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E.T Muhammad Basheer Wikipedia: ई.टी. मुहम्मद बशीर का मिशन शिक्षा, संविधान और समावेश: संसद में IUML की एक सशक्त आवाज

E.T Muhammad Basheer Wikipedia: ट्रेड यूनियन से शुरुआत कर ई.टी. मुहम्मद बशीर ने छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय मंच तक एक लंबी और सक्रिय राजनीतिक यात्रा तय की है।

Jyotsna Singh
Published on: 2 July 2025 9:10 PM IST
E.T Muhammad Basheer
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 E.T Muhammad Basheer (Image Credit-Social Media)

E.T Muhammad Basheer: केरल की राजनीति में जब भी अनुभवी और नीतिनिष्ठ नेताओं की बात होती है, तो ई.टी. मुहम्मद बशीर का नाम अवश्य आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। वे न केवल एक कुशल प्रशासक और नीतिनिर्माता रहे हैं, बल्कि शिक्षा सुधारों में उनकी भूमिका को आज भी मिसाल के तौर पर याद किया जाता है। ट्रेड यूनियन से शुरुआत कर उन्होंने छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय मंच तक एक लंबी और सक्रिय राजनीतिक यात्रा तय की है। वर्तमान में वे इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के राष्ट्रीय संगठन सचिव हैं और लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।

जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

ई.टी.मुहम्मद बशीर का जन्म 1 जुलाई 1946 को वज़हक्कड़ (तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी, अब मलप्पुरम जिला, केरल) के मप्राम गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ई.टी.मूसाकुट्टी और माता का नाम फातिमा था। एक सामान्य मुस्लिम परिवार में जन्मे बशीर ने बचपन से ही सामाजिक जागरूकता और शिक्षा के महत्व को समझा। ई.टी. मुहम्मद बशीर का विवाह रुखिया बशीर से हुआ है। उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं।


शिक्षा और छात्र राजनीति की शुरुआत

बशीर की स्कूली शिक्षा इम्बिची हाजी हाई स्कूल, चालियाम से हुई, जहां से उन्होंने 1964 में एसएसएलसी की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने कॉलेज शिक्षा प्राप्त की। इसी दौरान वे इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की छात्र शाखा मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (MSF) से जुड़े। छात्र जीवन में ही उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में गहरी रुचि लेनी शुरू कर दी थी। यही संगठन उनके राजनीतिक जीवन की नींव बना।

IUML में शुरुआती ज़िम्मेदारियां

बशीर छात्र राजनीति से निकलकर IUML में विभिन्न संगठनात्मक पदों पर कार्यरत रहे। उन्होंने कोंडोट्टी मंडलम समिति के अध्यक्ष, मलप्पुरम जिला समिति के सचिव और IUML राज्य सचिवालय के सदस्य जैसे पदों पर काम किया। इन पदों पर रहते हुए उन्होंने पार्टी की नीतियों को जमीनी स्तर पर सशक्त बनाने का काम किया और आम जनता से गहरा जुड़ाव बनाए रखा।

ट्रेड यूनियन आंदोलन में भागीदारी


राजनीति के साथ-साथ बशीर ट्रेड यूनियन आंदोलन से भी जुड़े रहे। वे स्वतंत्र थोझिलाली यूनियन (STU) के केरल राज्य सचिव रहे। उन्होंने विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों में यूनियन का नेतृत्व किया, जिनमें मावूर ग्वालियर रेयान्स, मालाबार सीमेंट्स, एडारिकोड टेक्सटाइल्स, केरल इलेक्ट्रिकल एंड अलाइड कुंदरा, मालाबार स्पिनिंग मिल्स, स्टील कॉम्प्लेक्स और KSDC कुट्टीपुरम जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं। इस भूमिका में उन्होंने श्रमिकों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और कई सामाजिक-आर्थिक सुधारों के लिए संघर्ष किया।

विधानसभा सदस्य के रूप में प्रवेश

1985 में पहली बार केरल विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद बशीर ने अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया। इसके बाद वे 1991, 1996 और 2001 में फिर से विधायक बने। उन्होंने के. करुणाकरण, ए.के. एंटनी और ओमन चांडी जैसे मुख्यमंत्रियों के अधीन कार्य करते हुए राज्य में शिक्षा मंत्री की अहम जिम्मेदारी निभाई।

