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भारत के खिलाफ बांग्लादेश की साजिश? तुर्की की मदद से तैयार हो रहा ‘किल चेन’ सिस्टम, दिल्ली की सीमा तक मंडराने लगे TB2 ड्रोन
Bangladesh kill chain system: पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश भी उसी रास्ते पर चल पड़ा है, जहां से दिल्ली के लिए खतरे की नई परिभाषा तैयार की जा रही है। और सबसे बड़ा झटका यह है कि ये सब हो रहा है तुर्की की सैन्य मदद और समर्थन से – वो तुर्की जो पहले से ही भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़ा होता रहा है।
Bangladesh kill chain system: दक्षिण एशिया में एक नया भूचाल जन्म ले रहा है… और यह भारत की सीमाओं के बेहद करीब हो रहा है। पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश भी उसी रास्ते पर चल पड़ा है, जहां से दिल्ली के लिए खतरे की नई परिभाषा तैयार की जा रही है। और सबसे बड़ा झटका यह है कि ये सब हो रहा है तुर्की की सैन्य मदद और समर्थन से – वो तुर्की जो पहले से ही भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़ा होता रहा है। बांग्लादेश की सेना ने जो ‘Forces Goal 2030’ के तहत युद्ध नीति तैयार की है, वह अब सिर्फ एक रक्षा योजना नहीं, बल्कि एक सटीक और आक्रामक 'किल चेन' वॉर डॉक्ट्रिन में बदल चुकी है। और इसका पहला निशाना – भारत के पूर्वोत्तर के संवेदनशील इलाके हो सकते हैं।
बांग्लादेश का ‘किल चेन’ मॉडल – दिल्ली के दरवाजे पर नई जंग की दस्तक?
TRG-300 Kaplan मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम और बायरकतार TB2 ड्रोन – ये दो नाम अब सिर्फ बांग्लादेश की सैन्य ताकत के नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ एक संभावित खतरनाक गठजोड़ के प्रतीक बन चुके हैं। बांग्लादेश अब उस 'सेंसर टू शूटर' नेटवर्क को विकसित कर चुका है, जिसकी झलक दुनिया ने पहली बार नागोर्नो-काराबाख युद्ध में देखी थी। TRG-300 सिस्टम, जो 190 किलो तक के स्टील बॉल सबम्यूनिशन ले जाने में सक्षम है, भारत के किसी भी सीमावर्ती क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है। और उससे पहले आसमान में मंडराता TB2 ड्रोन रियल-टाइम इंटेलिजेंस देकर इस पूरे हमले को स्मार्ट बना देता है। यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि हकीकत है। बांग्लादेश ने तुर्की से 12 बायरकतार TB2 ड्रोन खरीदे हैं, जिनमें से 6 पहले ही ऑपरेशनल हो चुके हैं। ये ड्रोन न सिर्फ निगरानी करते हैं, बल्कि जमीनी टारगेट की पहचान करके TRG-300 रॉकेट के लिए टारगेटिंग कोड भी भेजते हैं। यानी आकाश और ज़मीन के बीच एक ‘डिजिटल डेथ लिंक’ बन चुका है।
भारत की चेतावनी – ड्रोन दिखा तो मार गिराया जाएगा
भारत ने इस खतरनाक गठजोड़ को समय रहते पहचान लिया है। रक्षा मंत्रालय ने बांग्लादेश को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उनके बायरकतार TB2 ड्रोन मेघालय, त्रिपुरा या मिजोरम की सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में भी दिखे, तो उन्हें सीधे मार गिराया जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के अंत में बांग्लादेश के एक TB2 ड्रोन ने मेघालय-त्रिपुरा के बीच बेहद संवेदनशील भारतीय एयरस्पेस के पास उड़ान भरी थी। इससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों में रेड अलर्ट जारी हुआ था। यह ड्रोन ढाका के तेजगांव एयरबेस से लॉन्च हुआ था और बांग्लादेश सेना की 67वीं ISR बटालियन द्वारा ऑपरेट किया जा रहा था।
पाकिस्तान-चीन-अजरबैजान के रास्ते पर ढाका?
