TRENDING TAGS :
डैडी ट्रंप का नया पागलपन! खामेनेई को जिंदा रखा, अब थैंक्यू बोलो नहीं तो... ट्रंप की धमकी से दहला ईरान, इजरायल को भी सुनाया फरमान
Trump threat to Iran: डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर सबको चौंकाते हुए सोशल मीडिया पर दावा किया है कि उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई को भयानक मौत से बचा लिया। उन्होंने यह भी कहा कि इजराइल खामेनेई की हत्या के लिए अपने लड़ाकू विमानों को भेज चुका था लेकिन ट्रंप ने उन्हें रोक दिया।
Trump threat to Iran: दुनिया का सबसे ताकतवर देश अचानक किसी एक आदमी की सनक पर चलने लगे। एक ऐसा व्यक्ति, जो एक दिन दुश्मन को बम से उड़ाने की बात करे और अगले ही दिन उसी दुश्मन को बचाने का दावा भी ठोक दे। जो कभी खुद को ‘डैडी’ कहलवाए, तो कभी शांति का देवता बन कर नोबेल ट्रॉफी के पीछे भागे। अब आप समझ ही गए होंगे, बात हो रही है—डोनाल्ड ट्रंप की! जी हां, वही ट्रंप जो अमेरिका के राष्ट्रपति जो खुद को पूरी दुनिया का ‘सुपर बॉस’ मानते हैं और इस बार उन्होंने जो कहा है, वो न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि विश्व राजनीति के सारे समीकरणों को झकझोर देने वाला है।
"मैंने खामेनेई को मौत से बचाया!" – ट्रंप का विस्फोटक दावा
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर सबको चौंकाते हुए सोशल मीडिया पर दावा किया है कि उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई को भयानक मौत से बचा लिया। उन्होंने यह भी कहा कि इजराइल खामेनेई की हत्या के लिए अपने लड़ाकू विमानों को भेज चुका था लेकिन ट्रंप ने उन्हें रोक दिया। यानी, ट्रंप खुद को अब न केवल अमेरिका का बल्कि ईरान के दुश्मनों का भी ‘रक्षक’ बता रहे हैं। यह वही ट्रंप हैं जिन्होंने बीते वर्षों में ईरान पर हमले की बात कही थी, नए प्रतिबंध लगाए थे और कूटनीतिक तौर पर उसे अलग-थलग करने की कोशिश की थी। लेकिन अब ट्रंप कह रहे हैं कि वे ईरान की मदद करना चाहते थे, प्रतिबंध हटाना चाहते थे—पर ईरान ने अमेरिका के खिलाफ ज़हर उगलकर उनका दिल तोड़ दिया।
डैडी टी-शर्ट और नोबेल ट्रैप
डोनाल्ड ट्रंप की ताज़ा मुहिम सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि एक पर्सनल ब्रांडिंग की कोशिश है। ‘डैडी रेड टी-शर्ट’ नाम की प्रचार सामग्री, जिसमें ट्रंप की तस्वीर के साथ ‘DADDY’ लिखा है, उनके वेबसाइट पर बिक रही है। ट्रंप अब खुद को राष्ट्रपति कम और "दुनिया का पालनहार" ज़्यादा दिखाने की कोशिश में लगे हैं। ये वही ट्रंप हैं जिन्हें नाटो महासचिव ने कभी मज़ाक में 'डैडी' कहा था, लेकिन अब वो इसे अपनी पहचान बना चुके हैं। शांति वार्ताओं से लेकर परमाणु धमकियों तक, ट्रंप का हर कदम अब उन्हें नोबेल पुरस्कार की ओर ले जाने वाला प्रयास लगता है। शायद यही वजह है कि वे दुनिया की हर समस्या में खुद को एक 'ईश्वर तुल्य' समाधानकर्ता के तौर पर पेश कर रहे हैं—कभी इजराइल की मदद कर के, कभी ईरान को बचा कर, कभी यूक्रेन को सहायता दे कर और कभी रूस के खिलाफ बयान देकर।
ट्रंप की दोमुंही डिप्लोमेसी से परेशान ईरान
