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प्रीपेड मीटर में विद्युत अधिनियम 2003 का उल्लंघन! उपभोक्ता परिषद ने कार्रवाई की मांग
Prepaid Meter in UP: उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश में 33 लाख 51 हजार 971 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। इनमें से 3 लाख 34 हजार 561 मीटर उपभोक्ताओं की सहमति के बिना ही प्रीपेड में बदले गए हैं।
Prepaid Meter in UP (Photo: Social Media)
Prepaid Meter in UP: उत्तर प्रदेश में उपभोक्ताओं की अनुमति के बिना स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मीटर में बदलने को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने एतराज जताया है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों से मुलाकात कर तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा यह कार्रवाई विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन है।
कनेक्शन काटने पर 15 दिन का नोटिस
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 33 लाख 51 हजार 971 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। इनमें से 3 लाख 34 हजार 561 मीटर उपभोक्ताओं की सहमति के बिना ही प्रीपेड में बदल दिए गए हैं। जो विद्युत अधिनियम 2003 की 47(5) का उल्लंघन है। इसपर नियामक आयोग बिजली कंपनियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई शुरू करे। विद्युत अधिनियम 2003 के तहत बकाया होने पर उपभोक्ता का कनेक्शन कम से कम 15 दिन का नोटिस दिए बिना नहीं काटा जा सकता है।
उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिले
उन्होंने सवाल उठाया कि प्रीपेड मीटर के मामले में नियम कैसे लागू होगा। इसमें बकाया होते ही कनेक्शन अपने आप कट जाता है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियां केंद्र सरकार के नियमों की बात करती हैं, जबकि विद्युत अधिनियम 2003 लोकसभा द्वारा पारित एक कानून है उसको कोई भी बदल नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि अगर कंपनियों को नियम इतनी जल्दी लागू करने हैं, तो उन्हें पहले उपभोक्ता अधिकार नियम 2020 के तहत सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देनी चाहिए।
स्मार्ट मीटर पर पांच प्रतिशत की छूट
इसके साथ ही स्मार्ट मीटर लगने पर 5 प्रतिशत की छूट देनी चाहिए। अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटरों में बड़े पैमाने पर चीनी कंपोनेंट इस्तेमाल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपोनेंट को बिजली कंपनियों के अधिकारी कमीशन लेकर भारतीय कंपोनेंट बताकर पास कर देते हैं। इसी कारण कई मीटर तेजी से चल रहे हैं और खराब हो रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है। उन्होंने बिजली नियामक आयोग से मामले की जांच की मांग की है।
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