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अमेरिका-ईरान में होगी दोस्ती? खामनेई ने ट्रंप के सामने रख दी बड़ी शर्त, 'कहा- बात मानो वरना...'
US-Iran friendship: अमेरिका और ईरान के बीच रिश्तों में नया मोड़ आया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने ट्रंप के सामने सख्त शर्त रखी है, जब तक अमेरिका इज़रायल का साथ नहीं छोड़ता और मध्य पूर्व में दखल नहीं रोकता, तब तक दोस्ती मुमकिन नहीं।
US-Iran friendship: ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे दशकों पुराने तनावपूर्ण संबंधों में एक नया मोड़ आया है। जहाँ एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान पर दबाव बनाने के साथ-साथ दोस्ती और सहयोग की गुंजाइश बता रहे हैं, वहीं ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने दोस्ती के लिए एक सख्त और सीधी शर्त रख दी है। सोमवार को खामेनेई ने स्पष्ट किया कि जब तक अमेरिका इज़रायल का साथ देना नहीं छोड़ता, मध्य पूर्व में दखलंदाजी जारी रखता है और अपने सैन्य ठिकाने बनाए रखता है, तब तक तेहरान के साथ उसकी दोस्ती मुमकिन नहीं है। खामेनेई के इस बयान ने साफ कर दिया है कि अमेरिका-इजरायल गठबंधन बना रहेगा, तो ईरान के साथ संबंध सामान्य नहीं हो पाएंगे। यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका बार-बार साझेदारी का रास्ता खुला रखने की बात कह रहा है।
अमेरिका को 'शर्त' मंज़ूर? इज़रायल का साथ छोड़ना होगा
ईरान के सर्वोच्च नेता ने बिना लाग-लपेट कहा कि तेहरान अब अधूरे भरोसे पर कोई सौदा नहीं करेगा। उन्होंने दोस्ती का रास्ता खोलने के लिए सबसे सख्त शर्त रखी कि अमेरिका इज़रायल का साथ छोड़ दे। गौरतलब है कि अक्टूबर में ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ईरान के साथ सहयोग और दोस्ती के लिए तैयार है, बशर्ते तेहरान राजी हो। उन्होंने जोर दिया था कि साझेदारी का रास्ता हमेशा खुला रहेगा। खामेनेई ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को सीधे तौर पर ठुकराते हुए स्पष्ट किया कि अमेरिका का मध्य पूर्व में दखल और सैन्य ठिकाने बनाना ही दोनों देशों के बीच संबंधों के सामान्य न होने का मुख्य कारण है। यह शर्त वैश्विक राजनीति में भू-राजनीतिक गठबंधनों को तोड़ने की एक अप्रत्यक्ष मांग है।
परमाणु कार्यक्रम: शांतिपूर्ण या हथियार?
दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य न होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण ईरान का परमाणु कार्यक्रम है, जिस पर अब तक पांच चरणों की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। बहस का केंद्र यूरेनियम संवर्धन पर है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश चाहते हैं कि ईरान अपना संवर्धन कार्यक्रम पूरी तरह रोक दे, ताकि परमाणु हथियार बनाने की कोई आशंका न रहे। दूसरी ओर, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और यह उसके संप्रभु अधिकारों का हिस्सा है। ईरान लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि वह ऊर्जा और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए संवर्धन जारी रखेगा।
ईरान का बड़ा खुलासा: 'दो हफ्ते में बन सकता है परमाणु बम'
इन दावों और प्रतिदावों के बीच, ईरान के पूर्व वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी मोहम्मद-जवाद लारीजानी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। लारीजानी ने बताया कि ईरान दो हफ्तों में परमाणु बम बना सकता है, लेकिन फिर भी वह इस रास्ते से परहेज करता है। लारीजानी ने इस परहेज का कारण बताते हुए कहा कि सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने परमाणु हथियारों के विरुद्ध फतवा जारी किया है, जो मजबूत शिया न्यायशास्त्र पर आधारित है। यह खुलासा पश्चिमी देशों के उस डर को और बढ़ा सकता है कि ईरान परमाणु हथियार हासिल करने के कगार पर है। खामेनेई की इस सख्त शर्त ने यह दर्शा दिया है कि ईरान अपने सिद्धांतों से पीछे हटने को तैयार नहीं है। जब तक अमेरिका अपनी मध्य पूर्व नीति और इज़रायल के प्रति समर्थन में बदलाव नहीं करता, तब तक दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध बने रहने की पूरी आशंका है।
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