ईरान में राष्ट्रपति के साथ ही कर दिया फ्रॉड! डीजल की जगह भर दिया पानी, गाड़ियां हुई ठप, टैक्सी का सफर करने को मजबूर हुए President

Iran President diesel fraud: ईरान में राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन की गाड़ी में डीजल की जगह पानी भर दिया गया, जिससे उनका काफिला बीच रास्ते में रुक गया। मजबूरी में राष्ट्रपति को टैक्सी से सफर करना पड़ा। यह घटना ईरान की सरकारी व्यवस्था, सुरक्षा और ईंधन प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करती है।

Harsh Srivastava
Published on: 17 July 2025 9:16 PM IST
ईरान में राष्ट्रपति के साथ ही कर दिया फ्रॉड! डीजल की जगह भर दिया पानी, गाड़ियां हुई ठप, टैक्सी का सफर करने को मजबूर हुए President
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Iran President diesel fraud: मिडिल ईस्ट का वो देश, जो आए दिन अपने परमाणु कार्यक्रमों, इजराइल से तनातनी या धार्मिक कट्टरता को लेकर सुर्खियों में रहता है,आज अपनी सबसे बड़ी किरकिरी का गवाह बना है। जी हां, ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन को वो झटका लगा जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। बात इतनी छोटी नहीं है कि नज़रअंदाज़ की जा सके, और इतनी बड़ी है कि पूरी सरकार की साख पर सवाल उठ जाए। इस बार न कोई युद्ध, न कोई अंतरराष्ट्रीय साज़िश, न ही कोई परमाणु धमकी,बल्कि राष्ट्रपति की कार में ही डीजल की जगह पानी भर दिया गया। नतीजा? राष्ट्रपति का पूरा काफिला बीच रास्ते में रुक गया और मजबूर होकर देश के सर्वोच्च नेता को आम आदमी की तरह टैक्सी में बैठकर अपना सफर पूरा करना पड़ा। यह घटना न केवल शर्मनाक है, बल्कि ईरान की सरकारी व्यवस्था की गंभीर खामियों को भी उजागर करती है।

राष्ट्रपति की सुरक्षा से समझौता?

सूत्रों के मुताबिक, यह घटना उस वक्त हुई जब राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन अपने सुरक्षा काफिले के साथ उत्तर-पश्चिमी ईरान के शहर तबरीज की ओर जा रहे थे। ताकेस्तान नामक शहर के पास जब काफिला गैस स्टेशन पर रुका, तो वहां तीन सरकारी गाड़ियों में एक साथ ईंधन भरवाया गया। लेकिन कुछ ही किलोमीटर बाद तीनों गाड़ियाँ एक के बाद एक झटके से रुक गईं। जब जांच हुई तो हैरान कर देने वाला सच सामने आया,इन वाहनों में डीजल के नाम पर पानी मिला हुआ ईंधन डाला गया था। एक तरफ देश के सर्वोच्च नेता की यात्रा, दूसरी तरफ घटिया ईंधन। ये सिर्फ तकनीकी चूक नहीं थी, ये राष्ट्रीय सुरक्षा की खुली धज्जियाँ थीं।

जब राष्ट्रपति को लेनी पड़ी प्राइवेट टैक्सी

राष्ट्रपति के विशेष निरीक्षक मुस्तफा मोलावी ने बताया कि कारों के रुकने के बाद राष्ट्रपति ने न तो स्थानीय अधिकारियों से संपर्क किया, न ही प्रांतीय गर्वनर को सूचना दी। बल्कि बेहद साधारण और चौंकाने वाले फैसले के तहत राष्ट्रपति ने एक स्थानीय प्राइवेट टैक्सी ली और तबरीज तक का सफर पूरा किया। क्या यह राष्ट्रपति की सादगी थी? या सुरक्षा व्यवस्था से भरोसा उठ चुका था? ये सवाल अब ईरान की जनता से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक के जेहन में गूंज रहे हैं।

आरोपी गैस स्टेशन पहले भी था कुख्यात

घटना की जांच के दौरान यह पता चला कि जिस गैस स्टेशन से यह मिलावटी डीजल भरा गया था, उस पर पहले भी कई बार घटिया ईंधन देने की शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। राष्ट्रीय ईरानी तेल उत्पाद वितरण कंपनी (NIOPDC) ने स्वीकार किया है कि यह स्टेशन पहले भी ‘क्वालिटी इशूज’ के लिए रिपोर्ट हुआ है। पर सवाल ये है कि जब इस स्टेशन पर पहले से संदेह था, तो राष्ट्रपति जैसे वीआईपी का काफिला वहां कैसे रुका? क्या ये महज़ इत्तेफाक था, या फिर कोई सुनियोजित साज़िश?

