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Baghpat News: संयम, साधना और समर्पण की मूर्ति नहीं रहे – श्रेष्ठी श्री प्रकाशचंद जी महाराज का देवलोकगमन
Baghpat News: गुरुदेव का जन्म 1 जनवरी 1929 को हुआ था और मात्र 16 वर्ष की आयु में 18 जनवरी 1945 को उन्होंने संयम जीवन को अपनाते हुए दीक्षा ली थी।
श्रेष्ठी श्री प्रकाशचंद जी महाराज का देवलोकगमन (photo: social media )
Baghpat News: बागपत के बड़ौत जैन समाज के लिए अत्यंत दुखद समाचार है कि आराध्य गच्छाधिपति पूज्य गुरुदेव श्री सेठ प्रकाशचंद जी महाराज साहब का 5 अगस्त 2025 को संथारा ग्रहण करते हुए हरियाणा के गोहाना में देवलोकगमन हो गया। संथारा उन्होंने शाम करीब 5:55 बजे स्वीकार किया और ठीक 6:27 बजे शांतिपूर्वक आत्मकल्याण की ओर प्रस्थान कर गए।
गुरुदेव का जन्म 1 जनवरी 1929 को हुआ था और मात्र 16 वर्ष की आयु में 18 जनवरी 1945 को उन्होंने संयम जीवन को अपनाते हुए दीक्षा ली थी। वर्तमान समय मे वे स्वतंत्रता से पहले दीक्षित होने वाले जैन समाज के एकमात्र संत थे, जिनका संयमी जीवन आज तक समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहा। गुरुदेव की देवलोक यात्रा की सूचना मिलते ही जैन समाज में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ौत स्थित श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन स्वाध्याय संघ द्वारा श्रद्धांजलि सभा संघ के सदस्य कमल जैन के निवास पर आयोजित की गई, जिसमें दर्जनों श्रद्धालु उपस्थित हुए। सभा में कमल जैन ने कहा कि महाराज श्री का संयमी जीवन, मौन साधना, तप और आत्मनिष्ठा आज की पीढ़ी के लिए एक आदर्श हैं।
जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प
सभा में रवि प्रकाश, मुकेश जैन, डॉ. पारस जैन, श्रीपाल जैन, वकील चंद, जिनेन्द्र जैन समेत अनेक श्रद्धालुओं ने गुरुदेव के चरणों में भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प लिया। गुरुदेव के देवलोकगमन से समाज को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई संभव नहीं। संयम, साधना और समर्पण की प्रतिमूर्ति अब हमारे बीच नहीं रहे, परंतु उनकी शिक्षाएं और आदर्श सदैव हमारे साथ रहेंगे।
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