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उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण पर अनौपचारिक बैठकों को बताया गलत
Electricity Privatization: विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल कर निजीकरण मसौदों को सार्वजनिक करने की मांग की है।
up electricity privatization controversy (photo: social media)
Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर सेक्टर के निजीकरण मसौदे को लेकर लगातार हो रही अनौपचारिक बैठकों पर कड़ा एतराज़ जताया है। परिषद ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल कर निजीकरण से जुड़े सभी मसौदों को सार्वजनिक करने और दर्जनों अनौपचारिक बैठकों के मिनट्स ऑफ मीटिंग जारी करने की मांग की है।
औपचारिक प्रक्रिया होगी अपनानी
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आयोग एक अर्धन्यायिक संवैधानिक संस्था है, ऐसे में मसौदे में कमियां निकालने के बाद सरकार और अधिकारियों के साथ बार-बार अनौपचारिक बैठकें करना रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के खिलाफ है। कोर्ट किसी भी मामले में शपथ पत्र के आधार पर जवाब लेती है, उसी प्रकार आयोग को भी औपचारिक प्रक्रिया अपनानी चाहिए, न कि मसौदे को पास कराने के लिए सुधार करवाने की कोशिश करनी चाहिए।
मसौदा सरकार को किया गया वापस
परिषद ने आरोप लगाया 42 जिलों के बिजली वितरण के निजीकरण के मसौदे में बड़े पैमाने पर संवैधानिक और वित्तीय खामियां पाई गईं है। आयोग ने पहले भी मसौदा सरकार को वापस कर सुधार करने की सलाह दी थी, जिसके बाद से असंवैधानिक रूप से नियुक्त कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्नटन तत्कालीन मुख्य सचिव व पावर कारपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारी आयोग के साथ कई बार अनौपचारिक बैठकें कर चुके हैं।
किस मीटिंग में अधिकारी ने क्या कहा
परिषद ने कहा कि भविष्य में जब इस मामले की जांच होगी, तो यह जानना जरूरी होगा कि किस मीटिंग में किस अधिकारी ने क्या कहा था। ऐसे में सभी बैठकों के मिनट्स रिकॉर्ड पर होने चाहिए, ताकि दोषियों को बचने का मौका न मिल पाएं। परिषद ने कहा कि निजीकरण का मसौदा पूरी तरह निजी घरानों को लाभ पहुंचाने वाला है और जनहित में पारदर्शिता के लिए इसका पूरा दस्तावेज सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
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