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ईरान में 2 महाशक्तियों के मौत का एलान! ट्रंप और नेतन्याहू के सिर पर करोड़ों का इनाम, कट्टर मौलवियों ने जारी किया खौफनाक फतवा

Iran fatwa against Trump and Netanyahu: ईरान के दो कुख्यात और कट्टरपंथी मौलवियों ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ जानलेवा फतवा जारी कर दिया है।

Harsh Srivastava
Published on: 8 July 2025 12:58 PM IST
ईरान में 2 महाशक्तियों के मौत का एलान! ट्रंप और नेतन्याहू के सिर पर करोड़ों का इनाम, कट्टर मौलवियों ने जारी किया खौफनाक फतवा
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Iran fatwa against Trump and Netanyahu: एक खौफनाक साजिश ईरान की जमीन से उठी है, जिसकी गूंज सीधे वॉशिंगटन और तेल अवीव तक जा रही है। दुनिया एक बार फिर उस बिंदु पर आ पहुंची है जहां फतवा, धर्म और सियासत की विस्फोटक तिकड़ी युद्ध की आग को भड़का सकती है। ईरान के दो कुख्यात और कट्टरपंथी मौलवियों ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ जानलेवा फतवा जारी कर दिया है। इस फतवे में इन दोनों नेताओं को “इस्लाम का दुश्मन” करार दिया गया है और उनके “कत्ल” को धार्मिक कर्तव्य बताया गया है। फतवे के साथ-साथ, एक खतरनाक आर्थिक अभियान भी शुरू किया गया — और हैरानी की बात यह है कि सिर्फ कुछ ही दिनों में ईरान की THAAR.IR वेबसाइट पर 20 मिलियन डॉलर यानी करीब 167 करोड़ रुपये से अधिक की रकम भीड़ से जुटा ली गई है — और वो भी सिर्फ इन दोनों नेताओं के सिर की कीमत के लिए।

सिर के बदले 100 अरब तोमान

ये सब यहीं खत्म नहीं होता। ईरान के वेस्ट अजरबैजान प्रांत के एक और कट्टरपंथी मौलवी ने सरेआम घोषणा कर दी कि जो भी ट्रंप का सिर लाएगा, उसे मिलेगा 100 अरब तोमान यानी करीब 1.14 मिलियन डॉलर का इनाम। और चौंकाने वाली बात ये है कि इस ऐलान को किसी कुख्यात आतंकी संगठन ने नहीं, बल्कि ईरान की सरकारी इस्लामिक प्रचार संस्था के एक वरिष्ठ अधिकारी ने किया है। यानि अब यह फतवा किसी ‘विचारधारा’ की लड़ाई नहीं बल्कि एक सरकारी प्रचार अभियान जैसा प्रतीत हो रहा है — जिसकी धमक दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्तियों तक पहुंच चुकी है।

खामोशी के पीछे खौफनाक मंसूबा?

जानकारों का कहना है कि ये फतवे सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक इशारे हैं। इन मौलवियों में कई ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी बताए जा रहे हैं। उन्होंने ट्रंप और नेतन्याहू को "मोहरेब" (ईश्वर का दुश्मन) कहा — वही शब्द जिसका इस्तेमाल 1989 में सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवे में किया गया था। क्या ये संकेत हैं कि ईरान का एक बड़ा धड़ा अब खुलकर धार्मिक हिंसा को राजनीतिक हथियार बना रहा है? और क्या खामेनेई खुद पर्दे के पीछे से इस पूरे अभियान को दिशा दे रहे हैं?

राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने झाड़ा पल्ला

हाल ही में राष्ट्रपति बने मसूद पेजेश्कियान ने इस पूरे मामले से खुद को साफ तौर पर अलग कर लिया है। अमेरिकी मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट कहा कि ये फतवे “सरकार की ओर से नहीं हैं” और इसका ईरान की सत्ता या खामेनेई से कोई आधिकारिक जुड़ाव नहीं है। पेजेश्कियान ने यह भी कहा कि “ईरान सरकार ने ट्रंप के खिलाफ कभी कोई आदेश नहीं दिया,” और यह कि ईरान शांति और कूटनीति में विश्वास करता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि सरकार वास्तव में फतवे से असहमत है, तो इन मौलवियों पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

दुनिया को याद आया 1989 का फतवा

इस पूरे घटनाक्रम ने अचानक दुनिया को 1989 के उस खौफनाक मोड़ पर पहुंचा दिया, जब ईरान के तत्कालीन नेता रुहोल्लाह खोमैनी ने ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था। उस वक्त भी एक धार्मिक आदेश के नाम पर दुनिया के एक नागरिक की जान लेने की खुली घोषणा की गई थी। सलमान रुश्दी ने सालों तक सुरक्षा घेरे में जीवन बिताया, लेकिन अंत में 2022 में अमेरिका में उन पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें उन्होंने एक आंख गंवा दी। अब जब ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ वैसा ही फतवा दोहराया गया है, तो क्या एक बार फिर कोई आतंकी हमलावर इस फतवे को अंजाम देने के लिए निकल पड़ेगा? क्या वॉशिंगटन और तेल अवीव अब नए सुरक्षा संकट में घिर चुके हैं?

वैश्विक कूटनीति के लिए नया सिरदर्द

इस फतवे और इनाम की घोषणा ने ना सिर्फ ईरान-अमेरिका के संबंधों को फिर से तनावपूर्ण बना दिया है, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया में एक नया कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर इस फतवे की निंदा करते हुए इसे 'सीधा उकसावा' बताया है, जबकि इजराइल ने इसे ‘खूनी साजिश’ करार दिया है। सवाल अब यह है कि क्या ईरान इस फतवे को वापस लेगा या मौलवियों को सजा देगा? या फिर यह सब महज़ शुरुआत है उस लड़ाई की, जो अब सिर्फ बंदूकों से नहीं बल्कि धर्म के नाम पर कत्ल और इनाम से लड़ी जाएगी?

यह सिर्फ एक फतवा नहीं, एक चेतावनी है

ईरान से उठी इस फतवे की लहर को हल्के में लेना खतरनाक होगा। जब सिर की कीमत तय होने लगे, और वो भी सरकारी मंचों से, तब यह इशारा होता है कि जंग सिर्फ विचारों की नहीं, बल्कि जिंदा इंसानों की गर्दनों पर मंडरा रही है। ट्रंप और नेतन्याहू की सुरक्षा अब वैश्विक चिंता बन चुकी है — और दुनिया को एक बार फिर धर्म, राजनीति और नफरत के त्रिकोण से जूझने के लिए तैयार रहना होगा। क्योंकि यह लड़ाई अब सिर्फ बयानबाज़ी नहीं — सीधी धमकी है... और वो भी ईरान की धरती से।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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