×

आखिर ड्रैगन ने क्यों किया ऐसा?, चीन की चाल में फंसे थाईलैंड और कंबोडिया, युद्ध की लपटों में बसी शतरंज की साजिश

Thailand-Cambodia War: दक्षिण-पूर्व एशिया में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच भड़की जंग ने दुनिया को चौंका दिया है। सीमा विवाद की आड़ में चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' चाल उजागर हुई, जहां बीजिंग की साजिश ने दोनों देशों को युद्ध में झोंक दिया।

Harsh Srivastava
Published on: 25 July 2025 2:35 PM IST
आखिर ड्रैगन ने क्यों किया ऐसा?, चीन की चाल में फंसे थाईलैंड और कंबोडिया, युद्ध की लपटों में बसी शतरंज की साजिश
X

Thailand-Cambodia War: जब पूरी दुनिया अमेरिका-रूस इज़रायल-ईरान और भारत-पाकिस्तान पर नजरें टिकाए बैठी थी तब दक्षिण-पूर्व एशिया की धरती पर अचानक एक नया मोर्चा खुल गया। थाईलैंड और कंबोडिया दो पड़ोसी देश जिनके बीच वर्षों पुराना सीमा विवाद था अब सीधे-सीधे जंग के मैदान में उतर आए हैं। गोलियों की बौछार रॉकेटों का शोर और लड़ाकू विमानों की गरज ने इस शांत क्षेत्र को युद्ध के नए अध्याय में धकेल दिया है।

सुबह-सुबह मौत का पैगाम लेकर आई आग

24 जुलाई की सुबह जब दुनिया उठ रही थी तब थाईलैंड के सुरिन सिसाकेत और काप चोएंग प्रांतों में बंकरों में छुपते बच्चे सायरन की चीख और धमाकों की गूंज ने आम जनजीवन को थर्रा दिया। सुबह 8 बजे से पहले ही कंबोडिया ने थाईलैंड पर बीएम-21 रॉकेटों की बारिश शुरू कर दी थी। ये हमला एक सैन्य पोस्ट के पास शुरू हुआ और फिर आसपास के मंदिर गांव और रिहायशी इलाकों को निशाना बनाता चला गया। मात्र दो घंटे में थाईलैंड ने भी पलटवार करते हुए अपने 6 F-16 फाइटर जेट हवा में उतार दिए। एक बम कंबोडिया के एक गैस स्टेशन पर गिरा जिससे कई लोगों की जान चली गई। अबतक 14 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जिनमें अधिकतर नागरिक हैं।

मंदिर की जमीन से उठा बारूद का तूफान

इस खूनी टकराव की जड़ में है एक प्राचीन मंदिर"ता मुएन थोम"। ये वही मंदिर है जिस पर दोनों देश अपना दावा करते हैं। लेकिन इस बार मामला सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक नहीं बल्कि राजनीतिक और सामरिक हो चला है। यह मंदिर सिर्फ इतिहास की निशानी नहीं बल्कि पर्यटन से कमाई का बड़ा जरिया भी है। यहां से सटी सीमा वर्षों से तनाव में रही लेकिन 24 जुलाई को यह तनाव विस्फोट बन गया। लेकिन असली सवाल हैइस जंग के पीछे कौन है? जवाब हैबीजिंग।

चीन का 'OROB' प्लान और युद्ध का प्रायोजन

कंबोडिया जो आर्थिक रूप से चीन पर पूरी तरह निर्भर है उसकी सेनाएं यूं ही थाईलैंड जैसे ताकतवर देश से भिड़ने की जुर्रत नहीं कर सकती थीं। रिपोर्ट्स बता रही हैं कि इस टकराव के पीछे चीन की रणनीतिक योजना है"One Road One Belt" यानी OROB प्रोजेक्ट। चीन इस इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है और इसके लिए वह थाईलैंड की राजनीतिक अस्थिरता और कंबोडिया की वफादारी का फायदा उठा रहा है। चीन ने एक तरफ तो शांति की अपील की वहीं दूसरी ओर कंबोडिया को हथियार भी वही दे रहा है। उसकी तरफ से बयान जारी हुआ कि "संघर्ष रोकना चाहिए" लेकिन बैकचैनल में कंबोडिया को MLRS ड्रोन और फायरिंग सिस्टम से लैस किया गया है। चीन की यही दोहरी नीति अब साफ दिख रही है।

जंग से चीन को क्या मिलेगा? जवाब हैबाजार और प्रभुत्व

थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ही अब रक्षा खर्च बढ़ाएंगे। थाईलैंड के पास पहले से अमेरिकी F-16 हैं लेकिन उसे और हथियारों की ज़रूरत होगी। अमेरिका इसका फायदा उठाएगा। वहीं कंबोडिया को चीन से कर्ज लेकर हथियार लेने होंगे। इसका सीधा मतलब हैचीन की कंबोडिया पर और गहरी पकड़। युद्ध चाहे एक हफ्ते चले या महीनों इसका परिणाम साफ हैदोनों देशों के बीच तनाव स्थायी हो जाएगा। दोनों को सैन्य बजट बढ़ाना पड़ेगा। और यही वो स्थिति है जिसे चीन चाहता है"विकासशील देशों को कर्ज में डुबो दो फिर उन्हें अपने कूटनीतिक जाल में फंसा लो।"

क्या अमेरिका और चीन आमने-सामने आने वाले हैं?

इस क्षेत्र में थाईलैंड अमेरिका का रणनीतिक सहयोगी रहा है। उसका रॉयल एयर फोर्स बेस कई बार अमेरिकी सेना के लिए इस्तेमाल हुआ है। दूसरी तरफ कंबोडिया में चीन ने पिछले 10 सालों में अरबों डॉलर का निवेश किया है। अब जब दोनों देश लड़ रहे हैं तो अमेरिका और चीन अप्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये जंग लंबी चलती है तो ये "दक्षिण एशिया का यूक्रेन बन सकती है"जहां दो पड़ोसी लड़ रहे हों लेकिन असली लड़ाई दो सुपरपावरों के बीच हो रही हो।

क्या तीसरे विश्व युद्ध की आहट है ये?

भले ही यह विचार अतिशयोक्ति लगे लेकिन यूक्रेन गाजा ताइवान स्ट्रेट और अब थाईलैंड-कंबोडियादुनिया एक साथ कई मोर्चों पर जल रही है। हर मोर्चे पर अमेरिका और चीन का सीधा या परोक्ष दखल है। थाईलैंड-कंबोडिया की जंग ने अब साफ कर दिया है कि यह सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं बल्कि एक गहरी भू-राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।

क्या जंग रुकेगी? या यही होगा नया एशिया?

अगर कूटनीतिक दखल नहीं हुआ तो यह जंग लंबे समय तक चल सकती है। ASEAN और UN की ओर से अबतक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन एक बात साफ हैचीन इस युद्ध को भड़काकर अपने कूटनीतिक कार्ड खेल चुका है। अब दुनिया देख रही है कि थाईलैंड अमेरिका की ओर झुकेगा या चीन से सस्ते हथियार लेकर नयी दोस्ती करेगा।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!