Vice President Election 2025: विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जानिए बी. सुदर्शन रेड्डी के बारे में

INDIA Vice President Candidate: आज होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव को भाजपा के राधाकृष्णन और विपक्ष के सुदर्शन रेड्डी के बीच एक महत्वपूर्ण मुकाबला माना जा रहा है

Shivani Jawanjal
Published on: 9 Sept 2025 12:17 PM IST
Vice President Election 2025: विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जानिए बी. सुदर्शन रेड्डी के बारे में
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B. Sudarshan Reddy Biography: भारतीय राजनीति में जब भी कोई बड़ा चुनाव होता है तो लोगों की नज़रें हमेशा उम्मीदवारों पर टिक जाती हैं। 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में भी कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिल रहा है। इस बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से सी.पी. राधाकृष्णन उम्मीदवार हैं तो वही, विपक्ष ने वरिष्ठ नेता और पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। ऐसे में आइये आपको बताते है विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के बारे में । इस लेख में हम बी. सुदर्शन रेड्डी के जीवन, उनके करियर और राजनीतिक सफर के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से नज़र डालेंगे।

कब है चुनाव?


2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में आज मतदान हो रहा है जिसमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर से सी. पी. राधाकृष्णन और विपक्ष के INDIA ब्लॉक की ओर से पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने हैं। यह चुनाव 9 सितंबर 2025 को संसद भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा और वोटों की गिनती उसी दिन की शाम 6 बजे से शुरू होगी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा


बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को तेलंगाना के रांगारेड्डी जिले के छोटे से गाँव आक्रुला मायलारम में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। शुरुआती पढ़ाई उन्होंने अपने गाँव में ही की और फिर उच्च शिक्षा के लिए हैदराबाद चले गए। साल 1971 में उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की और उसी साल आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में नामांकन कर वकालत की शुरुआत की। यही से उनके कानूनी सफर की शुरुआत हुई, जिसने उन्हें आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और आज उपराष्ट्रपति पद के महत्वपूर्ण उम्मीदवार बना दिया।

कानूनी करियर की शुरुआत

सुदर्शन रेड्डी ने अपने प्रारंभिक करियर में सिविल और संवैधानिक मामलों में अनुभव प्राप्त किया। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता के. प्रताप रेड्डी के मार्गदर्शन में प्रैक्टिस की। वर्ष 1988 में वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के लिए सरकारी वकील नियुक्त हुए और 1990 तक केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्टैंडिंग काउंसल के रूप में भी सेवा दी।

न्यायपालिका में उत्कर्ष

2 मई 1993 को उन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 5 दिसंबर 2005 को वे गुवाहाटी उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बने। 12 जनवरी 2007 को वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए, जहां उन्होंने लगभग पाँच वर्षों तक(8 जुलाई 2011 )न्यायपालिका में उत्कृष्ट सेवा दी। उन्होंने संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक न्याय के संवर्धन के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले दिए।

सेवानिवृत्ति और योगदान

7 जुलाई 2011 को न्यायिक सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, वे गोवा के पहले लोकायुक्त नियुक्त हुए। उनका लोकायुक्त कार्यकाल हालांकि थोड़ा ही रहा लेकिन उन्होंने पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए मिसाल कायम की।

वर्तमान उपराष्ट्रपति चुनाव में भूमिका

2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में, वे भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) के उम्मीदवार हैं। उनका नाम इस चुनाव में इसीलिए रखा गया है ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों को मजबूती मिले। उनके अनुभव और योग्यता के आधार पर वे विपक्ष के लिए एक मजबूत दावेदार हैं।

व्यक्तित्व और विशेषताएँ

बी. सुदर्शन रेड्डी न्यायपालिका में अपने नैतिक और न्यायसंगत दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। वे गरीबों और कमजोर वर्गों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील रहे हैं। बी. सुदर्शन रेड्डी का व्यक्तित्व बहुत ही शांत, गंभीर और विद्वतापूर्ण है। वे हमेशा तथ्यों और संविधान पर आधारित तर्कों को ही महत्व देते हैं। हिंदी, अंग्रेज़ी और तेलुगु भाषाओं में उनकी अच्छी पकड़ है, जिससे वे आम जनता से आसानी से संवाद कर सकते हैं। वे सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और विवादों से दूर रहते हैं। उनकी यह गंभीरता, सरलता और न्याय के प्रति समर्पण ही उन्हें विपक्ष के लिए उपराष्ट्रपति पद का आदर्श उम्मीदवार बनाती है।

योगदान और विचार

बी. सुदर्शन रेड्डी ने अपने जीवन में हमेशा न्याय, समानता और पारदर्शिता को महत्व दिया है। वे महिला सशक्तिकरण, अल्पसंख्यक अधिकारों और दलित उत्थान जैसे सामाजिक मुद्दों के समर्थक रहे हैं। उनका मानना है कि लोकतंत्र में संवाद और बहस की संस्कृति जरूरी है और उपराष्ट्रपति का पद केवल औपचारिक नहीं, बल्कि संसद में निष्पक्ष बहस को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए। वे खुद को उदारवादी, समाजवादी, लोकतांत्रिक और संविधान के प्रति प्रतिबद्ध मानते हैं। संविधान की रक्षा और सामाजिक न्याय के लिए उनके सतत प्रयासों ने उन्हें विपक्ष के लिए उपराष्ट्रपति पद का आदर्श उम्मीदवार बना दिया है।

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