शिक्षा मंत्री के रूप में ऐतिहासिक पहल

बशीर ने 1991–96 और 2001–06 के दौरान केरल राज्य के शिक्षा मंत्री के रूप में कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए। उन्होंने स्व-वित्तपोषित कॉलेजों की स्थापना को बढ़ावा दिया जिससे उच्च शिक्षा के अधिक अवसर सृजित हुए। माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर ग्रेडिंग प्रणाली की शुरुआत, कन्नूर और संस्कृत विश्वविद्यालयों की स्थापना, कोच्चि में राष्ट्रीय उन्नत विधि अध्ययन विश्वविद्यालय (NUALS) की नींव और आईटी को शिक्षा प्रणाली में सम्मिलित करने जैसे कदमों ने केरल की शिक्षा को एक नई दिशा दी। साथ ही, उन्होंने शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग छात्रों के लिए विशेष पैकेज भी लागू किए, जिससे शिक्षा को समावेशी और सुलभ बनाया जा सका।

संसदीय राजनीति में प्रवेश और उपलब्धियां


2009 में ई.टी. मुहम्मद बशीर ने पोननानी लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर भारतीय संसद में प्रवेश किया। इसके बाद वे 2014 और 2019 में पुनः इस सीट से निर्वाचित हुए। 2024 में उन्होंने मलप्पुरम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की। लोकसभा में उनकी उपस्थिति 94 प्रतिशत से अधिक रही है और उन्होंने 100 से ज्यादा बहसों में भाग लिया है। साथ ही, उन्होंने 224 से अधिक प्रश्न पूछे और पांच निजी विधेयक भी प्रस्तुत किए हैं।

IUML के राष्ट्रीय नेता और लोकसभा में पार्टी प्रमुख

बशीर वर्तमान में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय संगठन सचिव हैं और संसद में IUML का नेतृत्व करते हैं। वे पार्टी की नीति, रणनीति और चुनावी योजनाओं के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संसद में अल्पसंख्यक अधिकार, शिक्षा नीति, संविधानिक सुरक्षा और मानवाधिकारों के मुद्दों पर उनकी आवाज हमेशा स्पष्ट और तार्किक रही है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय योगदान

बशीर भारत सरकार की शिक्षा नीतियों से जुड़ी कई समितियों के सदस्य रहे हैं, जैसे –

केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE)

शिक्षा प्रबंधन के विकेंद्रीकरण पर केंद्र सरकार की समिति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर जनार्दन रेड्डी आयोग

अल्पसंख्यक शिक्षा निगरानी समिति।

इनके अलावा वे केरल कृषि विश्वविद्यालय की सीनेट, राज्य अनाथालय नियंत्रण बोर्ड और उद्योग संबंध समिति के भी सक्रिय सदस्य रहे हैं। उन्होंने मई 2025 में आतंकवाद विरोधी वैश्विक प्रतिनिधिमंडल में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहां उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का पक्ष रखा।

सामाजिक सरोकार

राजनीति के साथ-साथ वे शिक्षा, सामाजिक सुधार और अल्पसंख्यक उत्थान से जुड़े कार्यों में भी गहराई से शामिल हैं। वे महिलाओं और बच्चों की शिक्षा, विकलांगों के सशक्तिकरण, और श्रमिकों के अधिकारों की वकालत करने वाले नेता के रूप में भी पहचाने जाते हैं।

ई.टी. मुहम्मद बशीर एक ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने छात्र राजनीति, ट्रेड यूनियन, शिक्षा मंत्रालय, विधानसभा और लोकसभा—हर स्तर पर प्रभावशाली भूमिका निभाई है। वे सिद्धांतों, विकास और समानता के पक्षधर नेता हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी पहल, संसद में उनकी स्पष्टवादिता और IUML में उनकी नेतृत्व क्षमता आने वाले वर्षों में भी भारतीय राजनीति को दिशा देने में सहायक बनेगी।

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