बदलने वाला है भविष्य! NASA-ISRO का 'NISAR' बनेगा धरती का 'सुपरहीरो'; 30 जुलाई को होगा ऐतिहासिक लॉन्च

NISAR satellite launch: अब 30 जुलाई 2025 को भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में झंडा गाढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट, जिसे ISRO और NASA ने साथ मिलकर विकसित है।

Priya Singh Bisen
Published on: 25 July 2025 7:14 PM IST
NISAR satellite launch
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NISAR satellite launch

NISAR satellite launch: हाल ही में भारत ने एक अंतरिक्ष मिशन में बड़ी सफलता हासिल की है जिसका नाम है - एक्सिओम-4। इस अंतरिक्ष मिशन पर लखनऊ के निवासी ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला गए थे। उनके साथ चार क्रू मेंबर भी शामिल थे जिन्होंने 25 जून को एक्सिओम-4 मिशन के अंतर्गत स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी थी। करीब 18 दिन ISS पर बिताने के बाद, वह 15 जुलाई को सफलतापूर्वक धरती पर लौट आए।


अब 30 जुलाई 2025 को भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में झंडा गाढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट, जिसे ISRO और NASA ने साथ मिलकर विकसित है। बता दे, GSLV-F16 रॉकेट से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। ये सैटेलाइट धरती की हर छोटी-बड़ी चीज़ों पर नजर बनाये रखेगा-चाहे बादल हों, अंधेरा हो या जंगल हो। किसान, वैज्ञानिक और आपदा राहत टीमें सभी लिए ये सैटेलाइट एक तरह से गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

इस मिशन को लेकर भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियां ISRO और NASA की ऐतिहासिक साझेदारी का परिणाम है 'NISAR सैटेलाइट' जो अब लॉन्च होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। 30 जुलाई 2025 को शाम 5:30 बजे, भारत का GSLV-F16 रॉकेट इस सुपर सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष की कक्षा में भेजेगा। यह सिर्फ एक सैटेलाइट नहीं, बल्कि आने वाले समय में पृथ्वी के हर छोटे-बड़े परिवर्तन और हरकतों पर नज़र बनाये रखेगा और अलर्ट देने वाला 'आसमानी सुपरहीरो' के रूप में जाना जाएगा।

क्या है NISAR?


NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) एक मतलब है 'ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट', जिसे NASA और ISRO ने साथ मिलकर डिजाइन करके बनाया है। यह विश्व का पहला सैटेलाइट होगा जो दोहरी फ्रीक्वेंसी रडार 'L-बैंड' (NASA) और 'S-बैंड' (ISRO) का इस्तेमाल करता है। इसका अर्थ यह है कि यह बादलों, अंधेरे और पेड़ों के पीछे भी पृथ्वी की सतह पर हो रही सभी स्थिति को रिकॉर्ड कर सकता है।

क्या हैं NISAR की खासियतें ?

NISAR का वजन: लगभग 2,392 किलो

ऑर्बिट: 743 किमी की सन-सिंक्रोनस कक्षा

अवधि: कम से कम 3 साल, हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का मैप

एंटीना: 12 मीटर का मेष एंटीना, जो 242 किमी चौड़े क्षेत्र को स्कैन करेगा

सटीकता: 5-10 मीटर रिज़ॉल्यूशन, 1 सेंटीमीटर तक की हलचल को पकड़ने की क्षमता

डेटा उत्पादन: रोजाना 85 टेराबाइट डेटा

लागत: तकरीबन 1.25 लाख करोड़ रुपये – इसे विश्व का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट बनाता है

कैसे काम करेगा NISAR?

Synthetic Aperture Radar (SAR) तकनीक की मदद से यह सैटेलाइट रेडियो वेव्स के माध्यम से धरती की तस्वीरें कैप्चर करेगा, जो साधारण कैमरों से पूरी तरह से अलग होती हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि यह...

- ये बादलों और अंधेरे के आर-पार देखने की क्षमता रखता है

- 24x7 काम कर सकता है, हर मौसम के साथ दिन और रात में भी पूरी तरह से सक्रिय रहेगा

- दोहरी फ्रीक्वेंसी रडार के कारण गहराई तक स्कैन कर सकता है

L-बैंड (NASA): ये घने जंगलों और जमीन के नीचे की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करने की क्षमता रखता है।

S-बैंड (ISRO): मिट्टी की नमी, फसलें और सतह की गतिविधियों की पूरी जानकारी प्रदान करेगा।

Important Note: SweepSAR तकनीक - यह पहली बार इस मिशन में प्रयोग किया जा रहा है, जिससे बड़े इलाके को हाई-रिज़ॉल्यूशन में स्कैन किया जा सकता है।

क्या-क्या करेगा NISAR ?

