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Sonbhadra News: सोनभद्र में प्रदूषण को लेकर एनजीटी सख्त, कहा: यूपी के मुख्य सचिव न्यायाधिकरण में उपस्थित होकर करें सहयोग
बेंच ने पारित निर्णय में कहा कि सुनवाई के लिए छह तिथियां मुकर्रर होने के बाद भी, राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए, कोई प्रतिनिधि उपस्थिति नहीं हुआ। इसलिए सख्त निर्देश
Sonbhadra News (Social Media image)
Sonbhadra News: सोनभद्र में प्रदूषण के मसले पर वर्ष 2018 में एनजीटी की तरफ से दिए गए आदेश-निर्देश के अनुपालन में बरती जा रही उदासीनता के मसले पर एनजीटी सख्त हो उठी है। सोनभद्र के पर्यावरण की प्रदूषण सहने की बची क्षमता और बढ़ते प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर पड़ते प्रभाव को लेकर अध्ययन के दिए गए निर्देश पर पहल न होने के मसले का संज्ञान लेते हुए, एनजीटी की प्रधान पीठ की तरफ से राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर, सुनवाई मं सहयोग देने के लिए कहा गया है। बेंच ने पारित निर्णय में कहा कि सुनवाई के लिए छह तिथियां मुकर्रर होने के बाद भी, राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए, कोई प्रतिनिधि उपस्थिति नहीं हुआ। इसलिए प्राधिकरण के सामने, मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति होने और न्यायाधिकरण की सुनवाई में सहयोग करने का निर्देश देने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है।
बताते चलें कि सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी की तरफ से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल कर सोनभद्र में बढ़ते प्रदूषण और उसका मानव स्वास्थ्य पर पड़ते खराब असर का मसला उठाया गया है। कहा गया है कि इस मसले को लेकर एनजीटी की ओर से वर्ष 2018 में विस्तृत निर्णय पारित करते हुए, कई निर्देश दिए गए थे लेकिन अधिकांश निर्देशों का अब तक पालन नहीं किया गया है।
प्राधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और एक्सपर्ट मेंबर डॉ ए सेंथिल की बेंच ने गत आठ जुुलाई को मामले की सुनवाई की। पाया गया कि मुख्य सचिव के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य (प्रतिवादी संख्या 3) को नोटिस भेजा गया था लेकिन अब तक राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि इस मामले में न्यायाधिकरण के सामने उपस्थिति नहीं हुआ है, न ही प्रकरण को कोई जवाब अभी तक दाखिल किया गया है। बेंच का हना था कि इसको देखते हुए उनके पास मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को अगली सुनवाई की तारीख पर उपस्थित होने और न्यायाधिकरण की सहायता करने का निर्देश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
ताजा रिपोर्ट में इन मसलों पर पहल के दिए गए हैं सुझाव:
दाखिल की गई याचिका के क्रम में एनजीटी की ओर से संयुक्त कमेटी गठित करते हुए सोनभद्र में प्रदूषण की वर्तमान स्थिति और पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इसके क्रम में संयुक्त कमेटी की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट में कहा गया कि प्रदूषण प्रभावित इलाको में स्वास्थ्य विभाग को समय-समय पर स्वास्थ्य जांच, विशेष कर वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों और पेयजल में फ्लोराइड, नाइट्रेट और आयरन की उच्च सांद्रता से संबंधित बीमारियों के संबंध में उपचार की समुचित प्रक्रिया अमल में लाई जानी चाहिए।
अनपरा की तरफ सोनभद्र के पूरे प्रदूषित क्षेत्र में चलाई जाए योजना:
संयुक्त कमेटी की ओर से रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तरह से अनपरा में प्रदूषण नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) योजना लागू की गई है। उसी तरफ की योजना सोनभद्र के पूरे प्रदूषण क्षेत्र में लागू की जाए। इसके लिए संबंधित एसपीसीबी क्षेत्र के लिए स्रोत विभाजन अध्ययन किसी प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान से कराए और वायु प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं को तैयार करने के लिए इसे ध्यान में रखे।
प्रदूषण नियंत्रण के सुझावों पर अमल के लिए की जाए पहल:
- वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अतिरिक्त कार्य बिंदुओं की पहचान, आरटीओ, खनन विभाग आदि के साथ अंतर्राज्यीय बैठकें करते हुए इसकी कार्यवृत्ति सीईपीआई पोर्टल पर साझा करने की जरूरत जताई गई है। सुनवाई कर रही प्रधान पीठ का कहना है कि सीपीसीबी द्वारा दिए गए उपरोक्त सुझावों को उत्तर प्रदेश राज्य और उसके अधिकारियों द्वारा लागू किया जाना आवश्यक है। इसके लिए जरूरी पहल की जानी चाहिए।
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