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Banda News: वर्षामापी यंत्र बने शोपीस, रिपोर्ट भगवान भरोसे भेजी जा रही है कलेक्ट्रेट और भूरागढ़ में स्थापित केंद्रों पर उपकरण टूटे-फूटे, देखरेख नदारद
Banda News: भूरागढ़ क्षेत्र में वर्षामापी यंत्र स्थापित किए गए हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये यंत्र केवल शोपीस बनकर रह गए हैं।
Banda rain gauges
Banda News: जिले में वर्षा मापने के लिए जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट परिसर और भूरागढ़ क्षेत्र में वर्षामापी यंत्र स्थापित किए गए हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये यंत्र केवल शोपीस बनकर रह गए हैं। अधिकांश उपकरण टूट चुके हैं और उपयोग के लायक नहीं हैं, इसके बावजूद शासन को बारिश संबंधी रिपोर्ट अनुमान और अंदाज़ों के आधार पर भेजी जा रही है।
मौके की जांच में सामने आई सच्चाई
जब इस मामले की ज़मीनी पड़ताल की गई, तो वास्तविक स्थिति चौंकाने वाली थी। कलेक्ट्रेट परिसर में लगे वर्षामापी यंत्र के चारों ओर पेड़-पौधे और ऊँची इमारतें मौजूद हैं। यंत्र की वर्षों से कोई सफाई या मरम्मत नहीं की गई है, जिससे वह कचरे से भर गया है।
विशेषज्ञ की टिप्पणी
बांदा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिनेश शाह ने यंत्रों की स्थिति देख कर हैरानी जताई। उन्होंने कहा, "यह यंत्र किसी भी तकनीकी मानक पर खरे नहीं उतरते। वर्षामापी यंत्र को हमेशा खुले स्थान पर स्थापित किया जाना चाहिए, जहाँ आसपास न तो पेड़ हों और न ही इमारतें। लेकिन यहाँ तो यंत्र का स्थान ही गलत है।"
भूरागढ़ का हाल भी बेहाल
केंद्रीय जल आयोग द्वारा भूरागढ़ में स्थापित वर्षामापी केंद्र की स्थिति भी चिंताजनक पाई गई। यह केंद्र निचली यमुना मंडल, आगरा के अधीन संचालित होता है, जहाँ जल स्तर, निस्सारण, दाब और जल गुणवत्ता की जांच की जाती है।
यहाँ तैनात कर्मचारी युगाधर बथरा वर्षामापी यंत्र की देखरेख और रिपोर्टिंग का कार्य करते हैं। लेकिन उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि यह यंत्र पिछले दो वर्षों से खराब पड़ा है। विभागीय अधिकारी भारत कुमार चौरसिया को इसकी जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
रिपोर्ट में बड़ा अंतर
जून माह की 10 दिन की रिपोर्ट में कागज पर 130.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जबकि कलेक्ट्रेट से भेजी गई रिपोर्ट में केवल 110.4 मिमी वर्षा दर्ज है। इन दोनों आंकड़ों के बीच भारी अंतर यह दर्शाता है कि यंत्र सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं।
पूरी व्यवस्था भगवान भरोसे
वर्तमान में यंत्रों के अधिकांश पुर्जे टूट चुके हैं, कई हिस्से गायब हैं और उनमें जंग लग चुका है। उचित रखरखाव के अभाव में ये यंत्र अब पूरी तरह अनुपयोगी हो चुके हैं। वर्षा मापने की सरकारी व्यवस्था लगभग ध्वस्त हो चुकी है।
जरूरत है उच्च स्तरीय जांच की
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यंत्र ही खराब हैं, तो शासन को बारिश के आंकड़े किस आधार पर भेजे जा रहे हैं? इस गंभीर मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच किया जाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि भविष्य में वर्षा के आंकड़े सटीक और वैज्ञानिक तरीके से एकत्र किए जा सकें।
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