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खामेनेई की विदाई तय? ट्रंप ने किया बड़ा ऐलान, ईरान में मचा हड़कंप, MIGA से लेकर सीजफायर तक डोनाल्ड ट्रंप का सफर!

Donald Trump On Iran: डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ नया नारा MIGA दिया, अमेरिका-इजरायल के हमलों के बाद ईरान में सीजफायर हुआ। जानिए क्या है ट्रंप की नई रणनीति, खामेनेई की सत्ता पर सवाल, और ईरान में संभावित बदलाव।

Harsh Sharma
Published on: 24 Jun 2025 9:24 AM IST
Khameneis departure confirmed Trump made a big announcement created panic in Iran Donald Trumps journey from MIGA to ceasefire
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Khamenei's departure confirmed Trump made a big announcement created panic in Iran Donald Trump's journey from MIGA to ceasefire

Donald Trump On Iran: डोनाल्ड ट्रंप का मशहूर नारा रहा है MAGA यानी "Make America Great Again", जो उनकी देशभक्ति और आर्थिक नीतियों का प्रतीक रहा है। लेकिन अब ईरान पर हमले के बीच ट्रंप ने एक नया नारा दिया है – MIGA, मतलब "Make Iran Great Again"। दरअसल, अमेरिका और इजरायल ने मिलकर ईरान पर बड़ा हमला किया है। उनका मुख्य मकसद था – ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना। ट्रंप और नेतन्याहू का कहना है कि उन्होंने यह लक्ष्य हासिल कर लिया है। रविवार को अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों – इस्फहान, नतांज और फोर्डो पर हमला किया। ट्रंप का दावा है कि इस हमले से ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब डिरेल हो गया है।

अमेरिका-इजरायल के हमले से ईरान को बड़ा नुकसान

ईरान की जिन तीन न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिका और इजरायल ने हमला किया, वहां भारी नुकसान हुआ है। इन ठिकानों के जल्द फिर से काम शुरू करने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। इन हमलों के बाद अमेरिका चाहता था कि ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर (युद्धविराम) हो जाए। लेकिन यह काम आसान नहीं था। दरअसल, ईरान नहीं चाहता था कि दुनिया उसे उस देश के तौर पर देखे जो युद्ध में हार गया हो, जिसके परमाणु ठिकाने तबाह कर दिए गए हों। इसलिए, ईरान सीजफायर के लिए तुरंत तैयार नहीं हुआ।

कतर और इराक में एयरबेस पर हमला

जब अमेरिका ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर करवाने की कोशिश कर रहा था, तब ईरान बदले की तैयारी कर रहा था। ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कतर में मौजूद अमेरिका के अल उदीद एयरबेस पर हमला किया। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने कतर के अल उदीद और इराक के अल असद एयरबेस पर कई मिसाइलें दागीं। ईरान ने इस हमले के बाद कहा कि "अब हमारा बदला पूरा हो गया है।"

क्या अब ईरान की सरकार बदलना अगला मकसद है?

ईरान की ओर से हुए मिसाइल हमले पर ट्रंप ने ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने कहा कि ईरान ने कुल 14 मिसाइलें दागीं, जिनमें से 13 को आसमान में ही रोक दिया गया। सिर्फ एक मिसाइल जमीन पर गिरी, लेकिन उससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने भी माना कि इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ। हालांकि उन्होंने यह भी दोहराया कि ईरान कभी हार मानने वाला देश नहीं है।

12 दिन का युद्ध खत्म

आखिरकार 23 जून 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर ऐलान किया कि ईरान और इजरायल अब पूरी तरह से सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं। उन्होंने बताया कि यह सीजफायर 6 घंटे में शुरू होगा और अगले 24 घंटों में पूरी तरह लागू हो जाएगा। ट्रंप ने इसे “12 दिन का युद्ध” खत्म होने वाला ऐतिहासिक फैसला बताया।

अब अगला कदम क्या होगा?

अब सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका और इजरायल अब ईरान की मौजूदा सरकार को हटाने की योजना बना रहे हैं? क्या अब अयातुल्ला खामेनेई की सत्ता पर सीधा वार होगा? ट्रंप ने अपने पोस्ट में "Make Iran Great Again (MIGA)" का नारा दिया है। यह नारा या तो ईरान की मौजूदा हालत पर तंज है, या फिर आने वाले समय में किसी बड़ी रणनीति का संकेत भी हो सकता है।

सत्ता में रहने का हक नहीं

ट्रंप ने एक पोस्ट में लिखा है कि अगर ईरान की वर्तमान सरकार देश को फिर से महान बनाने में असमर्थ है, तो उसके सत्ता में रहने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, "शासन परिवर्तन" शब्द सही नहीं लग सकता, लेकिन अगर मौजूदा शासन ईरान को बेहतर नहीं बना सकता, तो क्यों न इसे बदला जाए? MIGA

ट्रंप की यह बात उनके उस नीति का हिस्सा है जिसमें वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय ताकत को कमजोर करना चाहते हैं। हाल ही में अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों नतांज, फोर्डो और इस्फहान पर हमले किए हैं। ट्रंप का यह बयान ईरान को और कमजोर करने या वहां के लोगों में असंतोष बढ़ाने की कोशिश हो सकती है। ट्रंप इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि ईरान के अंदर उनकी सरकार के खिलाफ कौन-कौन उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया देता है।

