थल पर गंगाजल से शुद्धिकरण कर दीपक और धूप प्रज्वलित करें।
देवी को कमल का फूल, धूप, दीप, अक्षत, रोली और चंदन अर्पित करें।
माँ को सफेद या पीले रंग के फूल विशेष रूप से प्रिय हैं।
“ॐ स्कन्दमातायै नमः” का 108 बार जप करें।
दुर्गा सप्तशती और सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ करना विशेष फलकारी माना जाता है।
प्रसाद के रूप में माँ को केले और मिठाइयाँ अर्पित करें।
आरती करें और परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें।
माँ स्कंदमाता का प्रिय भोग
नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता को केले और हलवे का भोग अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। केला माँ का प्रिय भोग माना जाता है और यह संतान के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु का प्रतीक है। इसके अलावा खीर, बेसन के लड्डू, मालपुए और पीली रंग की मिठाइयाँ भी भोग के रूप में चढ़ाई जाती हैं। पूजा के बाद यह भोग बच्चों और ब्राह्मणों में बांटना शुभ माना जाता है जिससे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है। यही कारण है कि भक्त इस परंपरा को बड़े श्रद्धाभाव से निभाते हैं।
माँ स्कंदमाता का मंत्र
माँ स्कंदमाता की पूजा में “ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः” मंत्र का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है, बच्चे स्वस्थ, बुद्धिमान और आज्ञाकारी बनते हैं। साथ ही यह मंत्र भक्त को आत्मबल और जीवन में स्थिरता प्रदान करता है। इसलिए नवरात्रि के पाँचवें दिन इस मंत्र का जाप विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
पांचवे दिन का शुभ रंग
शारदीय नवरात्रि 2025 पंचम दिन का शुभ रंग हरा है। हरा रंग विकास और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है जो जीवन में नई खुशियाँ लेकर आता है।
पंचम दिन के आध्यात्मिक फल
माँ स्कंदमाता की भक्ति से मन को शांति और आध्यात्मिक संतुलन मिलता है जिससे मानसिक स्थिरता बनी रहती है। उनकी कृपा से रोग-शोक दूर होते हैं और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। उनकी पूजा से संतान की प्रगति, उज्ज्वल भविष्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है इसलिए उन्हें संतान सुख की देवी कहा जाता है। घर-परिवार में प्रेम, शांति और आपसी सामंजस्य बना रहता है। साथ ही भक्त की आंतरिक शक्ति, आत्मविश्वास और जीवन में स्थिरता भी बढ़ती है।
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