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हम यहीं हैं... सालों से!’ – मोसाद चीफ का खुलासा सुनकर कांप उठा ईरान! इज़रायल ने खुलेआम दी खामेनेई को चुनौती
Mossad in Iran: डेविड बर्निया ने यह ऐलान किसी छिपी मीटिंग में नहीं, बल्कि यरुशलम के येद वाशेम होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम में आयोजित एक समारोह के दौरान किया, जहां वो साफ-साफ बोले – “हम वर्षों से ईरान में मौजूद हैं और आने वाले कई सालों तक वहीं रहेंगे।
Mossad in Iran: सोचिए, एक देश जिसकी सीमाएं ईरान से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं, लेकिन उसकी सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी मोसाद खुलेआम ऐलान कर रही है कि वो ईरान के अंदर मौजूद है — और आने वाले कई सालों तक वहीं मौजूद रहेगी! ये कोई फिल्मी डायलॉग नहीं, बल्कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख डेविड बर्निया का बयान है, जो उन्होंने हाल ही में अपने एजेंटों की एक गोपनीय बैठक में दिया और फिर सार्वजनिक रूप से भी दोहराया। इस बयान ने पूरे पश्चिम एशिया को झकझोर कर रख दिया है। यह सिर्फ एक चेतावनी नहीं है, बल्कि ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के लिए सीधी चुनौती है — और साथ ही यह दुनिया को यह बताने का भी संकेत है कि इजरायल, सिर्फ युद्ध नहीं, दिमाग की लड़ाई भी जीतने में माहिर है।
"ईरान में मोसाद की मौजूदगी हमारी सबसे बड़ी जीत है" – बर्निया का सनसनीखेज दावा
डेविड बर्निया ने यह ऐलान किसी छिपी मीटिंग में नहीं, बल्कि यरुशलम के येद वाशेम होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम में आयोजित एक समारोह के दौरान किया, जहां वो साफ-साफ बोले – “हम वर्षों से ईरान में मौजूद हैं और आने वाले कई सालों तक वहीं रहेंगे।” उन्होंने दावा किया कि हाल ही में ईरान में चलाए गए ऑपरेशन में मोसाद ने ‘अकल्पनीय कामयाबी’ हासिल की है। उनका यह बयान इस ओर इशारा करता है कि ईरान की जो कमजोर नसें हैं, वो अब इजरायल की मुट्ठी में कैद हो चुकी हैं। 13 जून को जब इजरायल ने ईरान के खिलाफ हमला किया था, तो दुनिया को यही लगा था कि यह एक सीधा सैन्य कदम है। लेकिन अब पता चल रहा है कि उस हमले की बुनियाद कहीं गहरे और पहले से रखी गई थी — और उस बुनियाद में मोसाद का जाल बिछा हुआ था।
ईरान के अंदर मारे गए वैज्ञानिक और सैन्य अफसर – किसने दी थी लोकेशन?
माना जा रहा है कि ईरान में मारे गए कई शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों की जानकारी मोसाद ने ही इकट्ठा की थी। ये ऑपरेशन सिर्फ एक हवाई हमला नहीं था, बल्कि गोपनीयता, जासूसी और साइबर वारफेयर का एक अभूतपूर्व मिशन था — जिसकी योजना मोसाद के एजेंटों ने जमीन पर खड़े होकर बनाई। अब जब मोसाद खुद कह रही है कि वह “वर्षों से ईरान में मौजूद है”, तो इसका मतलब यह है कि ईरान के भीतर कोई बहुत गहरी घुसपैठ हो चुकी है, जिसकी भनक तक ईरान को शायद अब जाकर लग रही है। यह बयान ईरान की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया एजेंसियों पर भी सवाल खड़े कर रहा है — कि क्या ईरान अपने ही देश में दुश्मनों के साए में जी रहा है?
12 दिन की लड़ाई, लेकिन लड़ाई अब भी बाकी है
ईरान और इजरायल के बीच 13 से 24 जून तक चले इस सैन्य संघर्ष ने इतिहास के पन्नों पर खून से नई इबारत लिखी है। मिसाइलें दागी गईं, एयरबेस तबाह हुए, और दोनों देशों में डर, गुस्सा और प्रतिशोध की आग भर गई। ईरान ने जहां मिसाइलों से जवाब दिया, वहीं इजरायल ने अमेरिका के साथ मिलकर ईरान की तीन बड़ी न्यूक्लियर साइट्स पर हमले किए — और इसी बीच मोसाद ने चुपचाप वो काम कर डाला, जिसकी भनक भी नहीं लगी। अब जबकि सीजफायर की घोषणा हो चुकी है, डेविड बर्निया का यह बयान बताता है कि इजरायल ने लड़ाई सिर्फ मैदान में नहीं, ईरान के भीतर तक जीत ली है।
मोसाद की यह चाल क्या अगली जंग की शुरुआत है?
डेविड बर्निया की जुबान से निकला हर शब्द ईरान के लिए एक चेतावनी है। यह बयान दर्शाता है कि अब युद्ध केवल मिसाइलों और टैंकों से नहीं, बल्कि सूचनाओं, खुफिया ऑपरेशनों और अंदरूनी घुसपैठ से लड़े जा रहे हैं। ईरान की तरफ से अभी तक इस दावे पर कोई सीधा जवाब नहीं आया है, लेकिन अगर मोसाद का दावा सही है, तो यह साफ है कि ईरान खुद अपने ही घर में जासूसों से घिरा हुआ है।
पश्चिम एशिया के लिए यह सिर्फ एक लड़ाई नहीं — एक नया अध्याय है
मोसाद का खुला ऐलान दुनिया के लिए यह स्पष्ट कर चुका है कि अब इजरायल सिर्फ हमला नहीं करता, वो दुश्मन की नसों में उतर कर उसे जड़ से हिलाने की काबिलियत रखता है। अब सवाल यह नहीं है कि मोसाद ने क्या किया… सवाल यह है कि ईरान अब क्या करेगा? क्योंकि जब दुश्मन आपके घर में ही बैठा हो — तो जंग का मैदान बदल चुका होता है!
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