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BJP के पार्षद बने गुंडे! सरकारी अफसर को सरेआम घसीट कर पीटा, पार्टी ने लिया बड़ा एक्शन

BJP leaders suspended: दिन-दहाड़े एक वरिष्ठ सरकारी अफसर को उनके दफ्तर से खींचकर पीटने का वीडियो वायरल होने के बाद ओडिशा की राजनीति में भूचाल आ गया है।

Harsh Srivastava
Published on: 1 July 2025 8:40 PM IST
BJP के पार्षद बने गुंडे! सरकारी अफसर को सरेआम घसीट कर पीटा, पार्टी ने लिया बड़ा एक्शन
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BJP leaders suspended: राजधानी की सड़कों पर सत्ता की सनक किस हद तक उतर आई है, इसकी एक खौफनाक तस्वीर 1 जुलाई को सामने आई। दिन-दहाड़े एक वरिष्ठ सरकारी अफसर को उनके दफ्तर से खींचकर पीटने का वीडियो वायरल होने के बाद ओडिशा की राजनीति में भूचाल आ गया है। देश देख रहा है कि किस तरह कानून का मज़ाक उड़ाकर लोकतंत्र के स्तंभों को चकनाचूर किया जा रहा है। अफसर पर हुए हमले के बाद सोशल मीडिया पर आक्रोश फूटा, विपक्षी दल बीजेडी ने सख्त कार्रवाई की मांग की, और अंततः बीजेपी को भारी दबाव में आकर अपने ही पांच नेताओं को पार्टी से निलंबित करना पड़ा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने देर रात प्रेस रिलीज जारी करते हुए साफ किया कि हिंसा में संलिप्त नेताओं को बख्शा नहीं जाएगा। जिन नेताओं को सस्पेंड किया गया है, उनमें पार्षद अपरूप नारायण राउत, रश्मि रंजन महापात्रा, देबाशीष प्रधान, सचिकांत स्वैन और संजीव मिश्रा शामिल हैं। पार्टी ने इन्हें तत्काल प्रभाव से प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है।

जब अफसर बना सत्ता की गुंडागर्दी का निशाना

पूरे घटनाक्रम की शुरुआत उस वक्त हुई जब ओडिशा प्रशासनिक सेवा (OAS) के वरिष्ठ अधिकारी रत्नाकर साहू अपने दफ्तर में जनता की शिकायतें सुन रहे थे। अचानक कुछ लोग वहां घुस आए, और उन्हें दफ्तर से खींचकर बाहर ले गए। जो वीडियो सामने आया उसमें साफ देखा जा सकता है कि साहू को लात-घूंसों से मारा जा रहा है और यह सब खुलेआम राजधानी की सड़कों पर हो रहा है। वीडियो के वायरल होते ही अफसरों में गुस्से की लहर दौड़ गई और OAS एसोसिएशन ने सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दे दी।

बीजेपी पार्षद पर लगे सीधे आरोप

पुलिस जांच में सामने आया कि हमलावरों में बीजेपी पार्षद जीवन राउत भी शामिल थे। इस खुलासे के बाद भाजपा की किरकिरी शुरू हो गई। जनता का गुस्सा चरम पर था, और विपक्ष इस मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक ने इस पूरे हमले को लोकतंत्र पर हमला बताया। उन्होंने X पर लिखा, “एक वरिष्ठ अफसर को उनके कार्यालय से खींचकर पीटना, और वो भी राजधानी के दिल में, लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शर्मनाक है।”

गिरफ्तारी से और गरमाई सियासत

घटना के बाद भुवनेश्वर पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की। आरोपी पार्षद जीवन राउत, रश्मि महापात्रा और देबाशीष प्रधान को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद प्रशासनिक अफसरों की नाराजगी थोड़ी ठंडी जरूर पड़ी, लेकिन विपक्ष का हमला और तेज हो गया। बीजेडी नेताओं ने सरकार से सीधा सवाल किया कि क्या राजधानी में अब सरकारी अफसर भी सुरक्षित नहीं हैं? क्या सत्ता का नशा कानून से ऊपर हो गया है?

बीजेपी की सख्ती या राजनीतिक मजबूरी?

बीजेपी की ओर से पांच नेताओं को निलंबित करना एक बड़ा कदम जरूर है, लेकिन इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्या ये कार्रवाई जनता के गुस्से को शांत करने के लिए थी? या फिर वायरल वीडियो ने पार्टी को बैकफुट पर लाकर मजबूर कर दिया? सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि हिंसा में शामिल किसी नेता को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओडिशा में चुनावी रणनीति के तहत बीजेपी छवि सुधारने में लगी है और ऐसे में इस तरह की घटनाएं पार्टी के लिए आत्मघाती हो सकती हैं। यही वजह है कि बिना देर किए पांच नेताओं को सस्पेंड किया गया ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके।

राजधानी में दहशत का माहौल, अफसरों में डर

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—जब राजधानी में दिनदहाड़े अफसरों पर हमले हो सकते हैं, तो बाकी जिलों का क्या हाल होगा? अफसरों का मनोबल टूटता दिख रहा है। हालांकि, मुख्यमंत्री, डीजीपी, मुख्य सचिव और पुलिस कमिश्नर ने तत्काल बैठक कर स्थिति को संभालने की कोशिश की और प्रशासनिक संघ से बातचीत कर हड़ताल टालने में कामयाबी पाई। लेकिन ये घटना बता गई कि सियासी झगड़ों में अब सरकारी अफसर भी महफूज़ नहीं हैं। लोकतंत्र के प्रहरी जब सत्ता के गुंडों से पीटे जाएं, तो ये सिर्फ एक अफसर पर हमला नहीं, पूरी व्यवस्था की असफलता का सबूत बन जाता है। ओडिशा की सियासत में उबाल है। जनता, विपक्ष और प्रशासन—तीनों इस वक्त सख्त निगाहें गड़ाए बैठे हैं कि दोषियों को सजा मिले। बीजेपी ने सस्पेंशन का रास्ता जरूर अपनाया है, लेकिन क्या यही काफी है? लोकतंत्र में जवाबदेही सिर्फ विपक्ष की नहीं, सत्ता पक्ष की भी होती है। अगर जनता के सेवक ही डर के साए में काम करेंगे, तो यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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