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'किसी निर्दोष को सजा मिली, तो यह उसके पिछले कर्म का परिणाम', संत प्रेमानंद महाराज ने ASP अनुज चौधरी को दी ऐसी सलाह
Premanand Maharaj: यूपी के एएसपी अनुज चौधरी ने संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात कर कानूनी और नैतिक जिम्मेदारियों पर मार्गदर्शन मांगा।
Premanand Maharaj ASP Anuj Chaudhary
Premanand Maharaj: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चर्चित पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी अब प्रमोट होकर डीएसपी से एएसपी बन गए हैं। प्रमोशन के बाद रविवार को वह वृंदावन पहुंचे, जहां उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। साथ ही वहां उन्होंने उनसे पुलिस के काम से जुड़े कुछ मुश्किल और नैतिक सवालों पर मार्गदर्शन भी मांगा।
आशीर्वाद के साथ मिला कानूनी मार्गदर्शन
मुलाकात के दौरान एएसपी अनुज चौधरी ने प्रेमानंद महाराज से कानून, न्याय और नैतिक जिम्मेदारी से जुड़े एक मुश्किल सवाल पर मार्गदर्शन मांगा। उन्होंने पूछा, "अगर किसी मामले में वादी कहे कि उसके बेटे की हत्या हुई है, लेकिन कोई पुख्ता सबूत न हो, और आरोपी कहे कि वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था, तो पुलिस क्या करे? अगर आरोपी को छोड़ दिया जाए तो लापरवाही का आरोप लगता है, और साक्ष्य के बिना कार्रवाई की जाए तो यह भी गलत लगता है। ऐसे में पुलिस की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी क्या है?"
संत प्रेमानंद महाराज का जवाब
इस सवाल का संत प्रेमानंद महाराज ने जवाब देते हुए कहा, "जब रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है, तो उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पुलिस को सिर्फ उपलब्ध साक्ष्यों और जांच के आधार पर ही किसी नतीजे तक पहुंचना चाहिए।"
उन्होंने आगे समझाया कि अगर कोई निर्दोष है और फिर भी सजा पा रहा है, तो यह उसके पुराने जन्म के कर्मों का परिणाम है। और अगर कोई अपराधी है लेकिन बच गया, तो उसका पाप छिपा नहीं रहेगा, समय आने पर उसे सजा जरूर मिलेगी।
पुराने जन्म के पाप और न्याय की प्रक्रिया
संत ने कहा, "कभी-कभी वर्तमान में व्यक्ति निर्दोष होता है, लेकिन पूर्व जन्म का कोई पाप उसे फंसा सकता है। वह कहेगा कि मैंने यह अपराध नहीं किया, और हम भी कहेंगे कि उसने यह नहीं किया, लेकिन उसे तब तक भुगतना पड़ेगा जब तक उसका छिपा पाप सामने नहीं आ जाता। जैसे ही उसका पाप खत्म होगा, साक्ष्य सामने आ जाएंगे और वह दोषमुक्त हो जाएगा।"
संत प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि पुलिस अगर रिपोर्ट और साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई करती है तो वह दोषी नहीं मानी जाएगी। लेकिन अगर किसी के कहने पर, पैसों के लालच में आकर, बिना साक्ष्य के कार्रवाई की जाए तो यह गलत होगा।
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