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उम्मीद की नई किरण: 200 'नन्हे फरिश्तों' को झाँसी में उनके घर की खुशियाँ मिलीं
Jhansi News: आरपीएफ झाँसी ने बच्चों को सुरक्षित घर लौटाने में किया अहम योगदान
Operation Nanhe Farishtay
Jhansi News: यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि 200 मासूमों के चेहरों पर लौटी मुस्कान और 200 परिवारों की आँखों में छलके खुशी के आँसू हैं। रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ), झाँसी मंडल ने अपने विशेष अभियान "ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते" के तहत साल 2025 में अगस्त तक 200 ऐसे बच्चों को उनके अपनों से मिलाया है, जो रेलवे स्टेशनों की भीड़ में कहीं खो गए थे या फिर किसी अनजाने डर से घर छोड़ आए थे।इन बच्चों में 123 बालक और 77 बालिकाएँ शामिल हैं। आरपीएफ के जांबाज जवान इन बच्चों के लिए सिर्फ वर्दीधारी पुलिसकर्मी नहीं, बल्कि एक दोस्त, एक रक्षक और एक उम्मीद बनकर सामने आए हैं।
यह अभियान सिर्फ बच्चों को ढूंढ निकालने तक सीमित नहीं है। हर बच्चा जो भटकता हुआ मिलता है, उसे आरपीएफ कर्मी सबसे पहले एक सुरक्षित माहौल देते हैं, उनकी जरूरतों का ख्याल रखते हैं और उन्हें एहसास दिलाते हैं कि वे अब अकेले नहीं हैं। इसके बाद, बाल संरक्षण संस्थाओं के सहयोग से कानूनी और भावनात्मक प्रक्रिया पूरी करते हुए उन्हें उनके माता-पिता के सुपुर्द किया जाता है। उस पल का अंदाजा लगाना मुश्किल है, जब एक माँ अपने खोए हुए बच्चे को फिर से गले लगाती है।
यह 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' समाज को एक गहरा संदेश देता है: हर बच्चा अमूल्य है और उसकी सुरक्षा हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। आरपीएफ के जवान, अपनी नियमित गश्त और सीसीटीवी निगरानी के अलावा, इस नेक काम के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतते हैं। इस अभियान की सफलता में स्थानीय प्रशासन, चाइल्डलाइन और समाज के कई नेक संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
रेल सुरक्षा बल, झाँसी मंडल की एक विनम्र अपील है: अगर आप किसी भी रेलवे स्टेशन या ट्रेन में किसी बच्चे को अकेले, घबराया हुआ या संदिग्ध स्थिति में देखें, तो एक पल भी न गवाएं। तुरंत आरपीएफ या रेलवे अधिकारियों को सूचित करें। आपका एक छोटा सा कदम किसी 'नन्हे फरिश्ते' के जीवन में खुशियाँ लौटा सकता है।
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