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Trump का शांति का फॉर्मूला – पहले बम गिराओ, फिर बात करो! ट्रंप का परमाणु लॉजिक हिला देगा दुनिया
Trump new logic on Israel Iran war: नीदरलैंड में नाटो सम्मेलन के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब ट्रंप ने माइक थामा, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि अगले कुछ मिनटों में वह ऐसा खुलासा करेंगे जिसे इतिहास किताबों में दर्ज करेगा। ट्रंप ने सीधे कहा—"मैं हिरोशिमा का उदाहरण नहीं देना चाहता, मैं नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता... लेकिन हमने जो किया, वह मूलतः वही था।
Trump new logic on Israel Iran war: हवा में सन्नाटा है, ज़मीन पर राख और बारूद की गंध। और एक शख़्स—अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप—मंच पर खड़े होकर दुनिया को बता रहे हैं कि उन्होंने तीसरे विश्व युद्ध को एक बटन से रोक दिया। लेकिन क्या यह वाकई शांति है? या फिर एक भयानक तूफ़ान से पहले की चुप्पी?
नाटो सम्मेलन के मंच पर बैठा था एक 'विजेता'
नीदरलैंड में नाटो सम्मेलन के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब ट्रंप ने माइक थामा, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि अगले कुछ मिनटों में वह ऐसा खुलासा करेंगे जिसे इतिहास किताबों में दर्ज करेगा। ट्रंप ने सीधे कहा—"मैं हिरोशिमा का उदाहरण नहीं देना चाहता, मैं नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता... लेकिन हमने जो किया, वह मूलतः वही था।" यह बयान कोई साधारण बयान नहीं था। यह एक संकेत था, एक चेतावनी, और शायद एक कबूलनामा भी—कि अमेरिका ने ईरान पर जो किया, वह एक निर्णायक 'परमाणु' कदम था। और इसने युद्ध खत्म कर दिया।
ईरान ने भी दिखाई थी हिम्मत… लेकिन तैयारी पहले से थी
ट्रंप ने बताया कि ईरान ने सोमवार को कतर स्थित अल उदैद अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइलें दागी थीं। लेकिन उस हमले से ठीक पहले अमेरिका ने लगभग सभी सैन्यकर्मियों को वहां से निकाल लिया था। यानी अमेरिका को हमले का अंदेशा था... या शायद ईरान को उकसाने का इंतज़ार? ईरान ने यह हमला अमेरिका द्वारा उसके तीन बड़े परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में किया था। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी स्टील्थ बॉम्बर्स ने इन साइट्स को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। "हमारे निशाने एकदम सटीक थे," ट्रंप ने गर्व से कहा।
“युद्ध खत्म हो गया है… दोनों थक चुके हैं” - ट्रंप
इस संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने जो सबसे हैरतअंगेज़ बात कही, वह यह थी: "अब शांत हो गया है... और दोनों देश थक चुके हैं।" क्या यह बयान उस ट्रंप का है, जिसने हफ्तों पहले कहा था कि “ईरान को सबक सिखाना ज़रूरी है”? या अब वह एक शांतिदूत बनने की कोशिश कर रहे हैं? ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका और ईरान के बीच अगले हफ्ते बातचीत संभव है। "हम एक समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, लेकिन ज़रूरी नहीं कि यह आवश्यक हो," ट्रंप ने रहस्यमय अंदाज़ में जोड़ा।
क्या यह नई वर्ल्ड ऑर्डर की शुरुआत है?
ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका अब भी यही चाहता है कि ईरान के पास कोई भी परमाणु हथियार न हो। और उनका दावा है कि अब ईरान के पास “कोई परमाणु क्षमता नहीं बची है।” लेकिन दुनिया जानती है कि यह केवल एक सियासी दावा है, हकीकत कुछ और भी हो सकती है। कतर एयरबेस पर ईरानी मिसाइल हमला, अमेरिका का तेज़ जवाब, और फिर अचानक ‘शांति’... यह सब किसी स्क्रिप्टेड थ्रिलर से कम नहीं लग रहा। सवाल यह है कि क्या दुनिया को सच्चाई बताई जा रही है, या सिर्फ वह कहानी जिसे सुना जाना चाहिए?
भारत-पाक जंग में भी ट्रंप की ‘मदद’?
इसी सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने एक और सनसनीखेज़ दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रोकवाने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब कश्मीर मुद्दे पर फिर से तनाव बढ़ रहा है।
क्या अब शांति टिकेगी या फिर उठेगा एक और तूफान?
ट्रंप के बयानों से ऐसा लग रहा है जैसे अमेरिका ने ईरान को ध्वस्त कर दिया है और अब विश्व में ‘शांति’ लौट आई है। लेकिन क्या यह स्थायी शांति है? विशेषज्ञ कहते हैं कि युद्ध का अंत तभी होता है जब दोनों पक्ष हार मान लें... और ईरान अभी चुप है, पर झुका नहीं है। अगले कुछ हफ्ते इस बात का फैसला करेंगे कि क्या वाकई यह जंग खत्म हुई है या फिर अगला अध्याय बस शुरू होने वाला है। एक बात तय है—ट्रंप ने दुनिया को चौंका दिया है, और अब हर देश अपने बंकर मजबूत कर रहा है। कहानी का अंत अभी बाकी है… हिरोशिमा और नागासाकी के बाद दुनिया ने शांति देखी थी, लेकिन कीमत क्या थी? और अब ट्रंप का यह बयान—"मैं नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता"—कहीं इस बात का संकेत तो नहीं कि नया इतिहास लिखा जा चुका है?
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