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Ayodhya News: महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान का 39वां स्थापना दिवस धूमधाम से मना
Ayodhya News: वैदिक संस्कृति और वेदों में निहित विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान-उज्जैन (म.प्र.) का 39वां स्थापना दिवस समारोह श्रीराम वेद विद्यालय, कारसेवकपुरम् में धूमधाम से मनाया गया।
Ayodhya News: वैदिक संस्कृति और वेदों में निहित विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान-उज्जैन (म.प्र.) का 39वां स्थापना दिवस समारोह श्रीराम वेद विद्यालय, कारसेवकपुरम् में धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वेद पारायण के साथ हुआ, जिसमें क्रमशः शुक्लयजुर्वेद (मा.शा.) और सामवेद (कौ.शा.) का पारायण किया गया।
मुख्य वक्ता आचार्य श्रीनारद जी ने बताया कि महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड (MSRVSSB) एक राष्ट्रीय स्तर का विद्यालयी शिक्षा बोर्ड है, जो वेद भूषण (10वीं) और वेद विभूषण (12वीं) के प्रमाणपत्र प्रदान करता है। इसमें आधुनिक विषयों के साथ हिंदू धर्मग्रंथ, वेद, उपनिषद, आयुर्वेद और संस्कृत की शिक्षा दी जाती है।
उन्होंने कहा कि यह बोर्ड न केवल कई वैदिक विद्यालयों का संचालन करता है, बल्कि भारत सरकार से मान्यता प्राप्त होने के बाद देशभर के अन्य वैदिक और संस्कृत विद्यालयों को संबद्ध और मान्यता देने का अधिकार भी रखता है। अगस्त 2022 से, भारतीय विश्वविद्यालय संघ और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने इसके 10वीं और 12वीं प्रमाणपत्रों को अन्य शिक्षा बोर्डों के समकक्ष मान्यता दी है। यह भारत का पहला समर्पित वैदिक-संस्कृत शिक्षा बोर्ड है, जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को जाता है। कार्यक्रम में प्राचार्य इन्द्रदेव जी, आचार्य दुर्गा प्रसाद जी, आचार्य नारद जी, आचार्य मुकेश जी और आचार्य राहुल जी सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे।
रक्षाबंधन उत्सव
मणिराम दास जी की छावनी में वेदपाठी छात्रों ने उत्साहपूर्वक रक्षाबंधन मनाया। इस अवसर पर वशिष्ठ विद्या समिति के सदस्य, नगर संघचालक डा. संजीव थापर और श्रीराम वेद विद्यालय के प्रधानाचार्य इन्द्रदेव जी भी मौजूद रहे।
श्रावणी उपाकर्म समारोह
माँ सरयू के तट पर श्रीराम वेद विद्यालय के वर्तमान व पूर्व छात्रों, आचार्यगण और महंत श्यामशंकर जी ने श्रावणी उपाकर्म किया। दशविधि स्नान के पश्चात सभी ने वेदों की श्रुति परंपरा को अक्षुण्य रखने और स्वाध्याय का संकल्प लिया। कार्यक्रम में आचार्य उमेश जी, आचार्य राहुल जी, आचार्य दुर्गा प्रसाद जी और आचार्य नारद जी सहित अनेक विद्वान शामिल हुए।
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