ईरान के लिए यह स्थिति बेहद उलझनभरी है। ट्रंप एक ओर इजराइल को गुप्त रूप से समर्थन देते हैं, वहीं दूसरी ओर कहते हैं कि उन्होंने ही खामेनेई की जान बचाई। एक पल में हमले का आदेश और दूसरे पल में शांति का प्रस्ताव—ट्रंप की इस "डालर डिप्लोमेसी" ने ईरान को न सिर्फ कूटनीतिक रूप से अस्थिर किया है बल्कि उसे वैश्विक मंच पर असहज भी कर दिया है। ट्रंप का यह दावा कि "खामेनेई आज जिंदा हैं तो सिर्फ मेरी वजह से"—न केवल एक राजनीतिक स्टंट है, बल्कि एक तरह का धमकी भरा एहसान भी है। इसका स्पष्ट संदेश है—अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी, तो अगली बार शायद मैं जेट्स को रोकूं भी नहीं।
शांति के नाम पर आग—यूक्रेन और इजराइल भी ट्रंप के रडार पर
ट्रंप का ‘शांति प्रेम’ सिर्फ ईरान तक सीमित नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी उन्होंने बार-बार ये कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन की बहुत मदद की और अब यूक्रेन को उनका ‘धन्यवाद’ देना चाहिए। यही नहीं, उन्होंने इजराइल को भी कहा कि उसे ट्रंप का आभार जताना चाहिए क्योंकि अमेरिका ने उसे हथियार दिए। तो सवाल उठता है—क्या ट्रंप अब राष्ट्रपति नहीं, बल्कि थैंक्यू कलेक्टर बन चुके हैं? जिस देश ने खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा, वही देश अब एक ऐसे नेता के इर्द-गिर्द घूम रहा है जो खुद को ‘डैडी ऑफ डिप्लोमेसी’ समझता है और पूरी दुनिया से उम्मीद करता है कि सब उसके आगे सिर झुकाएं।
भारत के लिए संकेत—क्या अगला निशाना दिल्ली?
हालांकि फिलहाल ट्रंप का ध्यान ईरान, इजराइल और यूक्रेन पर है, लेकिन उनके इतिहास को देखते हुए यह भी मुमकिन है कि अगला निशाना भारत हो। भारत-अमेरिका संबंध हाल के वर्षों में संतुलित रहे हैं, लेकिन ट्रंप की दोहरी नीति और नोबेल की भूख भारत को भी वैश्विक मंच पर झटका दे सकती है।विशेषकर तब, जब ट्रंप एक बार फिर राष्ट्रपति बनने की दौड़ में हैं। अगर ऐसा हुआ, तो भारत को भी उन्हीं 'थैंक्यू टेस्ट्स' से गुजरना पड़ सकता है, जहां हर कूटनीतिक निर्णय एक एहसान बन जाएगा—और उसका मूल्य भारत को व्यापार, रक्षा या वैश्विक मंचों पर चुकाना पड़ सकता है।
क्या ट्रंप की राजनीति अब मनोरंजन बन गई है?
डोनाल्ड ट्रंप का हर बयान अब किसी हॉलीवुड स्क्रिप्ट जैसा लगता है—थोड़ा डर, थोड़ा ड्रामा और अंत में एक ‘सुपर हीरो’ मोमेंट, जिसमें वो खुद को दुनिया का रक्षक साबित करते हैं। लेकिन सवाल यही है कि क्या यह सब कूटनीति है या प्रचार? क्या ट्रंप की ‘शांति रणनीति’ वाकई विश्व में स्थिरता लाने का प्रयास है, या फिर यह एक ऐसी नोबेल ड्रामेबाज़ी है जिसमें दुनिया को सिर्फ एक कुर्सी के लिए बंधक बनाया जा रहा है? क्योंकि जब एक आदमी खुद को 'डैडी', 'रक्षक', 'शांति दूत', 'बॉस' और 'नोबेल विनर' एक साथ घोषित कर दे… तो यकीन मानिए, असली खतरा वहीं से शुरू होता है और इस बार धमाका सिर्फ जेट्स या मिसाइलों से नहीं—बल्कि ट्रंप की ‘ट्रोल डिप्लोमेसी’ से हो सकता है। भारत को भी अब इस सर्कस से सावधान रहना चाहिए!
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge