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Auriya News बेटियों ने शुरू की नई धार्मिक परंपरा, पहली 'गर्ल्स डाक कांवड़ यात्रा' से बढ़ाया जिले का गौरव

Auraiya News: एक नई धार्मिक परंपरा की शुरुआत कर पूरे जिले का गौरव बढ़ाया है। जनपद की पहली "गर्ल्स डाक कांवड़ यात्रा" रविवार को बिठूर से देवकली तक निकाली गई, जिसमें भाग लेने वाली सभी बालिकाएं उत्साह और श्रद्धा से लबरेज थीं।

Ashraf Ansari
Published on: 20 July 2025 8:07 PM IST
Auriya News बेटियों ने शुरू की नई धार्मिक परंपरा, पहली गर्ल्स डाक कांवड़ यात्रा से बढ़ाया जिले का गौरव
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Auraiya News: औरैया जिले में श्रावण माह की पावन बेला में बेटियों ने एक नई धार्मिक परंपरा की शुरुआत कर पूरे जिले का गौरव बढ़ाया है। जनपद की पहली "गर्ल्स डाक कांवड़ यात्रा" रविवार को बिठूर से देवकली तक निकाली गई, जिसमें भाग लेने वाली सभी बालिकाएं उत्साह और श्रद्धा से लबरेज थीं। यह यात्रा पूरी तरह से बालिकाओं द्वारा संचालित की गई, जिससे समाज में बेटियों की नेतृत्व क्षमता और धार्मिक सहभागिता का सशक्त संदेश गया।

कांवड़ यात्रा की शुरुआत बिठूर के पावन गंगा घाट से हुई, जहां कन्याओं ने पवित्र गंगा जल भरा। इसके बाद रविवार शाम 5 बजे ये सभी बालिकाएं दयालपुर पहुंचीं, जहां स्थानीय ग्रामीणों ने फूल-मालाओं और "जय बाबा" के जयकारों के साथ उनका भव्य स्वागत किया। यात्रा में शामिल कन्याओं में भूमि पांडेय, राखी, दीपा, साक्षी, पायल, गौरी, नीलम, वर्षा, रेखा, ज्योति, मुस्कान, सुप्रिया, संध्या, नेहा, भारती और संजना जैसी बालिकाएं शामिल रहीं, जिन्होंने पूरे रास्ते भक्तिमय माहौल बनाए रखा।

इस डाक कांवड़ यात्रा का उद्देश्य केवल जलाभिषेक ही नहीं, बल्कि बेटियों की आस्था, सामाजिक चेतना, आत्मबल और नेतृत्व क्षमता को उजागर करना भी है। इन बेटियों ने "जय बाबा" के जयकारों के साथ कांवड़ यात्रा में भाग लेकर यह साबित किया कि वे भी हर धार्मिक और सामाजिक परंपरा में अपनी भागीदारी पूरी निष्ठा और क्षमता के साथ निभा सकती हैं।

यह प्रेरणादायी यात्रा सोमवार सुबह देवकली धाम पहुंचकर संपन्न होगी। वहां कन्याएं शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करेंगी और उसके बाद भक्ति संगीत, आरती और भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। यह पहल न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि बेटियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायी कदम भी है। जनपदवासियों ने इस अनूठी पहल की सराहना करते हुए इसे आने वाले वर्षों की एक नई परंपरा के रूप में अपनाने की इच्छा जताई है, जो औरैया जिले की सामाजिक और धार्मिक पहचान को और मजबूत करेगी।

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Shalini Rai

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