TRG-300 सिस्टम और TB2 ड्रोन का इंटीग्रेशन भारत को कुछ और भी बताता है – ढाका अब पाकिस्तान और चीन की ही तरह एक 'साइबर-नेटवर्क्ड मिलिट्री वॉरफेयर' मॉडल अपना रहा है। जिस तरह कराबाख युद्ध में अजरबैजान ने आर्मेनिया को TB2 और स्मार्ट आर्टिलरी से घुटने टेकने पर मजबूर किया, वही मॉडल अब भारत की सीमा पर प्रयोग में लाया जा सकता है। बांग्लादेश की सेना C4ISR प्रणाली (Command, Control, Communications, Computers, Intelligence, Surveillance and Reconnaissance) के साथ एक फुल नेटवर्क आधारित युद्ध प्रणाली तैयार कर चुकी है। GPS जैमिंग, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुरक्षा और ऑटोमैटिक टारगेट ट्रैकिंग से लैस ये प्रणाली दक्षिण एशिया में पहली बार इस स्तर पर किसी देश के पास है – और वह भी भारत के इतने करीब।
TB2 ड्रोन, जिनसे भारत डरता नहीं – लेकिन सतर्क ज़रूर है
हालांकि भारत के पास ऐसी एडवांस्ड एयर डिफेंस प्रणाली मौजूद है जो TB2 जैसे ड्रोन को पल भर में गिरा सकती है। पाकिस्तान पहले ही इन्हें भारत के खिलाफ आज़मा चुका है और एक भी ड्रोन भारतीय सीमा में दाखिल नहीं हो पाया। लेकिन फिर भी खतरा कम नहीं होता। क्योंकि अब ये ड्रोन सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि युद्ध की रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं। रियल-टाइम डेटा, लाइव लोकेशन और सटीक लक्ष्य साधना – ये तीनों ही पहलू भारत की सीमा के बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में बांग्लादेश के कद को बढ़ा सकते हैं।
भारत की नई चुनौती – 'दुश्मनों का पूर्वी गठजोड़'
भारत अब एक नई रणनीतिक परिस्थिति में घिरता दिख रहा है – पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में चीन और अब पूर्व में बांग्लादेश, सभी देश किसी ना किसी स्तर पर एक नेटवर्क आधारित युद्ध मॉडल अपना चुके हैं। और इन तीनों के पीछे तुर्की, ईरान, और रूस जैसे देश खड़े हैं। अगर भारत सतर्क नहीं रहा, तो ये ‘किल चेन गठजोड़’ भविष्य में देश की संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
बांग्लादेश अब 'जियोपॉलिटिक्स का प्यादा' नहीं, एक खिलाड़ी बन चुका है
बांग्लादेश अब सिर्फ एक छोटा पड़ोसी देश नहीं रहा, जिसकी सेना को सीमित और पारंपरिक माना जाता था। ‘Forces Goal 2030’ के तहत अब यह देश एक तकनीकी-सक्षम, नेटवर्क आधारित सैन्य ताकत बन रहा है, जिसकी आंखें अब सिर्फ अंदर नहीं, बाहर की ओर भी घूर रही हैं। हालांकि भारत के पास अभी भी सैन्य और तकनीकी श्रेष्ठता है, लेकिन इस ‘साइलेंट राइजिंग’ को नजरअंदाज करना अब मुमकिन नहीं। नई दिल्ली को अब सिर्फ पश्चिमी मोर्चे पर नहीं, बल्कि पूर्व में भी एक नई चाणक्यनीति अपनानी होगी। क्योंकि सवाल अब सिर्फ एक TB2 ड्रोन का नहीं है… सवाल है – क्या बांग्लादेश धीरे-धीरे भारत के खिलाफ एक 'पारंपरिक दोस्त से छुपा दुश्मन' बनता जा रहा है? और अगर हाँ, तो अगली जंग का मैदान कहीं असम या त्रिपुरा न बन जाए...।
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