Muharram Festival: लखनऊ में 10वीं मुहर्रम का मातमी जुलूस ! हिंदू संत ने किया मोहर्रम में मातम, एकता और भाईचारे का दिया संदेश

Muharram Festival: राजधानी लखनऊ में 10वीं मुहर्रम का परंपरागत मातमी जुलूस भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच पूरी शांति से संपन्न हुआ।

Virat Sharma
Published on: 6 July 2025 8:36 PM IST
Muharram in Lucknow
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10th Muharram in Lucknow 

Muharram in Lucknow: रविवार को राजधानी लखनऊ में 10वीं मुहर्रम का परंपरागत मातमी जुलूस भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच पूरी शांति से संपन्न हुआ। यह जुलूस लखनऊ के ऐतिहासिक चौक थानाक्षेत्र के नक्खास इलाके स्थित नाजिम शाह इमामबाड़े से उठाया गया, जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने गम और अकीदत के साथ भाग लिया। जुलूस पुरानी लखनऊ की तंग गलियों और प्रमुख मार्गों से होते हुए पारंपरिक रूट पर निकाला गया। इस दौरान शिया समुदाय के श्रद्धालु या हुसैन की सदाओं के बीच ताजिए और अलम निकालते हुए मातम करते नजर आए। काले कपड़ों में सिर पर राख और हाथों में जंजीरें लिए लोग शहीद इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद कर रहे थे।


इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम

इमाम हुसैन ने ईर्ष्या और अत्याचार के खिलाफ कर्बला में अपनी जान दी थी, और 10वीं मुहर्रम के दिन उनकी शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए अनुयायी छुरियों से अपनी छाती पर मातम करते हैं। इस दिन शहीद की महिमा का वर्णन करते हुए हुसैन, हुसैन के नारों से पूरा माहौल गूंजता है।

धर्मगुरु स्वामी सारंग ने दिया एकता का संदेश

इस बार लखनऊ के ताजिया जुलूस में एक अनोखी घटना देखने को मिली जब हिन्दू धर्मगुरु स्वामी सारंग ने भी मातम में हिस्सा लिया। उन्होंने छुरियों से अपनी छाती और पीठ पर पारंपरिक मातम किया, जिससे उन्होंने भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारे का संदेश दिया। स्वामी सारंग ने कहा कि हम यहां सिर्फ इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करने आए हैं, क्योंकि उनकी शहादत इंसानियत और ईमानदारी की मिसाल है। किसी भी धर्म को अपमानित नहीं किया जा सकता।




स्वामी सारंग का यह कदम भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल बना। उन्होंने धर्म और जाति की दीवारों को तोड़ते हुए यह सिद्ध किया कि आस्था और मानवता एक साथ हो तो धार्मिक अंतर केवल एक भ्रम बन कर रह जाते हैं। उनके साथ मुस्लिम धर्मगुरु, इमामों और अन्य श्रद्धालुओं ने इमाम हुसैन के सम्मान में नारे लगाए, और इस पहल को एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक माना।

सुरक्षा व्यवस्था और शांतिपूर्ण आयोजन

वहीं 10वीं मुहर्रम के पवित्र मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। पुलिस और प्रशासन ने स्थानीय पुलिस के साथ पीएसी, आरएएफ, एटीएस कमांडो, ड्रोन कैमरों और सीसीटीवी की मदद से निगरानी रखी। रूट पर बैरिकेडिंग कर फोर्स को तैनात किया गया और इसके अलावा पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर जाकर स्थिति की निगरानी की।

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