खुले में शौच पर नेपालियों ने हासिल की बड़ी कामयाबी

नेपाल ने खुले में शौच मुक्त अभियान में बड़ी सफलता हासिल की,स्वच्छता की दिशा में यह कदम ऐतिहासिक है।

Sandeep Pal
Published on: 31 Aug 2025 6:04 PM IST
खुले में शौच पर नेपालियों ने हासिल की बड़ी कामयाबी
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Nepal News: भारत की तरह नेपाल में बड़ी ग्रामीण आबादी है लेकिन नेपाल में दिक्कत ये है कि इस आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब भी बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। इसके बावजूद, कम से कम एक चीज में नेपाल ने बड़ी कामयाबी हासिल की है और वो है खुले में शौच की समस्या दूर करने की। आज नेपाल में खुले में शौच की समस्या न के बराबर है।

नेपाल ने एक दशक लंबे और बहुआयामी दृष्टिकोण के जरिये खुले में शौच को रोकने का अपना टारगेट हासिल किया है। इस काम में सरकार के अलावा, एनजीओ, अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों का समवेत अभियान रहा है। इस रणनीति में लोगों को खुले में शौच और बीमारियों के बीच संबंध के बारे में शिक्षित करना, सामुदायिक प्रयासों और किफायती घरेलू शौचालय निर्माण को आसान बनाना, और जिला स्तर पर स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय नेताओं और मीडिया को शामिल करना शामिल था।

कैसे मिली सफलता?

सबसे बड़ी पहल ये की गयी कि स्थानीय समुदायों को अपने खुद के शौचालय बनाकर स्वच्छता की ज़िम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाया गया। इसके अलावा, राष्ट्रव्यापी अभियान में पोस्टरों और घर-घर जाकर लोगों को शौचालय के इस्तेमाल के स्वास्थ्य लाभों और खुले में शौच से जुड़े जोखिमों के बारे में शिक्षित किया गया। इस काम में सरकार, एसएनवी जैसे एनजीओ, यूएन-हैबिटेट और विश्व बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और स्थानीय समुदायों के बीच साझेदारी शामिल थी। बड़ी बात ये रही कि राजनीतिक और सामुदायिक नेताओं ने इस अभियान का समर्थन किया, जबकि स्थानीय मीडिया ने इस संदेश को व्यापक बनाने और स्वच्छता को सामुदायिक गौरव के रूप में बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नेपाल के स्थानीय निकाय, जिन्हें "वाश समितियाँ" कहा जाता है, शौचालय निर्माण और उपयोग की निगरानी के लिए ज़िम्मेदार बनाई गईं उन्हें किसी क्षेत्र को खुले में शौच-मुक्त घोषित करने और इसे बनाए रखने के लिए कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया था।

इस सामूहिक प्रयास के चलते सितंबर 2019 में नेपाल के सभी 77 जिलों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया। आज छह साल बीत जाने के बाद नेपाल की सफलता न सिर्फ बरकरार है बल्कि इसका विस्तार ही हुआ है।

भारत की बात करें तो यहाँ स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से पहले लगभग बड़ी ग्रामीण आबादी खुले में शौच जाती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य था कि खुले में शौच को समाप्त करना। सरकार ने दावा किया कि 2019 तक भारत को ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया। इस क्रम में लाखों शौचालय बनाए गए।

अगर नेपाल की बात की जाये तो वह काफी छोटा और सीमित संसाधनों वाला देश है लेकिन वहां जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी अधिक प्रभावी रही। नेपाल ने कम्युनिटी-बेस्ड अप्रोच अपनाई जिसके चलते आज भी गांवों के लोग खुद जुड़कर जागरूकता अभियान चलाते हैं। नेपाल ने सिर्फ शौचालय बनाने पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि लोगों की सोच और उनके बर्ताव को भी बदलने का काम किया और इसके लिए शिक्षा, जागरूकता, का व्यापक इस्तेमाल किया गया। जन भागीदारी के बारे में मिसाल के तौर बताएं कि अनेक चुनौतियों के बावजूद सामाजिक उद्यमी इस समस्या के समाधान के लिए जुटे और आज भी काम कर रहे हैं। नेपाल में सार्वजनिक शौचालयों को बेहतर बनाने के लिए कनाडा और नेपाल के विशेषज्ञों की एक संयुक्त पहल, एरोसन टॉयलेट्स को नवाचार के लिए 2020 का संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार भी मिला। यह पुरस्कार काठमांडू में संस्था द्वारा निर्मित और संचालित चार सार्वजनिक शौचालयों, एरोसन हब, के लिए दिया गया।

बहरहाल, नेपाल में खुले में शौच की समस्या पर काबू तो पा लिया लेकिन हर साल की प्राकृतिक आपदाओं से इस सफलता को पीछे भी जाना पड़ा है। बाढ़, भूस्खलन, भारी बारिश आदि से जो बर्बादी होती है उससे लोगों को मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ता है।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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