"मास्को पर हमला करोगे?" ट्रंप उड़ाना चाहते है रूस? जेलेंस्की से फोन पर की बात, बताया अपना खतरनाक प्लान

Trump - Zelensky phone call: ट्रंप और जेलेंस्की की गुप्त कॉल ने मचाई हलचल क्या अमेरिका यूक्रेन को मास्को पर मिसाइल हमले की मंज़ूरी देगा? रूस-पश्चिम के बीच बढ़ा परमाणु तनाव!

Harsh Srivastava
Published on: 15 July 2025 4:24 PM IST
मास्को पर हमला करोगे? ट्रंप उड़ाना चाहते है रूस? जेलेंस्की से फोन पर की बात, बताया अपना खतरनाक प्लान
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Trump - Zelensky phone call: क्या आपने कभी सोचा है कि अमेरिका के एक राष्ट्रपति का एक फोन कॉल पूरी दुनिया को परमाणु युद्ध के मुहाने पर ला सकता है? यह कोई हॉलीवुड फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है यह रियलिटी है, और किरदार हैं डोनाल्ड ट्रंप और वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की। 4 जुलाई को, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को एक ऐसा सवाल पूछ लिया, जिसने न केवल नाटो और रूस बल्कि पूरी दुनिया की नींद उड़ा दी, अगर हम तुम्हें लंबी दूरी की मिसाइलें दें, तो क्या तुम मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग को उड़ा सकते हो? इस सवाल ने अमेरिकी सत्ता गलियारों में भूकंप ला दिया है और रूस को खुला युद्ध घोषित करने के लिए उकसाया है। लेकिन सवाल ये है क्या ये ट्रंप की नई विदेश नीति है या एक सुनियोजित भड़काऊ रणनीति?

ट्रंप का बदला मिज़ाज

जब ट्रंप पहली बार राष्ट्रपति बने थे, तो पुतिन को सम्माननीय नेता कहकर आलोचना झेली थी। लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है। वॉशिंगटन पोस्ट और फाइनेंशियल टाइम्स की संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप अब रूस पर दर्द देने की नीति पर काम कर रहे हैं इतना दर्द कि रूस घुटनों पर आ जाए और शांति समझौते के लिए मजबूर हो जाए। यह पहली बार है जब ट्रंप ने यूक्रेन को रूस के गहरे सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए न केवल इजाज़त देने की बात की, बल्कि निजी तौर पर प्रोत्साहित भी किया। ये साफ संकेत है कि ट्रंप अब शांति से नहीं, युद्ध से शांति लाना चाहते हैं।

ATACMS से टॉमहॉक तक: क्या अमेरिका मास्को पर हमला कराने की तैयारी में है?

सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने यूक्रेन को पहले ही 300 किलोमीटर तक मार करने वाली ATACMS मिसाइलों की अनुमति दे दी है। लेकिन असली धमाका तो अब होने वाला है टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें, जिनकी रेंज 1500 किलोमीटर से भी अधिक है, और जो सीधे मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग तक पहुंच सकती हैं।रिपोर्ट्स के अनुसार, व्हाइट हाउस अब टॉमहॉक मिसाइलों को यूक्रेन को देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। हालांकि ये अभी 10 अरब डॉलर के सैन्य पैकेज में शामिल नहीं हैं, लेकिन ट्रंप की दिलचस्पी इसे अलग स्तर पर ले जा रही है। यानी, अगर ट्रंप चाहते हैं, तो रूस के सबसे सुरक्षित शहरों पर भी यूक्रेन की मिसाइलें गिर सकती हैं। और फिर क्या रूस सिर्फ देखेगा? या वो परमाणु बटन दबा देगा?

ज़ेलेंस्की का रिएक्शन: खतरे के बीच दिखी मुस्कान?

यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इस कॉल को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने ट्रंप के बयान पर सावधानी से उत्साहित प्रतिक्रिया दी। ज़ेलेंस्की पिछले कई महीनों से अमेरिका से लंबी दूरी के हथियारों की मांग कर रहे थे, लेकिन अब जब खुद ट्रंप ने मास्को को निशाना बनाने की बात की है, तो यूक्रेनी सरकार के हौसले आसमान पर हैं। हम शांति चाहते हैं, लेकिन हम कमजोरी नहीं दिखाएंगे, – ये कथन अब यूक्रेनी सरकार के हर प्रेस रिलीज़ का हिस्सा बन चुका है।

रूस में खलबली: पुतिन की चुप्पी या तूफान से पहले की शांति?

रूस की तरफ से फिलहाल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन क्रेमलिन के करीबी सूत्रों का कहना है कि पुतिन इस कॉल से बेहद नाराज़ हैं और रूस की सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई जा चुकी है। रूस अब न केवल यूक्रेन से बल्कि अमेरिका से भी जवाब मांग सकता है। और यह जवाब सिर्फ कूटनीतिक नहीं, सैन्य भी हो सकता है।

यूरोप की साँसे थमीं: क्या तीसरे विश्व युद्ध की आहट?

जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों ने इस घटनाक्रम को लेकर चिंता ज़ाहिर की है। जर्मनी के विदेश मंत्री ने चेतावनी दी है कि एक गलत फैसला यूरोप को युद्ध की लपटों में झोंक सकता है। वहीं फ्रांस ने संयम बरतने की अपील की है। लेकिन अब ट्रंप की शैली संयम की नहीं, बल्कि सत्ता के प्रदर्शन की है।

ट्रंप क्या चाहते हैं? डीलमेकिंग या डूमडे?

डोनाल्ड ट्रंप के इतिहास को देखें, तो वह खुद को डीलमेकर कहते रहे हैं पर क्या ये डील परमाणु हथियारों की धमकी से होगी? विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप रूस को डराकर एक शांति समझौता करना चाहते हैं, जिससे उन्हें चुनाव में बढ़त मिले। लेकिन सवाल है क्या इतने खतरनाक खेल में दुनिया की किस्मत दांव पर नहीं लग रही? ट्रंप और ज़ेलेंस्की की ये कथित बातचीत, सिर्फ एक सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के भविष्य की दिशा तय कर सकती है। अगर यह बयानबाज़ी यहीं नहीं रुकी, तो आने वाले हफ्तों में दुनिया उस मोड़ पर पहुंच सकती है, जहां से लौटना शायद नामुमकिन हो।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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