राष्ट्रपति कार्यालय की चुप्पी

इतनी बड़ी घटना के बावजूद न राष्ट्रपति कार्यालय और न ही पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी की है। यह चुप्पी संदेहों को और गहरा करती है। क्या सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है? या फिर ये एक ऐसा झटका है जिससे खुद शासन व्यवस्था भी हिल चुकी है?

ईरान में ईंधन की मिलावट: एक पुरानी महामारी

यह पहली बार नहीं है जब ईरान में ईंधन की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। हाल के वर्षों में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और नागरिकों की शिकायतों में यह बार-बार सामने आया है कि या तो पेट्रोल में पानी मिलाया गया या फिर डीजल में अशुद्ध केमिकल मिलाए गए। 2021 में तत्कालीन तेल मंत्री बिजान ज़ंगानेह ने खुद स्वीकार किया था कि हर साल 400 से ज्यादा गैस स्टेशन संचालकों पर ईंधन मिलावट और ग्राहकों को चूना लगाने के आरोप में कार्रवाई की जाती है। अब जब यह लापरवाही राष्ट्रपति तक पहुँच गई है, तो सवाल उठता है,“आम आदमी का क्या?”

तेल समृद्ध देश, मगर पेट्रोल के लिए तरसता?

ईरान, जो कि विश्व के प्रमुख तेल उत्पादक देशों में शामिल है, वहां ईंधन मिलावट जैसी समस्या किसी त्रासदी से कम नहीं है। ईरान इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश में ईंधन उत्पादन और मांग के बीच गंभीर असंतुलन है। ईरान ओपन डेटा द्वारा प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 2024 में देश में औसतन 101 मिलियन लीटर बेस गैसोलीन का उत्पादन हुआ, जिसमें से 20 मिलियन लीटर से अधिक ‘पेट्रोकेमिकल मिश्रण’ से पूरा किया गया। यह आंकड़े बताते हैं कि ईंधन की शुद्धता और उपलब्धता दोनों ही खतरनाक स्तर पर हैं।

राजनीतिक भूचाल या प्रशासनिक लापरवाही?

अब इस पूरी घटना को लेकर देश की राजनीति में उबाल है। विपक्षी नेताओं ने सरकार की जमकर आलोचना की है। एक सांसद ने कहा, “जब राष्ट्रपति खुद सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर आम नागरिक की सुरक्षा की क्या गारंटी?” सोशल मीडिया पर भी हैशटैग DieselYaPani ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग सरकार का मजाक उड़ाते हुए मीम्स और वीडियो शेयर कर रहे हैं।

क्या यह साज़िश थी?

हालाँकि अभी तक इसे एक प्रशासनिक चूक माना जा रहा है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ इस घटना को राष्ट्रपति के खिलाफ साज़िश मान रहे हैं। मसूद पेजेश्कियन हाल ही में सत्ता में आए हैं और मज़बूत रिफॉर्म एजेंडा लेकर चल रहे हैं। ऐसे में क्या यह सत्ता विरोधी तत्वों द्वारा उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश थी? अगर यह सिर्फ लापरवाही थी तो यह पूरी सरकारी प्रणाली पर सवाल है। और अगर साज़िश थी, तो यह राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गहरी चेतावनी है।

अंत में सवाल यही, कौन ज़िम्मेदार?

राष्ट्रपति की कार में पानी मिलाया गया डीजल भरना एक साधारण घटना नहीं है। यह पूरे सरकारी तंत्र की विफलता की कहानी है। आज यह घटना राष्ट्रपति के साथ हुई है, कल यही हादसा किसी ज़रूरी आपातकालीन सेवा या सामान्य नागरिक के साथ हो सकता है। ईरान जैसे संवेदनशील देश के लिए यह घटना सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं,बल्कि साख, सुरक्षा और शासन क्षमता की परीक्षा है। जनता अब जवाब चाहती है और इस बार कोई चुप्पी काफी नहीं होगी।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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