भोग से पूजा विधि तक माँ कूष्मांडा को प्रसन्न करने के गुप्त उपाय

Shardiya Navratri 2025 Special Story: 2025 यानि इस वर्ष तृतीया तिथि में वृद्धि के कारण नवरात्रि का उत्सव 10 दिनों तक रहेगा ।

Shivani Jawanjal
Published on: 10 Sept 2025 5:01 PM IST (Updated on: 10 Sept 2025 5:59 PM IST)
भोग से पूजा विधि तक माँ कूष्मांडा को प्रसन्न करने के गुप्त उपाय
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Shardiya Navratri 2025 Day 4: शारदीय नवरात्रि 2025 का चौथा दिन 26 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक विशेष स्वरूप की आराधना की जाती है। इस दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा होती है जिन्हें ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली शक्ति माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि उनकी मंद मुस्कान से ही समस्त सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इन्हें आदि शक्तियों में से सबसे प्रमुख माना जाता है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से जीवन में ईश्वरीय आभा, तेज, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइये जानते है चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा विधी, स्वरूप, कथा, मंत्र, शुभ रंग और भोग की पूरी जानकारी।

कब है नवरात्री का चौथा दिन ?

इस वर्ष तृतीया तिथि में वृद्धि के कारण नवरात्रि 10 दिनों तक रहेगा । इस वर्ष यानि तृतीया 24 और 25 सितंबर दो दिनों तक रहेगी । जिसकारण इस वर्ष नवरात्री का चौथा दिन 26 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्री में तिथि का बढ़ना शुभ माना जाता है।

माँ कूष्मांडा का स्वरूप


मां कूष्मांडा को सृष्टि की आदिशक्ति माना जाता है, जिनके एक अलौकिक और दिव्य स्मितमात्र से पूरा ब्रह्मांड प्रकाशित और जीवंत हो गया। इसलिए उन्हें ‘आदि शक्ति’ और ‘सृष्टि की जननी’ भी कहा जाता है। माँ कूष्मांडा का रूप बहुत ही भव्य और दिव्य है। उनके आठ हाथ हैं इसलिए उन्हें अष्टभुजा देवी कहा जाता है। उनके 7 हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, चक्र, गदा, अमृतकलश, कमल, जपमाला और आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। उनका वाहन सिंह है जो शक्ति, साहस और नियंत्रण का प्रतीक है। माँ कूष्मांडा का शरीर तेजस्वी और प्रकाशमान है और कहा जाता है कि उनके तेज से सूर्य, चंद्र और तारों की रोशनी पूरी दुनिया में फैलती है। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है जो सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा और उजाला फैलाती है।

मां कूष्मांडा की कथा

कथा के अनुसार जब ब्रह्मांड अस्तित्वहीन और अंधकारमय था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य शक्ति और हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण उन्हें 'कूष्मांडा' कहा जाता है जिसका मतलब है थोड़ी ऊर्जा से सृष्टि का निर्माण। मां कूष्मांडा को आदिशक्ति का रूप माना जाता है जो सृष्टि का निर्माण करने के साथ-साथ उसका पालन और संहार भी कर सकती हैं। उनके तेज से सूर्य और पूरे जगत का प्रकाश फैलता है। वे सूर्य लोक में निवास करती हैं और भक्तों को जीवन शक्ति, स्वास्थ्य, ऊर्जा और मनोबल प्रदान करती हैं। उनकी कृपा से भक्तों को अलौकिक शक्ति, अच्छा स्वास्थ्य और मानसिक बल मिलता है।

चौथे दिन का महत्व

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन खासतौर पर उन भक्तों के लिए लाभकारी माना जाता है जिनके जीवन में उदासी, निराशा या ऊर्जा की कमी होती है। मां कूष्मांडा की पूजा से जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह आता है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है, लंबी उम्र और नई स्फूर्ति मिलती है। इसके अलावा यह आत्मविश्वास और रचनात्मकता को बढ़ाती है और मुश्किल हालातों में भी सफलता पाने की क्षमता देती है। उनकी कृपा से भक्तों को अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ प्राप्त होती हैं। यह दिन अपने लक्ष्यों की प्राप्ति और जीवन में नई दिशा खोजने के लिए भी शुभ माना जाता है।

मां कूष्माण्डा की पूजाविधि

मां कूष्मांडा की पूजा के लिए पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

पूजा के समय पीला चंदन लगाएं और कुमकुम, मौली, अक्षत अर्पित करें।

पान के पत्ते पर केसर रखकर "ॐ बृं बृहस्पते नमः" मंत्र का जाप करें।

"ॐ कूष्माण्डायै नमः" मंत्र की माला जपना बहुत फलदायी माना जाता है।

मां कूष्मांडा को पीला रंग प्रिय है इसलिए पीली चूड़ियां, पीले फूल और पीली मिठाई अर्पित करें।

पीले कमल का फूल अर्पित करने से अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ इस दिन विशेष महत्व रखता है।

मां कूष्मांडा का प्रिय भोग


मां कूष्मांडा की पूजा में भोग का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि पूजा के समय हलवा, मीठा दही या मालपुए का प्रसाद चढ़ाना बहुत शुभ होता है। खासकर मालपुए का भोग मां को सबसे अधिक प्रिय माना जाता है। इसके साथ ही हलवा, मीठा दही और पेठा (कुम्हड़ा) भी मां को अर्पित किया जाता है। पूजा के बाद इस प्रसाद को खुद ग्रहण करना और ब्राह्मणों को दान करना धार्मिक परंपरा के अनुसार शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पूजा का फल बढ़ता है और भक्त को मां कूष्मांडा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

चौथे दिन का शुभ रंग

शारदीय नवरात्रि 2025 चौथे दिन का शुभ रंग पीला है। पीले रंग को स्नेह और शुभता का प्रतिक माना जाता है । इसीलिए इस दिन पीला रंग पहनना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है।

माँ कूष्मांडा का मंत्र

मां कूष्मांडा का विशेष मंत्र "ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः" है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से जीवन में शक्ति, उत्साह, अच्छा स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह मंत्र आलस्य, रोग और नकारात्मक विचारों को दूर करता है। भक्तों का विश्वास है कि इस मंत्र का जाप कठिन समय में साहस और आत्मविश्वास देता है। शास्त्रों में इसे 108 बार जपने की सलाह दी गई है जिससे विशेष फल प्राप्त होता है और मां की कृपा जल्दी मिलती है।

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