प्राकृतिक आपदाओं पर गहनता से निगरानी:

- भूकंप से पहले टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल को सेंटीमीटर स्तर पर ट्रैक करेगा

- ज्वालामुखियों में लावे की हरकत को पहचानकर समय पर चेतावनी देगा

- हिमालय या तटीय इलाकों में भूस्खलन, सुनामी जैसी आपदाओं की पहले से भविष्यवाणी करेगा

जलवायु परिवर्तन पर नजर:

- ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार मापेगा

- समुद्र स्तर में बढ़ोतरी का पूर्वानुमान की जानकारी प्रदान करेगा

- जंगलों की कटाई और वनस्पति की स्थिति की निगरानी करेगा

कृषि और जल प्रबंधन:

- फसलों की स्थिति, मिट्टी की नमी और खेती के पैटर्न पर डाटा देगा

- नदियों और भूजल की स्थिति बताकर सूखे की चेतावनी देगा

आपदा राहत कार्यों में पूरी तरह से सहयोग:

- बाढ़, तूफान और जंगल की आग जैसी आपदाओं में रियल टाइम डेटा प्रदान करने में सहायता करेगा जिससे राहत कार्यों में तेजी मिलेगी

- तटीय क्षेत्रों की गहनता से निगरानी करेगा ताकि समुद्री तटों पर हो रहे परिवर्तनों का समय रहते पता चल सके

क्या है भारत की महत्वपूर्ण भूमिका ?

ISRO ने इस मिशन में बराबरी की भागीदारी निभाई है, जिसमें

- S-बैंड रडार का निर्माण अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) ने किया

- सैटेलाइट बॉडी (बस) और लॉन्च व्हीकल GSLV-F16 भारत ने बनाए

- सैटेलाइट की टेस्टिंग बेंगलुरु में सफलतापूर्वक की गई

- लॉन्च श्रीहरिकोटा से होगा

Important Note: NASA ने L-बैंड रडार, 12 मीटर का मेश एंटीना, GPS सिस्टम और डेटा ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी दी है। दोनों एजेंसियों ने मिलकर इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारा है।

क्यों कहा जा रहा है NISAR को 'सुपरहीरो'?


इस सैटेलाइट की क्षमता उसे धरती का 'सुपरहीरो' बनाती है। यह न केवल प्राकृतिक आपदाओं से पहले अलर्ट देगा, बल्कि लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन और कृषि संकट से जूझते देशों को वक़्त रहते समाधान खोजने में सहायता करेगा।

उदाहरण के लिए: यदि हिमालय में भूकंप के हल्के संकेत भी मिलते हैं, तो NISAR 1 सेंटीमीटर की भी हलचल रिकॉर्ड कर सकता है, जिससे संभावित आपदा से पहले चेतावनी जारी की जा सकती है।

इस मिशन में ये रहीं चुनौतियां:

लागत: 1.25 लाख करोड़ रुपये का भारी निवेश

तकनीकी जटिलता: दोहरे रडार और SweepSAR तकनीक का संचालनज़

डेटा प्रोसेसिंग: प्रतिदिन 85 टेराबाइट डेटा को संभालना

लॉन्च में देरी: पहले ये साल 2022 और फिर 2024 तक टला, अब आखिरकार 2025 में लॉन्च हो रहा है


बता दे, 'NISAR मिशन' भारत के लिए न केवल तकनीकी गौरव की बात है, बल्कि यह देश के आपदा प्रबंधन, कृषि विकास और जलवायु अनुकूलन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। NASA जैसे संस्थान के साथ भारत की इस साझेदारी ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि भारतीय स्पेस टेक्नोलॉजी अब वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इस लॉन्च को देखने के लिए 30 जुलाई की शाम में हर भारतीय को तैयार रहना चाहिए—क्योंकि यह केवल एक सैटेलाइट नहीं, बल्कि धरती की सुरक्षा के लिए आसमान में तैनात होने वाला पहला सुपरहीरो है!

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