भारत में तेजी से बढ़ रहा है नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर का खतरा, AIIMS के डॉक्टर ने बताया इससे बचने के उपाय

Fatty Liver Health: आजकल की बदलती लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) तेजी से फैल रही है।

Ragini Sinha
Published on: 31 July 2025 6:11 PM IST
भारत में तेजी से बढ़ रहा है नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर का खतरा, AIIMS के डॉक्टर ने बताया इससे बचने के उपाय
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Fatty Liver Health: आजकल की बदलती लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) तेजी से फैल रही है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें बिना शराब पिए भी लिवर में चर्बी जमा होने लगती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह लिवर सूजन (NASH), फाइब्रोसिस, सिरोसिस या लिवर कैंसर तक पहुंच सकती है।

किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा?

  • NAFLD का सबसे बड़ा कारण है मोटापा, डायबिटीज, और मेटाबॉलिक सिंड्रोम।
  • डायबिटीज वालों में 55-60%
  • मोटापे से ग्रसित 65-95%
  • और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जूझ रहे 73% लोगों को यह बीमारी हो सकती है।
  • भारत में करीब 7% से 55% वयस्कों में NAFLD के लक्षण पाए गए हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि यह बीमारी अब बच्चों में भी देखी जा रही है।

लक्षण क्या हैं?

NAFLD की शुरुआत में आमतौर पर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ लोग इन समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं।

  • पेट के ऊपरी हिस्से में हल्का दर्द
  • थकान और कमजोरी
  • भूख न लगना
  • वजन का बढ़ना या घटना

कैसे करें बचाव?

AIIMS के विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि NAFLD से बचने का सबसे अच्छा तरीका है लाइफस्टाइल में सुधार।

आप ये 3 नियम अपनाकर खुद को सुरक्षित रख सकते हैं

  • हेल्दी डाइट अपनाएं
  • जंक फूड, तला-भुना और पैकेज्ड चीजें खाने से बचें
  • आधी प्लेट हरी सब्जियों और फलों से भरें
  • तेल और ट्रांस फैट का सेवन कम करें
  • रोजाना एक्सरसाइज करें
  • कम से कम 30 से 40 मिनट वॉक, योग या कोई खेल जरूर करें
  • वजन को नियंत्रित रखें
  • अच्छी नींद और कम तनाव
  • रात को समय पर सोएं और सुबह समय पर उठें
  • तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन करें

शराब और दवाओं से रहें सावधान

  • अगर आपको NAFLD है, तो शराब से पूरी तरह दूरी बनाना जरूरी है।
  • इसके अलावा, डॉक्टर से सलाह लेकर दवाएं लें और बिना परामर्श के कोई दवा न खाएं।

जांच कैसे कराएं?

NAFLD का पता अल्ट्रासाउंड, लिवर फंक्शन टेस्ट और ब्लड टेस्ट से लगाया जा सकता है। इसके चार स्टेज होते हैं, जिसमें अंतिम स्टेज सिरोसिस सबसे खतरनाक होती है।

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