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भारत-नेपाल बॉर्डर पर अवैध बस संचालन का पर्दाफाश! यूपी STF ने फर्जी परमिट गैंग के दो सक्रिय सदस्य किए गिरफ्तार
यूपी STF ने भारत-नेपाल सीमा पर फर्जी परमिट से अवैध बस संचालन करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है। कार्रवाई में दो सक्रिय सदस्य गिरफ्तार किए गए हैं। आरोपियों के पास से 11 फर्जी परमिट, बस, लैपटॉप और मोबाइल बरामद हुए। जांच में बड़ा ट्रैवल नेटवर्क सामने आया है।
UP News: भारत-नेपाल सीमा पर फर्जी विशेष परमिटों के जरिए चल रही अवैध अंतरराष्ट्रीय बस सेवा का बड़ा भंडाफोड़ यूपी STF ने किया है। रविवार रात हुई इस कार्रवाई में STF टीम ने गैंग के दो सक्रिय सदस्यों राम प्रसाद और बाले थापा उर्फ बालकिशन को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह कूटरचित (फर्जी) परमिट तैयार कर दिल्ली से नेपाल तक बसों का संचालन कर रहा था। यूपी STF ने दिल्ली और लखनऊ से कार्रवाई करते हुए बस, लैपटॉप, मोबाइल फोन और 11 फर्जी भारत-नेपाल यात्रा परमिट बरामद किए। आरोपियों से पूछताछ में बड़ा नेटवर्क सामने आया है, जो महीनों से यात्रियों को धोखे में रखकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे अंतरराष्ट्रीय रूट पर बसें चला रहा था।
यूपी STF की अंतरराज्यीय छापेमारी में दो गिरफ्तार
अपर पुलिस अधीक्षक लाल प्रताप सिंह के पर्यवेक्षण में चलाए गए इस ऑपरेशन में STF की दो टीमों ने दिल्ली और लखनऊ में संयुक्त छापेमारी की। पहली टीम ने नई दिल्ली के सागरपुर इलाके से राम प्रसाद को पकड़ा, जिसके पास से 7 फर्जी भारत-नेपाल यात्रा परमिट, एक लैपटॉप और मोबाइल फोन बरामद हुए। वहीं दूसरी टीम ने किसान पथ, लखनऊ से चालक बाले थापा उर्फ बालकिशन को गिरफ्तार किया, जो बस से नेपाल रूट पर जा रहा था। यूपी STF को यह जानकारी मिली थी कि यह वाहन कूटरचित परमिट के माध्यम से भारत-नेपाल के बीच अवैध बस संचालन में संलिप्त है। राम प्रसाद 'चाचा-चाची ट्रैवेल्स' नाम से ट्रैवल एजेंसी चला रहा था और इसी एजेंसी के जरिए यात्रियों को नेपाल भेजा जा रहा था।
फर्जी परमिट बनाकर नेपाल तक चलती थी बसें
पूछताछ में राम प्रसाद ने बताया कि उसने फरवरी 2024 में कन्नू ट्रैवेल्स से सेकेंड हैंड बस खरीदी थी और इसे अपनी पत्नी के नाम रजिस्टर कराया था। कानूनी परमिट प्राप्त करने की जटिल प्रक्रिया से बचने के लिए यह गैंग आरटीओ के वैध परमिटों में बदलाव कर PDF फॉर्मेट में फर्जी परमिट तैयार करता था। आरोपियों ने बताया कि नेपाल एम्बेसी और कांसुलेट से परमिट मिलने में समय लगता है, इसलिए वे खुद ही डॉक्युमेंट्स में फेरबदल कर बसों को अंतरराष्ट्रीय रूट पर भेज देते थे। इस गिरोह में राम प्रसाद, उसका बेटा मिलन शर्मा उर्फ सरोज, और ड्राइवर बाले थापा शामिल थे। यूपी STF ने बताया कि गैंग दिल्ली से यात्रियों की बुकिंग लेकर उन्हें नेपाल भेजता था और हर ट्रिप में मोटी रकम वसूलता था।
साइबर और फॉरेंसिक स्तर पर होगी फर्जीवाड़े की जांच
STF ने दोनों आरोपियों से बरामद लैपटॉप, मोबाइल और फर्जी परमिट दस्तावेज को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि यह गिरोह लंबे समय से भारत-नेपाल मार्ग पर कई ट्रैवल एजेंसियों से जुड़कर अवैध संचालन कर रहा था। इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब अलीगढ़ के सहायक सम्भागीय अधिकारी ने इस संबंध में मामला दर्ज कराया था और परिवहन आयुक्त की सिफारिश पर STF को जांच सौंपी गई थी। गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ अलीगढ़ के थाना बन्नादेवी में धारा 319(2), 318(4), 336(3), 338, 340(2) BNS के तहत केस दर्ज किया गया है। यूपी STF अधिकारियों के अनुसार, गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है और आने वाले दिनों में भारत-नेपाल बॉर्डर के अन्य अवैध बस ऑपरेटर्स पर भी कार्रवाई की जाएगी।
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