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जेन स्ट्रीट ने SEBI के खिलाफ दायर किया बड़ा केस - क्या है मामला?
अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट ने SEBI के खिलाफ कानूनी कदम उठाया, जानिए पूरा विवाद।
Jane Street vs SEBI : अमेरिका की प्रसिद्ध ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट और भारत के मार्केट रेगुलेटर SEBI के बीच अब कानूनी लड़ाई चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, जेन स्ट्रीट ने SEBI के आदेश के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) में केस किया है। कंपनी का कहना है कि SEBI ने जिस वजह से उन पर कार्रवाई की, उससे जुड़े बहुत जरूरी दस्तावेज और आंकड़े उन्हें नहीं दिए गए। जेन स्ट्रीट का कहना है कि ये दस्तावेज उनके बचाव के लिए बहुत जरूरी हैं और बिना इन्हें देखे सही फैसला नहीं लिया जा सकता।
सेबी का आरोप और जेन स्ट्रीट का पक्ष
जुलाई 2024 में सेबी ने जेन स्ट्रीट पर आरोप लगाया कि उसने भारत के बड़े शेयर बाजार में धोखा किया। इसलिए सेबी ने कंपनी को भारतीय शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने से रोक दिया। साथ ही कंपनी को लगभग 4,843 करोड़ रुपये का अवैध लाभ वापस करने का आदेश दिया। सेबी का कहना था कि कंपनी ने गलत तरीका अपनाया और निवेशकों को नुकसान पहुँचाया। सेबी ने जेन स्ट्रीट को लिखा और 21 दिन के अंदर जवाब देने को कहा था। लेकिन कंपनी समय पर जवाब नहीं दे पाई। इसलिए सेबी ने कड़ा कदम उठाया। उसने कंपनी पर बैन लगाया और बड़ी रकम वापस करने का आदेश दिया। जेन स्ट्रीट का कहना है कि अगर सेबी ने जरूरी दस्तावेज समय पर दिए होते, तो वे सही जवाब दे पाते।
जेन स्ट्रीट का अंतरराष्ट्रीय विवाद
दिलचस्प बात यह है कि जेन स्ट्रीट अमेरिका में भी कानूनी लड़ाई लड़ रही है। अप्रैल 2024 में कंपनी ने न्यूयॉर्क की अदालत में Millennium Management और उसके दो पूर्व ट्रेडर्स के खिलाफ केस किया। कंपनी का आरोप है कि उन्होंने जेन स्ट्रीट की बहुत ही गोपनीय ट्रेडिंग रणनीति चुरा ली। मतलब, यह विवाद सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि कंपनी कई जगहों पर एक साथ लड़ाई लड़ रही है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत का शेयर बाजार दुनियाभर के निवेशकों को आकर्षित करता है। अगर SEBI का आदेश बना रहता है, तो विदेशी कंपनियों को यह संदेश जाएगा कि भारत में नियमों का पालन जरूरी है और कोई भी इसे तोड़ नहीं सकता। वहीं, अगर SAT जेन स्ट्रीट के पक्ष में फैसला देता है, तो कंपनी फिर से भारतीय बाजार में ट्रेडिंग कर सकती है। आने वाले समय में यह केस निवेशकों, कंपनियों और नियम बनाने वालों के लिए बड़ा सबक साबित हो सकता है।
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