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ट्रंप के सीजफायर के उड़ी धज्जिया! थाईलैंड ने कंबोडिया पर की बमों की बारिश?
Trump ceasefire failure: डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर ऐलान के चंद घंटों बाद ही थाईलैंड और कंबोडिया में फिर भड़की जंग। मंदिरों पर बम, ड्रोन से हमला, 2 लाख लोग बेघर, यूएन-अमेरिका-चीन सभी नाकाम।
Trump ceasefire failure: रविवार की सुबह का सूरज उम्मीद लेकर उगा था। माना जा रहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान के बाद, थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चार दिनों से जारी खूनी संघर्ष थम जाएगा। लेकिन हकीकत इससे कहीं ज़्यादा डरावनी थी। कंबोडिया के प्राचीन मंदिर के पास जब बम फटा और धुएं के गुबार में इतिहास गुम होने लगा, तब दुनिया को समझ आया यह सिर्फ़ एक सीजफायर नहीं, युद्ध का नया अध्याय है।
'शांति समझौता' बना मज़ाक
शनिवार की रात ट्रंप ने सीजफायर का ऐलान किया था। उनके शब्द थे "अब हथियार नहीं, बातचीत होगी।" लेकिन रविवार को जैसे ही सुबह हुई, गोलियों की आवाज़ें फिर से गूंजने लगीं। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजफायर के बावजूद बॉर्डर पर गोलाबारी और बमबारी बेरोकटोक जारी रही। कंबोडिया और थाईलैंड दोनों एक-दूसरे को लड़ाई शुरू करने का दोषी ठहरा रहे हैं। गुरुवार से अब तक कम से कम 32 लोगों की मौत हो चुकी है और 2 लाख से अधिक लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। विस्थापन, तबाही और आतंक यही इस संघर्ष की नई पहचान बन चुके हैं।
थाईलैंड ने कहा युद्ध अभी रुका नहीं
ट्रंप के ऐलान के महज़ कुछ घंटों बाद थाईलैंड ने साफ कर दिया कि वह अभी सैन्य कार्रवाई नहीं रोकेगा। थाई सरकार का आरोप है कि कंबोडिया लगातार सुरिन प्रांत समेत कई सीमाई इलाकों में नागरिकों को निशाना बना रहा है। थाई विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा – “जब तक कंबोडिया अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय कानून का उल्लंघन करता रहेगा, तब तक शांति की कोई संभावना नहीं।”
ड्रोन, टैंक और क्लस्टर बम से हमला
कंबोडियाई रक्षा मंत्रालय ने दुनिया को एक और झटका दिया। उसने बताया कि रविवार सुबह थाईलैंड ने कंबोडिया के कई इलाकों पर ड्रोन, टैंक, क्लस्टर बम और हवाई हमलों से हमला किया। ये हमले सिर्फ़ सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं थे, बल्कि नागरिक बस्तियों को भी निशाना बनाया गया।
विश्व धरोहर मंदिर भी चपेट में
सबसे खतरनाक घटनाओं में से एक वो थी जब थाईलैंड की बमबारी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल प्रीह विहिर मंदिर के पास तक पहुंच गई। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि दोनों देशों के बीच पहले भी कई बार युद्ध का केंद्र बन चुका है। कंबोडिया के लेफ्टिनेंट जनरल माली सोचेता ने बताया कि थाईलैंड की आक्रामकता पूरी तरह ‘पूर्वनियोजित’ थी और इसका मकसद केवल जवाब देना नहीं, बल्कि कब्ज़ा करना है।
अमेरिका, चीन और संयुक्त राष्ट्र बेबस
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और चीन तीनों देशों के शांतिवार्ता प्रयास नाकाम साबित हुए। सीजफायर का ऐलान भी कागज़ पर ही रह गया। कंबोडिया और थाईलैंड ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि अब कूटनीति की नहीं, ताकत की भाषा बोली जा रही है।
मानवता रो रही है, दुनिया चुप है
2 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। हजारों बच्चे भूख और भय के बीच जंगलों में छिपे हैं। स्कूल, अस्पताल और घर सब खंडहर बन चुके हैं। यह सिर्फ एक सीमाई विवाद नहीं है, यह दक्षिण-पूर्व एशिया में मानवीय त्रासदी की शुरुआत है।
क्या यह नया युद्ध मोर्चा बनेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह लड़ाई यहीं नहीं थमी, तो यह पूरा क्षेत्र युद्ध की आग में झुलस सकता है। कंबोडिया की सेना लगातार सीमा पर तैनाती बढ़ा रही है और थाईलैंड की सरकार ने अपने नागरिकों को "सतर्क रहने और सीमाई इलाकों से दूर रहने" की चेतावनी दी है।
कब थमेगा यह खूनी खेल?
इस युद्ध में ना कोई विजेता दिख रहा है, ना कोई हल। केवल बम हैं, लाशें हैं और रोते-बिलखते परिवार हैं। सीजफायर का ऐलान सिर्फ़ एक राजनीतिक दिखावा था, असलियत में थाईलैंड और कंबोडिया अब उस मोड़ पर पहुंच चुके हैं जहां लौटने का रास्ता शायद नहीं बचा। क्या यह संघर्ष किसी बड़े युद्ध का ट्रेलर है? क्या एक और वैश्विक मानवीय संकट हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे चुका है?।
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