ट्रंप अक्सर अपने बयान देकर विरोधियों को भ्रमित करते हैं, उनके खिलाफ काम करते हैं और बातचीत में दबाव बनाते हैं। "MIGA" कहकर वे अमेरिकी समर्थक ईरानी जनता को उनके देश के पुराने गौरव की याद दिला रहे हैं। ऐसा करके वे ईरान की सरकार को चुनौती दे रहे हैं और जनता में नए नेतृत्व की उम्मीद जगा रहे हैं। रजा शाह पहलवी ईरान में संवैधानिक राजतंत्र चाहते हैं, जिसमें एक राजा होगा जो संविधान से अपनी ताकत लेगा। इसके साथ-साथ वहां अन्य लोकतांत्रिक संस्थाएं भी होंगी। अभी तक अमेरिका ने ईरान में सरकार बदलने को लेकर कोई साफ बयान नहीं दिया है।

हालांकि ट्रंप ने अपने ट्वीट में ईरानी सरकार को हटाने की बात नहीं कही है और यह भी नहीं कहा कि अमेरिका ईरानी सरकार को हटाने में मदद करेगा। लेकिन उनके शब्दों के बाद अमेरिका के कुछ बड़े नेता सामने आकर सफाई देने पर मजबूर हो गए।

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने रविवार को कहा कि अमेरिका का मकसद सिर्फ ईरान के परमाणु हथियारों को खत्म करना है। उपराष्ट्रपति वांस ने न्यूज चैनल एबीसी को बताया, "हम शासन परिवर्तन नहीं चाहते। हम केवल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना चाहते हैं। यही काम राष्ट्रपति ने हमें करने के लिए कहा है।"

क्या सैन्य कार्रवाई से सरकार बदली जा सकती है?

अमेरिका ने पहले भी इराक (2003) और अफगानिस्तान (2001) में सेना भेजकर बड़े ऑपरेशन किए हैं। लेकिन ये लड़ाइयां लंबी, महंगी और राजनीतिक रूप से विवादित साबित हुईं। ट्रंप ने पहले की सरकारों की इन नीतियों की आलोचना की है और मिडिल ईस्ट से सैनिक वापस बुलाने की बात कहते हैं। अब सवाल यह है कि क्या अमेरिका ईरान में सरकार बदलना चाहेगा? इसका फैसला युद्ध के नतीजे, दुनिया की प्रतिक्रिया, कच्चे तेल की कीमतें और आर्थिक हालात देखकर होगा।

ट्रंप की नीति और युद्ध से बचाव

ट्रंप की रणनीति में ज्यादातर कूटनीति और हवाई हमलों पर भरोसा है। वे चाहते हैं कि ईरान को नुकसान पहुंचाकर उसे बातचीत के लिए मजबूर किया जाए। उन्होंने सीजफायर करवाकर इसे भी दिखाया है। अगर अमेरिका ईरान में जमीन पर सेना भेजेगा, तो यह उनके ‘युद्धों से दूर रहने’ वाले वादे के खिलाफ होगा। साथ ही, जमीन पर लड़ाई में अमेरिकी सैनिकों को भी खतरा होगा। पश्चिम एशिया में आत्मघाती हमले और गुरिल्ला लड़ाई जैसी तकनीकों में अमेरिकी सेना ज्यादा माहिर नहीं है। इसलिए अमेरिका ऐसा खतरा लेना नहीं चाहेगा।

ईरान की सैन्य ताकत और उसका क्षेत्रीय नेटवर्क

ईरान की सेना बहुत मजबूत है और उसके पास क्षेत्र में कई सहयोगी हैं, जैसे हिज्बुल्लाह, हमास, हौथी और इराकी मिलिशिया। ये सब मिलकर ईरान को इराक या लीबिया जैसे आसान लक्ष्य बनने से बचाते हैं। इसी वजह से अमेरिका और इजरायल सीधे युद्ध से बचते हैं, क्योंकि अगर ये लड़ाई शुरू हुई तो पूरा मध्य-पूर्व जल सकता है।

ईरान से सीधे लड़ाई का खतरा इजरायल नहीं उठाएगा

इजरायल अपने दम पर ईरान में जमीन पर हमला नहीं कर सकता। उसके पास जरूरी सैन्य संसाधन और सपोर्ट सीमित हैं। वहीं, ईरान की सेना और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स बहुत अच्छे से लड़ाई और प्रशिक्षण में माहिर हैं। इसलिए इजरायल ईरान के सामने सीधी लड़ाई का जोखिम लेना नहीं चाहेगा, खासकर क्योंकि ईरान का इलाका पहाड़ों वाला और लड़ाई के लिए मुश्किल है। ईरान की सेना जमीन पर लड़ाई में बहुत सक्षम है। इसलिए अगर कोई ग्राउंड ऑपरेशन हुआ तो इसमें बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है और लड़ाई लंबी खिंच सकती है। हालांकि कूटनीति का रास्ता साफ नहीं होता। इसलिए ईरान के नेता खामेनेई अपने भविष्य को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो सकते।

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Harsh Sharma

Harsh Sharma

Content Writer

हर्ष नाम है और पत्रकारिता पेशा शौक बचपन से था, और अब रोज़मर्रा की रोटी भी बन चुका है। मुंबई यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया, फिर AAFT से टीवी पत्रकारिता की तालीम ली। करियर की शुरुआत इंडिया न्यूज़ से की, जहां खबरें बनाने से ज़्यादा, उन्हें "ब्रेकिंग" बनाने का हुनर सीखा। इस समय न्यूज़ ट्रैक के लिए खबरें लिख रहे हैं कभी-कभी संजीदगी से, और अक्सर सिस्टम की संजीदगी पर हल्का-फुल्का कटाक्ष करते हुए। एक साल का अनुभव है, लेकिन जज़्बा ऐसा कि मानो हर प्रेस कॉन्फ्रेंस उनका पर्सनल डिबेट शो हो।

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