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कंबोडिया से थर-थर कांपा थाईलैंड! सरहद पार की तो बरसेगा मौत का तूफान

Thailand-Cambodia War: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर तनाव चरम पर है। बारूदी सुरंगों और क्लस्टर बमों के बीच जंग का खतरा मंडरा रहा है।

Harsh Srivastava
Published on: 25 July 2025 5:58 PM IST
कंबोडिया से थर-थर कांपा थाईलैंड! सरहद पार की तो बरसेगा मौत का तूफान
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Thailand-Cambodia War: दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देश थाईलैंड और कंबोडिया अब आमने-सामने हैं। सीमा पर बढ़ते तनाव ने अब खतरनाक मोड़ ले लिया है। एक ओर थाईलैंड ने क्लस्टर बम दाग दिए हैं तो दूसरी ओर कंबोडिया की चुप्पी और चाल दोनों ही थाईलैंड को बेचैन कर रही हैं। ये कोई मामूली झड़प नहीं बल्कि धीरे-धीरे युद्ध की तरफ बढ़ता हुआ क़दम है जिसकी चिंगारी अब पूरी दुनिया को झुलसा सकती है। इस बार विवाद का कारण वही पुराना शिवमंदिर नहीं बल्कि कंबोडिया की बारूदी सुरंगें हैं जिनका खौफ दशकों से सीमा पर मंडरा रहा है।

सुरंगों का जंगल या मौत की जमीन?

कहा जा रहा है कि कंबोडिया ने सीमा पर नई बारूदी सुरंगें बिछानी शुरू कर दी हैं जबकि पहले से मौजूद लाखों सुरंगें आज भी ज़मीन में दबी हुई हैं। थाईलैंड का आरोप है कि कंबोडिया ने जानबूझकर सैनिकों और नागरिकों की जान खतरे में डालने के लिए ये कदम उठाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक थाईलैंड के तीन सैनिक इन सुरंगों की चपेट में आकर घायल भी हो चुके हैं। वहीं कंबोडिया का कहना है कि उनके सैनिक गलती से रास्ता भटक गए थे किसी नई सुरंग का कोई सवाल ही नहीं उठता। लेकिन सवाल यही है अगर नई सुरंगें नहीं बिछाई गईं तो धमाका कैसे हुआ?

पुरानी दुश्मनी नई आग

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा है। ये सीमा विवादों से भरी रही है खासकर शिवमंदिर और आस-पास के इलाकों को लेकर। पहले भी दोनों देशों के बीच कई बार तोपें गरज चुकी हैं जवान शहीद हो चुके हैं और गांव तबाह हुए हैं। लेकिन अब लड़ाई का चेहरा बदल गया है। ये अब सीमाओं का सवाल नहीं बल्कि जमीनी बारूद की साजिश बन चुकी है। थाईलैंड को डर है कि अगर वह सीमा के भीतर कदम रखेगा तो हर तरफ मौत की सुरंगें उसका इंतज़ार कर रही होंगी।

बारूदी सुरंगें, कंबोडिया की अदृश्य सेना

विशेषज्ञों की मानें तो कंबोडिया की जमीन में लाखों सुरंगें आज भी दबी हुई हैं जो पुराने गृहयुद्ध के समय बिछाई गई थीं। इनका पता लगाना और इन्हें निष्क्रिय करना एक बड़ा काम है। चीन जो इस क्षेत्र में शांति का दावा करता है खुद कंबोडिया और लाओस को बारूदी सुरंगें हटाने में तकनीकी मदद दे रहा है। चीन के मुताबिक पिछले साल ही उनकी सेना ने इन देशों को बारूदी सुरंग हटाने की ट्रेनिंग दी है। लेकिन क्या चीन की यह मदद काफी है? क्योंकि जब तक हर इंच जमीन से बारूद नहीं हटा तब तक यह खतरा टला नहीं।

जंग का सबसे खतरनाक चेहरा

कंबोडिया की सुरंगें थाईलैंड के लिए केवल एक सैन्य चुनौती नहीं बल्कि रणनीतिक अड़चन भी हैं। अगर थाई सेना सीमा पार करने की कोशिश करती है तो उसे पहले यह तय करना होगा कि कहां कदम रखा जाए। इन सुरंगों की वजह से थाई सेना के टैंक वाहन और पैदल सैनिक किसी भी वक्त तबाह हो सकते हैं।यानि थाईलैंड के लिए हर एक इंच बढ़ना अब जिंदगी और मौत का खेल बन गया है।

क्या थाईलैंड मामला पहुंचएगा इंटरनेशनल कोर्ट?

अब ये विवाद सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं रहा। थाईलैंड इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जा सकता है। कंबोडिया ओटावा संधि का हिस्सा है जो युद्ध में बारूदी सुरंगों के इस्तेमाल पर रोक लगाता है। अगर साबित हो गया कि कंबोडिया ने जानबूझकर इन सुरंगों को एक्टिव किया तो उस पर वैश्विक दबाव बन सकता है और उसे जवाब देना पड़ेगा।

युद्ध की घड़ी या बातचीत का आखिरी मौका?

स्थिति विस्फोटक है, हर एक दिन तनाव और बढ़ रहा है। क्लस्टर बम और बारूदी सुरंगों के बीच दोनों देशों की सेनाएं पूरी तरह तैयार हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या अगला कदम समझदारी का होगा या तबाही का? दुनिया की नजरें अब थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर टिकी हैं जहां हर पल जंग की आहट सुनाई दे रही है और हर कदम के नीचे बारूद बिछा है।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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