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Hapur News: होर्डिंग टेंडर में भ्रष्टाचार, लाखों का नुकसान
Hapur News: हापुड़ में करोड़ों के होर्डिंग टेंडर में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर, दो कंपनियों को मनमाने ढंग से जारी किए गए टेंडर, डीएम ने जांच समिति गठित कर दी सख्त चेतावनी।
होर्डिंग टेंडर में भ्रष्टाचार, लाखों का नुकसान (Photo- Social Media)
Hapur News: नगर पालिका हापुड़ में बड़ा घोटाला सामने आया है। गढ़-दिल्ली रोड और शहर के प्रमुख मार्गों पर लगे होर्डिंग्स के टेंडर को लेकर भ्रष्टाचार और मनमानी का बड़ा मामला उजागर हुआ है।सूत्रों के मुताबिक, पालिका के कुछ अधिकारियों ने नियमों और मानकों को ताक पर रखकर दो निजी कंपनियों, ईशान इंजीनियर्स एंड बिल्डर्स और आरती इंटरप्राइजेज, को करोड़ों रुपये के विज्ञापन होर्डिंग्स लगाने का टेंडर जारी कर दिया। इसमें न केवल वित्तीय नियमों का उल्लंघन हुआ, बल्कि पालिका के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच मिलीभगत की भी बात सामने आई है। डीएम अभिषेक पांडेय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों टेंडर रद्द कर दिए हैं और तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।
लाखों का नुकसान, करोड़ों की संभावित गड़बड़ी
जांच में सामने आया है कि दोनों कंपनियों को जारी किए गए टेंडरों में बोर्ड की स्वीकृति नहीं ली गई, और जमा शुल्क निर्धारित दरों से कई गुना कम लिया गया।एक कंपनी को तो मात्र एक जनप्रतिनिधि के मौखिक आदेश पर ही साढ़े तीन साल का टेंडर जारी कर दिया गया। जबकि दूसरी कंपनी को न्यायिक आदेश का हवाला देकर सड़क के डिवाइडर पर होर्डिंग लगाने की अनुमति दे दी गई।
जबकि पीडब्ल्यूडी के नियमों के अनुसार डिवाइडर पर किसी भी प्रकार का विज्ञापन बोर्ड या होर्डिंग लगाना प्रतिबंधित है।पालिका सूत्रों के मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया में लाखों रुपये के लेनदेन की आशंका जताई जा रही है। यहां तक कि कुछ पीडब्ल्यूडी अधिकारियों पर तीन लाख रुपये रिश्वत लेने का भी आरोप है।
पूर्व डीएम के आदेशों को फाइल में दबाया गया
इससे भी बड़ा खुलासा यह है कि हापुड़ के एक पूर्व जिलाधिकारी द्वारा पहले ही आदेश जारी किए गए थे कि गढ़-दिल्ली रोड पर कोई भी विज्ञापन या होर्डिंग नहीं लगाया जाएगा।लेकिन उनके तबादले के बाद इन आदेशों को फाइलों में दबा दिया गया, और नए सिरे से टेंडर जारी कर दिए गए।यानी साफ है कि अवैध कमाई के लिए पुराने आदेशों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।
कंपनियों के बीच विवाद से खुला मामला
पूरा मामला तब उजागर हुआ जब आरती इंटरप्राइजेज ने ईशान इंजीनियर्स एंड बिल्डर्स के खिलाफ जिलाधिकारी से शिकायत की।आरती इंटरप्राइजेज ने डीएम को बताया कि ईशान कंपनी को गैरकानूनी तरीके से साढ़े तीन साल का टेंडर जारी किया गया।बोर्ड मीटिंग में स्वीकृति नहीं ली गई।वार्षिक शुल्क वृद्धि (10%) का भी पालन नहीं किया गया।शिकायत के बाद डीएम अभिषेक पांडेय ने तुरंत टेंडर की पूरी फाइल तलब की और प्रारंभिक जांच में पाया कि दोनों कंपनियों को टेंडर देने में वित्तीय अनियमितता हुई है।
डीएम का सख्त रुख, दोनों टेंडर रद्द, जांच समिति गठित
जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जिलाधिकारी ने दोनों कंपनियों के टेंडर रद्द कर दिए और पालिका अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी।डीएम ने कहा “पालिका के अधिकारियों ने टेंडर प्रक्रिया में मानकों का पालन नहीं किया। वित्तीय हितों को नुकसान पहुंचाया गया है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”डीएम ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति टेंडर प्रक्रिया, शुल्क, स्वीकृति और संबंधित फाइलों की जांच करेगी।
सुरक्षा मानकों की भी अनदेखी
जांच में यह भी पाया गया कि होर्डिंग्स लगाने के लिए बनाए गए फाउंडेशन का कोई सेफ्टी चेक नहीं कराया गया।पीडब्ल्यूडी इंजीनियरिंग मानकों के अनुसार, सड़क किनारे लगाए जाने वाले होर्डिंग्स की ऊंचाई, दूरी और संरचना का सुरक्षा परीक्षण होना आवश्यक होता है। लेकिन पालिका अधिकारियों ने इन सभी बिंदुओं की पूर्णतया अनदेखी की।पालिका के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि “शिकायतें बार-बार आती रहीं, लेकिन अफसरों ने सब दरकिनार कर टेंडर जारी कर दिए।”
क्या बोले अधिकारी और कंपनियां
संजय मिश्रा (ईओ, नगर पालिका हापुड़) ने बताया आरती इंटरप्राइजेज की शिकायत पर जांच की गई। टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं मिलीं। जिलाधिकारी के निर्देश पर दोनों टेंडर रद्द कर दिए गए हैं। आगे उच्चाधिकारियों के आदेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।”
मैसर्स ईशान इंजीनियर्स एंड बिल्डर्स का पक्ष
“हमने सभी मानकों का पालन किया है। बोर्ड से पास कराना पालिका की जिम्मेदारी थी। हमारे टेंडर को रद्द करना अनुचित है।”
मैसर्स आरती इंटरप्राइजेज का बयान
“हमें न्यायालय के आदेश पर टेंडर मिला था। टेंडर निरस्त करना न्यायिक आदेश का उल्लंघन है। हम इसके खिलाफ कोर्ट में अपील करेंगे।”
कौन हैं जांच के घेरे में?
सूत्रों के अनुसार, जांच समिति की रिपोर्ट में कुछ वरिष्ठ पालिका अधिकारी, पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर, और एक स्थानीय जनप्रतिनिधि जांच के दायरे में हैं।इन पर आरोप है कि इन्होंने टेंडर जारी करने में कमीशन लेकर फाइलों को पास कराया।पालिका के अंदर से खबर मिली है कि कुछ अधिकारियों ने बड़े विज्ञापन ठेकेदारों से सांठगांठ कर टेंडर की शर्तें बदलीं।
अब कोर्ट की चौखट पर पहुंचेगा मामला
जांच के बाद मामला अब कानूनी मोड़ लेने जा रहा है।दोनों कंपनियों में से एक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर ली है। वहीं डीएम ने भी जांच रिपोर्ट को शासन को भेजने की बात कही है।संभावना जताई जा रही है कि आने वाले हफ्तों में इस मामले में पालिका के कई अधिकारी निलंबित हो सकते हैं।
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